लखनऊ। आमतौर पर धारणा है कि पैकैज्ड फूड और अल्कोहल अधिकता से लिवर डैमेज हो जाता है लेकिन कई रिसर्च से यह बात साबित हो चुकी है कि विशुद्ध सात्विक व सादा जीवन व्यतीत करने वाले इंसान का लिवर भी बीमारियों का शिकार हो सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण है फलों-सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग। ऐसे अधिकतर लिवर के मरीजों में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFLD) जैसी बीमारी पाई जा रही है।
अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी सर्जरीज के कंसलटेंट डॉ आशीष कुमार मिश्रा बताते हैं, "शरीर में रक्त को साफ रखने में लिवर की बड़ी भूमिका होती है, जो शरीर टॉक्सिंस को फ़िल्टर कर बाहर निकाल देता है। बाजार में मिलने वाले फलों और सब्जियों में मिलने वाले पेस्टिसाइड्स से लीवर पर टॉक्सिंस का बोझ बढ़ जाता है और उसकी कार्य-प्रणाली पर भी असर पड़ता है। पेस्टिसाइड्स की वजह से हेपेटाइटिस, लिवर डैमेज,चक्कर, उल्टी और पीलिया आदि रोग के मामले बढ़ने लगे हैं। बाजार में ऐसे प्रोडक्ट्स हैं जो सब्जियों और फलों में मौजूद पेस्टिसाइड्स के प्रभाव को काफी हद तक कम कर देते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि ऐसे प्रोडक्ट प्राकृतिक तत्वों से बने हों न कि किसी केमिकल से।"
लिवर मानव शरीर के महत्वपूर्ण अंगों मे से एक है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को अपशिष्ट में परिवर्तित कर रक्त को साफ करता है। लेकिन जब लिवर पर विषाक्त पदार्थों का बोझ बढ़ जाए तो तरह-तरह की व्याधियां उत्पन्न होने लगती हैं और इसका असर सीधा लिवर की क्रियाशीलता पर पड़ता है। शरीर में विषाक्त पदार्थों का स्तर बढ़ने का सबसे कारण है, हमारे भोजन मे शामिल फलों और सब्जियों का विषाक्त होना।
जी हां, सही पढ़ा,आपने कि हमारी-आपकी थाली में फलों और सब्जियों के रूप में जहर पड़ा हुआ है। इसे किसी और ने नहीं बल्कि हमने ज्यादा उत्पादन पाने के लालच में कीटनाशकों का उपयोग कर इन्हें जहरीला बना दिया है। यह तथ्य भारत सहित विश्व भर में हुए अध्ययन से साबित हो चुका है कि फलों और सब्जियों में मौजूद कीटनाशकों के चलते लिवर की बीमारियों में वृद्धि हुई है।
फलों और सब्जियों की फसल में कीटनाशकों के चलते लिवर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के विषय में आईआईटी मंडी के साइंटिस्ट्स ने भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोध परिषद (सीएसआईआर) के भारतीय विष विज्ञान शोध संस्थान लखनऊ और रसायन एवं जीव विज्ञान विभाग-जामिया हमदर्द, नई दिल्ली के रिसर्च स्कालर्स के साथ मिलकर रिसर्च की। इस शोध मे यह बात सामने आई कि कीटनाशकों व आसपास के वातावरण में पाया जाने वाले लेड पीबी 2 प्लस साल्ट की वजह से लिवर में चर्बी बढ़ रही है। इसके चलते पतले लोग भी मेटाबॉलिकली मोटे और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग से पीड़ित हो सकते हैं।
इसके अलावा अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च की गोष्ठियों में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट्स के अनुसार, कीटनाशकों के प्रभाव से अकेले अमेरिका मे लीवर कैंसर का जोखिम 71 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च के साइंटिस्ट्स के अनुसार दुनिया भर के देशों में हो रहे शोधों के नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं। लीवर कैंसर दुनिया में छठा सबसे आम कैंसर है और कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़ों के कैंसर के बाद सबसे बड़ा कारण है।
एस. के. राणा March 07 2025 0 20313
एस. के. राणा March 06 2025 0 20091
एस. के. राणा March 08 2025 0 18870
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 17982
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 14319
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 12987
सौंदर्या राय May 06 2023 0 80130
सौंदर्या राय March 09 2023 0 84857
सौंदर्या राय March 03 2023 0 83322
admin January 04 2023 0 84927
सौंदर्या राय December 27 2022 0 74310
सौंदर्या राय December 08 2022 0 64102
आयशा खातून December 05 2022 0 117549
लेख विभाग November 15 2022 0 87247
श्वेता सिंह November 10 2022 0 99624
श्वेता सिंह November 07 2022 0 85571
लेख विभाग October 23 2022 0 70463
लेख विभाग October 24 2022 0 72125
लेख विभाग October 22 2022 0 79401
श्वेता सिंह October 15 2022 0 85566
श्वेता सिंह October 16 2022 0 80351
इस समझौते के तहत वैज्ञानिक तौर पर मानक स्थापित किए जाएंगे। पीसीआईएमएच के निदेशक और प्रभारी प्रोफेसर
मेरी सरकार और जनता की तरफ से, मैं कोविशील्ड टीकों के सबसे उदार दान के लिए आपकी सरकार और गणतंत्र की ज
दिल्ली में स्थित केंद्र सरकार के चार अस्पतालों में साढ़े छह साल में औसतन करीब 70 बच्चों की हर महीने
बालकेशरा हॉस्पिटल की ओर से आज अस्पताल परिसर में निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। जा
अविनाश राय खन्ना ने बताया की यह मेडिकल कॉलेज का अंडर निर्माण चल रहा है। जिसको बहुत ही जल्दी जनता को
हेल्थ जागरण आज चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों को लेकर एक अति विशेष जानकारी बताने जा रह
लोहिया संस्थान में वर्ष 2016 में 456 गैर शैक्षणिक पदों की मंजूरी मिली थी। इनमें कंप्यूटर आपरेटर, टेक
डब्ल्यूएचओ द्वारा प्राथमिकता वाले रोगजनकों की इस लिस्ट में कोविड-19, इबोला वायरस, मारबर्ग वायरस, लस्
किसी बंद स्थान पर अधिकतम 200 व्यक्तियों या उस स्थान की क्षमता के पचास फीसदी लोग को ही एक साथ उपस्थित
राजधानी का सशस्त्र बल चिकित्सा आपूर्ति डिपो 19-21 सितंबर 2022 तक 'चिकित्सा आपूर्ति श्रृंखला और रसद म
COMMENTS