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शराब की मार्केटिंग पर सख़्त नियम लागू किये जायें या फिर प्रतिबन्ध लगाया जाएँ: डब्ल्यूएचओ 

दुनिया भर में ऐल्कोहॉल की कुल खपत का तीन-चौथाई भाग पुरुषों द्वारा किया जाता है और महिलाओं में सशक्तिकरण व समानता के नाम पर शराब सेवन को बढ़ावा दिया जाता है।  दुनियाभर में 20 से 39 वर्ष आयु वर्ग में होने वाली कुल मौतों में क़रीब 13 प्रतिशत मौतें ऐल्कोहॉल सेवन के कारण होती हैं।

हे.जा.स.
May 11 2022 Updated: May 11 2022 23:06
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शराब की मार्केटिंग पर सख़्त नियम लागू किये जायें या फिर प्रतिबन्ध लगाया जाएँ: डब्ल्यूएचओ  प्रतीकात्मक चित्र

जेनेवा। शराब की बिक्री बढाने के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग का इस्तेमाल बढ़ रहा है। ऑनलाइन विज्ञापनों में युवाओं को लक्षित कर, विज्ञापन तैयार किये जाते हैं। इन विज्ञापनों का लक्ष्य ज़्यादा मात्रा में ऐल्कोहॉल का सेवन करने वाले लोग होतें है। डब्ल्यूएचओ ने इस प्रकार के विज्ञापनों को स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा माना है और कारगर नियामन उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया है। डब्ल्यूएचओ की मंगलवार को प्रकाशित, Reducing the harm from alcohol – by regulating cross-border alcohol marketing, advertising and promotion, नामक रिपोर्ट में उक्त जानकारी प्रकाशित हुई है। 

डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार दुनियाभर में हर साल 30 लाख लोगों की मौत नुक़सानदेह मद्यपान (harmful drinking) के वजह से होती है जो कुल होने वाली मौतों का पाँच फ़ीसदी है। शराब (alcohol) पीने की वजह से होने वाली इन मौतों (deaths) में बड़ी संख्या युवाओं की है। दुनियाभर में 20 से 39 वर्ष आयु वर्ग में होने वाली कुल मौतों में क़रीब 13 प्रतिशत मौतें ऐल्कोहॉल सेवन के कारण होती हैं। रिपोर्ट में बच्चों, किशोरों, महिलाओं और शराब का अधिक सेवन करने वाले लोगों पर लक्षित विज्ञापनों (targeted advertisements) के प्रति ख़ास तौर से चिन्ता व्यक्त की गई है। 

रिपोर्ट बताती है कि बहुत से देशों में सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक माहौल की परवाह किये बग़ैर, ऐल्कोहॉल की मार्केटिंग के लिये डिजिटल माध्यमों (digital means) का भी सहारा लिया जाता है। दुनिया भर में ऐल्कोहॉल की कुल खपत का तीन-चौथाई भाग पुरुषों द्वारा किया जाता है और महिलाओं में सशक्तिकरण (empowerment) व समानता (equality) के नाम पर शराब सेवन (alcohol consumption) को बढ़ावा दिया जाता है।  

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि, “शराब, युवाओं का जीवन उनके परिवारों और समाज से छीन लेती है।” “स्वास्थ्य के लिये स्पष्ट ख़तरा होने के बावजूद, ऐल्कोहॉल के प्रचार-प्रसार पर नियंत्रण, दिमाग़ को प्रभावित करने अन्य उत्पादों की तुलना में कमज़ोर है।” अध्ययन से पता चलता है कि कम उम्र में ही शराब पीने की शुरुआत करने से बड़े होने पर ऐल्कोहॉल सेवन की नुकसानदेह आदत बन जाती है। 

यूएन एजेंसी के महानिदेशक का मानना है कि ऐल्कोहॉल की मार्केटिंग के सिलसिले में कारगर ढँग से लागू किये गए और सुसंगत नियामन की मदद से लोगों के जीवन की रक्षा की जा सकती है। 

ऑनलाइन विज्ञापन - Online advertisement
बेहद परिष्कृत ऑनलाइन मार्केटिंग तौर-तरीक़ों का इस्तेमाल करते हुए, इण्टरनेट सेवा प्रदात्ता कम्पनियाँ, शराब पीने वाले लोगों की आदतों और पसन्द-नापसन्द के बारे में जानकारी जुटाती हैं। इसके ज़रिये, ऐल्कोहॉल को बढ़ावा देने में जुटी कम्पनियाँ राष्ट्रीय सीमाओं से परे जाकर शराब के विज्ञापन तैयार कर इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित करतीं हैं। 

एक अनुमान के अनुसार, अमेरिका में अग्रणी ऐल्कोहॉल कम्पनियों द्वारा किये गए मीडिया व्यय का क़रीब 70 फ़ीसदी, ऑनलाइन प्रचार-प्रसार, ऑनलाइन विज्ञापनों समेत अन्य तरीक़ों में ख़र्च हुआ।  

विश्व स्वास्थ्य संगठन में ऐल्कोहॉल एवं मादक पदार्थ इकाई में विशेषज्ञ डैग रेक्वे ने बताया कि डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल के कारण, ये विज्ञापन देशों की सीमाओं के परे जाते हैं, और सरकारों के लिये ऐसी ऑनलाइन मार्केटिंग पर अपने न्यायिक क्षेत्र में रोक लगा पाना कठिन हो जाता है।  

शराब कम्पनियाँ, वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर बड़े खेलकूद आयोजनों को भी प्रायोजित करती हैं, जिससे नए दर्शकों में उनके ब्रैण्ड के प्रति जागरूकता बढ़ती है। इसके समानान्तर, स्पोर्ट्स लीग और क्लब के साथ उनकी साझेदारी के ज़रिये, वे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में नए दर्शकों और सम्भावित उपभोक्ताओं तक अपनी पहुँच बनाते हैं। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय सब्सक्रिप्शन चैनलों पर फ़िल्मों और धारावाहिकों में उत्पादों का प्रचार किया जाता है। 

अहम सिफ़ारिशें - Important recomandations

  • रिपोर्ट में पेश की गई अनुशन्साओं में ऐल्कोहॉल की मार्केटिंग पर सख़्त उपाय लागू किये जाने या फिर प्रतिबन्ध लगाये जाने की बात कही गई है।  
  • विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों में, सीमा-पार विज्ञापनों के पहलुओं को भी एकीकृत किया जाना होगा। 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि बहुत से देशों की सरकारों ने शराब की मार्केटिंग पर कुछ हद तक पाबन्दियों को लागू किया है, मगर वे अपेक्षाकृत कमज़ोर है।  
  • वर्ष 2018 में, यूएन एजेंसी के एक अध्ययन के अनुसार, अधिकाँश देशों में, परम्परागत मीडिया में शराब के प्रचार-प्रसार पर किसी ना किसी रूप में नियामन है।
  • लगभग पचास फ़ीसदी देशों में इण्टरनैट या सोशल मीडिया के लिये कोई नियामन नहीं है।  

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