हल्द्वानी। कुमाऊं के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल (government hospital) का हाल बेहाल है। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अरुण जोशी का कहना है कि सर्जिकल वार्ड (surgical ward) में ऐसा होता है कि वार्ड में मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है। अस्पताल में ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनकी सर्जरी होनी आवश्यक है, लेकिन जो भी इमरजेंसी केस (emergency case) आते हैं उनका हम तुरंत ही ऑपरेशन कर देते हैं या अगले दिन की डेट दे देते हैं। एसटीएच में गंभीर मरीजों (critical patients) का प्राथमिकता से इलाज किया जाता है।
जहां एसटीएच के सभी महत्वपूर्ण विभागों में ऑपरेशन के लिए लंबी वेटिंग है। सबसे ज्यादा दिक्कत ईएनटी, हड्डी और यूरोलॉजी विभाग (Department of Urology) के मरीजों को झेलनी पड़ रही है। एसटीएच में हर रोज औसतन 1500 से 2000 मरीज ओपीडी में परामर्श के लिए पहुंचते हैं। ओपीडी में मेडिसिन विभाग (Department of Medicine) के बाद सबसे ज्यादा मरीजों की भीड़ नाक, कान, गला रोग विभाग में रहती है। इस विभाग में मरीज का ऑपरेशन होना है, तो उसे तीन माह बाद की डेट मिल रही है। मंडल भर के मरीजों के दबाव और सुविधाओं की कमी के चलते यह स्थिति पैदा हो रही है।
उत्तराखंड के हल्द्वानी में कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल है। दरअसल सुशीला तिवारी अस्पताल में हर रोज करीब 2000 मरीज दूरदराज से इलाज के लिए पहुंचते हैं। इस दौरान अस्पताल के सभी महत्वपूर्ण विभागों में पहाड़ से आए मरीजों की भीड़ (rush of patients) देखने को मिल रही है। वहीं, ऑपरेशन के लिए अस्पताल में लंबी वेटिंग की स्थिति है। बता दें कि मरीजों को ऑपरेशन के लिए तीन महीने तक का इंतजार करना पड़ रहा है।
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