गोरखपुर। कोरोना के मरीज भले ही कम हो गए हों पर जिन्हें यह बीमारी एक बार हो गई, उनके लिए आने वाले दिन लगता है शारीरिक रूप से बहुत सुकुनदायक नहीं रहेंगे। अभी तक तो यह माना जा रहा था कि इस बीमारी से लंग्स ही सबसे ज्यादा प्रभावित होता है लेकिन एक अध्ययन में सामने आया है कि इस बीमारी से अब किडनी (KIDNEY) भी डैमेज होने लगी है। अर्थात, कोरोना का सीधी असर किडनी पर पड़ा है। चौंकिए मत। यह सत्य है।
गोरखपुर में दो दिनों तक यूएकान (UACON) का सेमिनार हुआ। इस सेमिनार में केजीएमसी के यूरोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. एसएन शंखवार ने कहा कि कोरोना वायरस ने दरअसल किडनी का बोझ बढ़ा दिया है। डाक्टरों ने जिन मरीजों को स्टेरायड दिये थे, उसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। स्टेरायड (steroid) का सीधी असर किडनी की फंक्शनिंग पर पड़ा है। अब किडनी के मरीजों की संख्या में एकाएक 20 फीसद से ज्यादा की वृद्धि हो गई है।
इस सेमिरनार में यूरोलाजी (urology) के 200 से ज्यादा डाक्टर मौजूद थे। डा. शंखवार ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद किडनी के मरीजों की संख्या में 20 फीसद से ज्यादा का इजाफा हुआ है। सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव यह रहा कि मरीज बीमारी के एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंच रहे हैं। इससे उनके इलाज में काफी दिक्कत जा रही है।
बार-बार टॉयलेट जा रहे हों तो सतर्क हो जाएं
यूरोलॉजिस्ट डॉ. अरविंद तिवारी और डॉ. दिलीप मणि ने बताया कि दिनभर में औसतन छह से आठ बार यूरीन के लिए टॉयलेट जाना चाहिए। अगर 24 घंटे में पेशाब करने के लिए इससे ज्यादा बार जा रहे हों तो सतर्क हो जाएं। यह किसी बड़ी बीमारी की ओर इशारा हो सकता है। बार-बार टॉयलेट जाना ओवर एक्टिव ब्लेडर का लक्षण हो सकता है, जो किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि ब्लेडर को ठीक रखा जाए। हर महीने ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें ओवर एक्टिव ब्लेडर की वजह से संक्रमण और किडनी को नुकसान हो रहा है।
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