लखनऊ राजधानी स्थित अमीनाबाद और रकाबगंज के बीच रस्सी बटान मोहल्ले में डॉ पिता-पुत्र एक साथ प्रैक्टिस करते हैं। डॉ अजमत अली कुरैशी बुजुर्ग हैं। वे आज भी लक्षण आधारित इलाज करते हैं। डॉ कुरैशी मरीजों से फीस नहीं लेते है। केवल दवाई के पैसे लिए जाते हैं। डॉ कुरैशी के पुत्र डॉ मोहम्मद यासिर कुरैशी एमबीबीएस एमडी और अपने पिता के साथ लोगों को सस्ती एवं अच्छी चिकित्सा मुहैया करवा रहे हैं। हेल्थ जागरण ने उन लोगों से बातचीत किया। उन लोगों ने हेल्थ जागरण के प्रयास को सराहा और शुभकामनाएं दिया। दोनों डॉक्टर्स ने बातचीत में सवालों के जवाब दिए।
हुज़ैफ़ा अबरार- आपके पास जो मरीज़ आतें हैं, वो ज़्यादातर गरीब होतें है ऐसे में आप उनका इलाज कैसे कर पातें हैं ?
डॉ अजमत कुरैशी- हमारी कोशिश होती कि मरीज़ों पर जाँच के नाम पर आर्थिक बोझ मत डाला जाये। मैं लक्षण के आधार पर इलाज करता हूँ।
हुज़ैफ़ा अबरार- इलाज डायगोनोसिस आधारित हो गया है। ऐसे में जब टिपिकल केस आतें हैं तब आप इलाज कैसे करतें हैं ?
डॉ अजमत कुरैशी- ऐसे में भी लक्षण आधारित दवाएँ देनी पड़ती हैं।
हुज़ैफ़ा अबरार- क्या गरीब मरीज़ को मुफ्त में भी इलाज देतें हैं ?
डॉ अजमत कुरैशी- अगर मरीज़ गरीब होता है तो हम कोशिश करतें हैं कि उस पर आर्थिक बोझ नहीं पड़े। हम अपनी तरफ से भी कुछ मदद करतें हैं।
हुज़ैफ़ा अबरार- क्या बदलते मौसम में ज़्यादा मरीज़ आतें हैं?
डॉ अजमत कुरैशी- हाँ, एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है, कोरोना काल में लोगों ने काढ़ा पीया, इम्युनिटी बूस्टर का सेवन किया और गरारा किया। इस कारण जाड़े में खाँसी के मरीज़ों की संख्या काफी काम हुई है। दवाएं महंगी होती जा रही हैं इसलिए आम आदमी की पहुँच से बाहर होती जा रहीं हैं।
हुज़ैफ़ा अबरार- बदलते मौसम में आदमी को क्या क्या एहतियात बरतने चाहिए ?
डॉ अजमत कुरैशी- जिनकी इम्युनिटी अच्छी होती है उन लोगों पर बदलते मौसम का ज़्यादा असर नहीं पड़ता है। बचपन से ही बच्चों के इम्युनिटी बढ़ाने के उपाय करने चाहिए।
रंजीव ठाकुर- कोरोना काल में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा ?
डॉ यासिर कुरैशी- कोरोना काल में डॉक्टर, सफाई कर्मचारी, एम्बुलेंस और पुलिस पर सारी ज़िम्मेदारियाँ थीं। सबने अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई
रंजीव ठाकुर- यहाँ बहुत सघन आबादी है। ऐसे में सोशल डिस्टैन्सिंग का पालन नहीं हो पता है। ऐसे में किस तरह के मरीज़ आ रहे थे और आप कैसे मरीज़ों को देख पा रहे थे ?
डॉ यासिर कुरैशी- अब तो इतना सोशल डिस्टैन्सिंग नहीं हो पा रहा है। केसेस भी काफी काम हो गएँ हैं। शुरुआत में लोगों ने सोशल डिस्टैन्सिंग का पूरा पालन किया।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 62814
सौंदर्या राय March 09 2023 0 72869
सौंदर्या राय March 03 2023 0 71001
admin January 04 2023 0 69942
सौंदर्या राय December 27 2022 0 57993
सौंदर्या राय December 08 2022 0 48895
आयशा खातून December 05 2022 0 103008
लेख विभाग November 15 2022 0 72373
श्वेता सिंह November 10 2022 0 77313
श्वेता सिंह November 07 2022 0 69254
लेख विभाग October 23 2022 0 56477
लेख विभाग October 24 2022 0 54920
लेख विभाग October 22 2022 0 63750
श्वेता सिंह October 15 2022 0 68472
श्वेता सिंह October 16 2022 0 67475
COMMENTS