देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

अंतर्राष्ट्रीय

जरूरी है मरीज और चिकित्सक के बीच विश्वास के रिश्तों को मजबूत करना। 

चिकित्सक के प्रति मरीजों एवं समाज का रवैया बिल्कुल बदला हुआ है। इसके लिए केवल रोगी ही जिम्मेदार नहीं है कहीं न कहीं चिकित्सकों की जिम्मेदारी भी कम नहीं है। चिकित्सकों में सामाजिक सरोकार की कमी, उनकी व्यावसायिक सोच के कारण आज रोगी चिकित्सक को केवल सेवाप्रदाता मानने लगा है।

लेख विभाग
July 01 2021 Updated: July 01 2021 23:55
0 29504
जरूरी है मरीज और चिकित्सक के बीच विश्वास के रिश्तों को मजबूत करना।  प्रतीकात्मक
तीमरदारों ने अस्पताल में तोड़-फोड़ की, मरीजों के परिजनों ने नर्सिंग होम के शीशे तोड़े, तीमारदारों और डाक्टरों के बीच हाथापाई, डाक्टरों ने रोगी को जबरन अस्पताल से निकाला, पूरा पैसा न देने पर अस्पताल ने मरीज की लाश देने से इन्कार किया, पैसा न मिलने पर डाक्टर ने आपरेशन अधूरा छोड़ा, डाक्टरों ने मरीज को अस्पताल में भर्ती करने से मना किया, प्रसूता ने सड़क पर प्रसव किया, चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मियों ने मरीजों को धुना। यह सुर्खिया आज-कल अखबार, इलेक्ट्रानिक मीडियाए वँ सोशल मीडिया में आम है।

डा0अनुरूद्ध वर्मा
वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक, लखनऊ

यह एक बानगी भर है स्थितियाँ इससे भी ज्यादा गंभीर हैं चिकित्सा क्षेत्र की प्रतिबद्धता और प्रमाणिकता एवं पादर्शिता आदि सवालों के घेरे में है। पुराने जमाने में भगवान का रूप समझे जाने वाले चिकित्सक के प्रति मरीजों एवं समाज का रवैया बिल्कुल बदला हुआ है। इसके लिए केवल रोगी ही जिम्मेदार नहीं है कहीं न कहीं चिकित्सकों की जिम्मेदारी भी कम नहीं है। चिकित्सकों में सामाजिक सरोकार की कमी, उनकी व्यावसायिक सोच के कारण आज रोगी चिकित्सक को केवल सेवाप्रदाता मानने लगा है इसीलिए वह चाहता है कि उसने चिकित्सक को अपने इलाज के लिए पैसा दिया है इसलिए उसके द्वारा चुकायी गई फीस का पूरा प्रतिफल मिलना चाहिए। जब रोगी और उसकी देखभाल करने वालों को लगता है कि अस्पताल और चिकित्सक द्वारा उसकी सही देखभाल नहीं की जा रही है उसके इलाज में लापरवाही बरती जा रही है तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। वह मारपीट, तोड़-फोड़, हाथापाई और गाली-गलौज पर अमादा हो जाता है और कभी-कभी तो डाक्टरों एवं मरीजों के परिजनों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करा दी जाती है। कभी मरीज की मौत को भगवान का बुलावा मानने वाले परिवार वाले अब यह बात मानने के लिए किसी भी स्थिति में तैयार नहीं है। वह इसके लिए चिकित्सक को ही जिम्मेदार मानते हैं। 

समाज की समस्या यह है कि वह चिकित्सा विज्ञान की सीमाओं पर गौर नहीं करता उसका ध्यान रोग और उसके उपचार पर ही केंद्रित रहता हैं। आम धारणा यही होती है कि चिकित्सक विशेष व्यक्ति है जो रोगी का उपचार करता है। हम यह नहीं सोचते कि डाक्टर भी एक इंसान है उसकी भी कुछ इच्छाएं आकांक्षाए है। निश्चित रूप से इस स्थिति के लिये रोगी और चिकित्सक के बीच संवादहीनता एक बड़ी वजह है। चिकित्सक और मरीज के आपसी सम्बन्धों में लगाव और सद्भभाव तभी सम्भव है जब दोनों के बीच संवाद स्थापित हो। इसी सहज संवाद और सहयोग से दोनों के मध्य भरोसा उत्पन्न होता है। 

रोगियों एवं चिकित्सकों के मध्य विश्वसनीयता के संकट के लिए कही न कहीं कुछ सीमा तक चिकित्सक भी जिम्मेदार हैं। व्यसायिकता एवं धनोर्पाजन की लालसा ने उन्हें सामाजिक सरोकारों से दूर कर दिया है। चिकित्सकों के लिए बनी आचार-संहिता पुस्तकों की शोभा बढ़ा रही है। मरीजों का शोषण और उन पर अनावश्यक जांचों का दबाव भी बढ़ रहा है। रोगियों से ज्यादा पैसे लेने के लिए तरह-तरह के हथकण्डे अपनाए जा रहे हैं बड़े-बड़े विज्ञापन पट एवं अनावश्यक डिग्रियाँ प्रदर्शित करने की होड़ लगी है और रोगों के उपचार के भ्रामक दावे प्रचारित कर रोगियों को गुमराह किया जा रहा है। बड़े-बड़े कारपोरेट घराने के पांच सितारा अस्पतालों ने रोगी को केवल उपभोक्ता माना है।

