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रेज़र, नेल कटर, टूथब्रश और तौलिया शेयर करने से लीवर में गंभीर संक्रमण की समस्या हो सकती है

रेज़र, नेल कटर, टूथब्रश और यहां तक कि तौलिये जैसी वस्तुओं में खून के निशान हो सकते हैं, और उन्हें किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल करने के बाद कोई स्वस्थ व्यक्ति इस्तेमाल करता है तो उसमे हेपेटाइटिस C संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है।

रंजीव ठाकुर
April 18 2022 Updated: April 19 2022 02:09
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रेज़र, नेल कटर, टूथब्रश और तौलिया शेयर करने से लीवर में गंभीर संक्रमण की समस्या हो सकती है रीजेंसी हॉस्पिटल में वर्ल्ड लीवर डे 2022

लखनऊ। ख़राब जीवनशैली, तनाव और भोजन तथा पानी में विषाक्त पदार्थों की बढ़ती सामग्री ने हाल के सालों में लीवर सहित अन्य जीवनशैली से जुडी बीमारियों में खतरनाक वृद्धि कर दी है। लखनऊ के रीजेंसी सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के मरीजों और डॉक्टरों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि व्यक्तिगत देखभाल की वस्तुओं जैसे कि रेजर और नेल क्लिपर को शेयर करने से आपको हेपेटाइटिस B और हेपेटाइटिस C जैसे लीवर संक्रमण होने का खतरा हो सकता है।

रेज़र, नेल कटर, टूथब्रश और यहां तक कि तौलिये जैसी वस्तुओं में खून के निशान हो सकते हैं, और उन्हें किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल करने के बाद कोई स्वस्थ व्यक्ति इस्तेमाल करता है तो उसमे हेपेटाइटिस C संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है। हेपेटाइटिस C संक्रमण आमतौर पर दवाओं को इंजेक्ट करने वाली सुई या व्यक्तिगत उपकरण को किसी और के साथ शेयर करने से होता है। यह संक्रमण जीवाणुरहित उपकरणों का उपयोग करके टैटू या शरीर में चुभने  से भी फैल सकता है।

रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजी कंसल्टेंट- एमडी, डीएम डॉ प्रवीण झा ने कहा, "हेपेटाइटिस c से पीड़ित लोग अक्सर अपने साथ रहने वाले लोगों को संक्रमित कर देने को लेकर चिंतित रहते हैं।  हालांकि एचसीवी एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में नहीं फैलेगा जब तक कि खून से खून का सीधा संपर्क न हो । रेज़र, टूथब्रश, नेल कटर, और अन्य व्यक्तिगत स्वच्छता वाली वस्तुओं को शेयर करने से हेपेटाइटिस C फैल सकता हैं। व्यक्तिगत देखभाल वस्तुओं के अलावा अध्ययनों में कहा गया है कि खून और खून से पैदा हुए वायरस के साथ नाई के बाल क्लिपर्स भी इस संक्रमण को फैला सकते हैं। स्टडी में संक्रमण फैलने का खतरा पैदा करने के लिए पर्याप्त डीएनए प्रतियों के साथ हेपेटाइटिस B का पता चला था। हमें कई केसेस मिल रहे हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों से जहां लोग व्यक्तिगत स्वच्छता को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं। जब व्यक्तिगत स्वच्छता की बात आती है तो कुछ प्रोटोकॉल का पालन करना आवश्यक हो जाता है।"

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हेपेटाइटिस  C से संक्रमित होना आसान नहीं है। अगर हम कुछ सावधानियां बरतते हैं, तो यह बीमारी किसी और को नही हो सकती है। यह बीमारी केवल एक संक्रमित व्यक्ति के खून के संपर्क में आने से फैलती है। अगर किसी ने कभी स्टेरॉयड या टैनिंग उत्पादों या अन्य दवाओं का इंजेक्शन लगाया है, भले ही यह केवल एक बार या कुछ समय पहले तो उन्हें इसके लिए जाँच करवानी चाहिए। लोगों को टेस्ट के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया जाए हालांकि यह भी याद रखना चाहिए कि यह खांसने, छींकने, छूने, स्तनपान, बर्तन या चश्मा शेयर करने, संपर्क, भोजन और पानी साझा करने और मच्छर या अन्य कीड़ों के काटने से नहीं फैल सकता है।

रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजी कंसल्टेंट- डीएम- एमडी डॉ अनुराग मिश्रा ने इस सम्बन्ध में अपनी राय रखते हुए कहा, "हेपेटाइटिस C वायरस धीरे-धीरे कई सालों में लीवर को नुकसान पहुंचाता है। यह नुकसान अक्सर स्थायी सूजन और अपरिवर्तनीय निशान (सिरोसिस) हो सकता है। अक्सर लोगों में लीवर की बीमारी के कोई लक्षण या संकेत नहीं नज़र आते हैं या सिरोसिस विकसित होने तक सालों या दशकों तक केवल हल्के लक्षण हो सकते हैं। लेकिन हेपेटाइटिस B संक्रमण से जुड़ी सूजन से लीवर में व्यापक घाव (सिरोसिस) हो सकता है, जो लीवर की कार्य करने की क्षमता को ख़राब कर सकता है। लीवर के संक्रमण का पता लगाना  मुश्किल होता है। हेपेटाइटिस-बी वायरस के संक्रमण me 10- 20% रोगी को बुखार, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते हो जाते हैं। इन लक्षणों के बाद लगभग 30% रोगियों में पीलिया की शुरुआत होती है। 2/3 रोगियो में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। हेपेटाइटिस-बी संक्रमण के 80% मरीज 1-3 महीने के भीतर ठीक हो जाते हैं। बाकी 10 से 20% मरीज को क्रोनिक हेपेटाइटिस-बी हो जाता हैं।"

हेपेटाइटिस एक सायलेंट महामारी है। इसके फैलने का सबसे महत्वपूर्ण कारण जागरूकता की कमी है। हेपेटाइटिस  B और C एचआईवी से कई गुना ज्यादा संक्रामक हैं, लेकिन दुर्भाग्य से 10 प्रतिशत से भी कम संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। लंबे समय तक पता न चलने पर यह लीवर की बीमारी, लीवर कैंसर और सिरोसिस की समस्या पैदा कर सकता है। भारत में लगभग 40 मिलियन लोग लंबे समय से हेपेटाइटिस B से संक्रमित हैं और 6 से 12 मिलियन लोग लंबे समय से हेपेटाइटिस C से संक्रमित हैं।

हेपेटाइटिस B एक अन्य लीवर संक्रमण है जो हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के कारण होता है। यह संक्रमण काफी हद तक एचआईवी की तरह फैलता है। यह संक्रमित व्यक्ति के खून, वीर्य और योनि स्राव में पाया जाता है। एचआईवी की तुलना में हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होना आसान है क्योंकि यह संक्रमित व्यक्ति के खून में 100 गुना ज्यादा केंद्रित हो सकता है।

रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के (जीआई सर्जरी), एमएस एम. सीएच.- डॉ प्रदीप जोशी ने कहा, "हेपेटाइटिस C के इलाज अब इतने अच्छे हो चुके हैं कि वे लगभग 100 प्रतिशत केसेस को ठीक कर सकते हैं। अगर आपका तुरंत इलाज किया जाता है, तो आप न केवल अपने लीवर को खराब होने से बचा सकते हैं, बल्कि आप इस बीमारी को दूसरों में फैलने की संभावना को भी कम कर सकते हैं। हेपेटाइटिस C के लिए कोई वैक्सीन नहीं है लेकिन वायरस के संपर्क में आने के तुरंत बाद एक वैक्सीन और एचबीआईजी (हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोब्युलिन) लगवा करके हेपेटाइटिस B संक्रमण को रोका जा सकता है।

जिन व्यक्तियों को हाल ही में एचबीवी संक्रमण हुआ है, उन्हें जल्द से जल्द एचबीआईजी और वैक्सीन लगवाना चाहिए। उन्हें संक्रमण के संपर्क के आने के 24 घंटों के अंदर या एक्सपोजर के 2 हफ्ते से कम समय में वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए । हेपेटाइटिस C को रोकने का सबसे अच्छा तरीका उन आदतों से बचना है जो बीमारी को फैला सकते हैं, विशेष रूप से दवाओं का इंजेक्शन लगाने से बचना चाहिए। हेपेटाइटिस B और C के लिए टेस्ट करवाना महत्वपूर्ण है क्योंकि इलाज से हेपेटाइटिस C से पीड़ित अधिकांश लोगों को 8 से 12 हफ्ते में ठीक किया जा सकता है। हेपेटाइटिस B और C का इलाज एंटीवायरल दवा से किया जा सकता है।"

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