लखनऊ। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर्स लगातार मरीजों के विश्वास को कायम रखते हुए एक के बाद एक जटिलतम सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दे रहे हैं। 48 घण्टे तक चले सर्जिकल प्रोसीजर के जरिये न केवल एक महिला स्केच आर्टिस्ट को उसकी आंखों की रोशनी वापस मिली बल्कि मष्तिष्क में बने एन्यूरिज्म से भी निजात मिला। यदि समय रहते इस सर्जरी को न अंजाम दिया गया होता तो यह एन्यूरिज्म कभी भी फटकर महिला के जीवन के लिए खतरा बन सकता था।
अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल (Apollomedics Hospital) के एमडी व सीईओ डॉ मयंक सोमानी ने बताया कि इस पूरी जटिल सर्जरी में 50 डॉक्टर्स और पैरामेडिक्स की टीम को लगभग 48 घण्टे का समय लगा। बिना थके अपने प्रोफेशनल कमिटमेंट को पूरा करते हुए टीम ने इस सर्जरी को अंजाम दिया और मरीज की जान बचाई। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल में सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स (superspecialist doctors) की इन-हाउस टीम होने के चलते हम ऐसी जटिल सर्जरी के मामले में कोई भी निर्णय बिना समय गंवाए ले सकते हैं।
इस सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम के प्रमुख डॉ सुनील कुमार सिंह, सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जरी (Neurosurgery) ने बताया कि यह अपने आप में इस तरह का पहला मामला है जिसमें न्यूरोसर्जरी के लिए रोगी के शरीर के रक्त प्रवाह को रोक दिया गया हो और उसके शरीर को (dead state) मृतप्राय अवस्था में ला दिया गया हो। इससे पहले इस तरह की जटिल सर्जरी सिर्फ दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों में ही मुमकिन थी।
मरीज की दोनों आंखों की रोशनी दो दिन के भीतर ही चली गईं। उस अवस्था मे जब उसकी गहन जांच हुई तो हुई तो मालूम पड़ा कि मष्तिष्क में एक बहुत बड़ा एन्युरिज्म डेवलप हो चुका था। जो उसकी आंखों की नर्व्स को दबा रहा था, जिससे आंखों की रोशनी चली गई थी। एन्युरिज्म (brain aneurysm) को दोनों तरफ से क्लिप किया जाना जरूरी था ताकि एन्यूरिज्म वाले स्थान को ब्लड सप्लाई को रोका जा सके।
ब्लड सप्लाई रुकने से यह एन्यूरिज्म स्वयं ही पिचक कर सामान्य स्थिति में आ जाता और आर्टरीज (arteries bunch) का गुच्छा खत्म हो जाता। इस जगह पर हमारी टीम ने दोनों तरफ से रक्तप्रवाह रोकने के लिए क्लिपिंग कर दी, लेकिन उसके बावजूद इस गुच्छे में रक्तप्रवाह हो रहा था। गुच्छा इतना बड़ा था कि उसके आसपास रक्तप्रवाह करने वाली आर्टरी को ढूंढना असंभव हो गया था।
डॉ प्रार्थना सक्सेना, कंसलटेंट न्यूरोसर्जरी ने कहा कि यह सर्जरी डॉक्टर्स के लिए बहुत बड़ा चैलेन्ज थी। मरीज को इस स्टेज में लाने के बाद डॉक्टर्स के पास केवल 30-35 मिनट का समय था और उससे पहले ही रक्त प्रवाह सामान्य करना था ताकि रक्त प्रवाह रुकने से मष्तिष्क को क्षति न पहुंचे। डॉक्टर्स ने सफ़लतापूर्वक अंजाम दिया और एन्यूरिज्म को ब्लड सप्लाई (blood supply) करने वाली आर्टरी को क्लिप कर दिया गया। इसके बाद मरीज के शरीर मे धीरे-धीरे रक्तप्रवाह को एक बार फिर से सामान्य स्थिति में लाया गया।
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