 निश्चित रूप से इस विश्वसनीयता के संकट के लिए केवल एक पक्ष जिम्मेदार नहीं है। कभी-कभी काम की अधिकता चिकित्सकों को चिड़-चिड़ा बना देती है और कभी-कभी वास्तव में रोगी की अनजाने में उपेक्षा भी हो सकती है और ऐसे में यदि किसी रोगी की जान जाती है तो उसके परिजनों का गुस्सा होना स्वाभाविक है। समाज में न तो सारे चिकित्सक सामाजिक सरोकारों से दूर है और न ही सारे रोगियों ने चिकित्सक को भगवान मानना बंद कर दिया है। 

 कोरोना काल में चिंकित्सकों ने अपनी जान जोखिम में डाल कर रोगियों की जान बचाने के लिए दिन रात मेहनत की है उनकी जितनी प्रशंसा की जाये वह कम है फिर भी अब समय आ गया है कि चिकित्सक एवं रोगी बिगड़ते आपसी संबंधों की समीक्षा करें। चिकित्सकों को धन एवं व्यवसायिकता का लोभ छोड़कर चिकित्सा कार्य को सेवा का कार्य बनाए रखे जिससे रोगियों में उनके प्रति विश्वास का संकट उत्पन्न न हो। रोगियों और परिजनों को भी चाहिए कि वह चिकित्सक को पूरा सहयोग देकर उसमें विश्वास बनाए रखें, जिससे की इस पवित्र पेशे में विश्वनीयता का माहौल बना रहे। यथा चिकित्सक पुनः भगवान के रूप मे माना जाने लगे। इन कार्यों के लिए सभी को मिल-जुलकर प्रयास करना होगा तभी अविश्वास के संकट से निपटा जा सकता है। आइए ’’डाक्टर्स डे’ के अवसर पर एक विश्वास का माहौल बनाने के लिए संकल्पबद्ध हों।

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

RELATED POSTS

COMMENTS

लेख

जीवन क्या है?

अध्यात्म January 05 2021 24042

अभी आपने अपने उन विचार और भावों को बहुत ज्यादा महत्व दिया हुआ है, जो आपके भीतर चल रहे हैं। आपने अपने

स्वास्थ्य

गुर्दा संबंधी विकार: कारण, रोकथाम और इलाज

लेख विभाग February 20 2022 31392

गुर्दे की बीमारियाँ ज्यादातर मधुमेह, उच्च रक्तचाप और धमनियों के सख्त होने के कारण होती है। हालाँकि इ

सौंदर्य

सफ़ेद बालों को काला बनाने के लिए लगाएं किचन में आसानी से मिल जाने वाली ये चीज

श्वेता सिंह September 05 2022 26457

अनहेल्दी लाइफस्टाइल, तनाव, प्रदूषण और कुछ बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों के

राष्ट्रीय

कोरोना के नए स्वरूप के मद्देनजर ‘प्रोएक्टिव’ रहने की आवश्यकता: मोदी

एस. के. राणा November 29 2021 28605

दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के नये स्वरूप का पता चलने और इसे लेकर दुनिया भर में पैदा हुई आशंकाओं

राष्ट्रीय

मणिपाल हॉस्पिटल दिल्ली ने कैंसर का एडवांस्ड उपचार शुरू किया।

हे.जा.स. December 23 2021 25461

रेडियोन्यूक्लाइड थेरेपी और नई रोबोटिक सर्जरी टीम के साथ मणिपाल हॉस्पिटल दिल्ली कैंसर रोगियों के लिए

उत्तर प्रदेश

इलाज के दौरान दो नवजात बच्चों की मौत, अस्पताल पर लगा लापरवाही का आरोप

विशेष संवाददाता May 25 2023 27297

मृतक बच्चों के पिता सर्वेश ने बताया कि प्रसव पीड़ा होने के दौरान पत्नी को जिला अस्पताल (District Hos

राष्ट्रीय

मैसूर के इंजीनियरिंग छात्रों ने दृष्टिहीन लोगों के लिए स्वचालित छड़ी तैयार की

आरती तिवारी September 26 2022 27799

यह स्टिक 4 महीने में बनकर तैयार हुई है। जिससे दृष्टिहीन दिव्यांग सड़क पर बेधड़क होकर चल सकेंगे। उन्ह

उत्तर प्रदेश

यूपी में 22 लाख कर्मचारियों, पेंशनर्स का होगा कैशलेस इलाज

आरती तिवारी November 09 2022 24589

यूपी के 22 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स के 75 लाख परिवारों के कैशलेस इलाज का रास्ता साफ हो गया है। चि

उत्तर प्रदेश

पदोन्नति को लेकर उपमुख्यमंत्री व अधिकारियों से मिला नर्सेज संघ

रंजीव ठाकुर May 11 2022 27691

महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ वेद व्रत सिंह व निदेशक नर्सिंग डा० रागिनी गुप्ता से उनके कार्यालय म

अंतर्राष्ट्रीय

अगर लंबी यात्रा के लिए निकलें है तो जरूर पहने मास्क: डब्ल्यूएचओ

हे.जा.स. January 14 2023 23200

स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया है कि XBB.1.5- अब तक पाया गया सबसे तेजी से फैलने वाला ऑमिक्रॉन सबवेरिए

Login Panel