लखनऊ। अंगदान को लेकर अपने देश में जागरूकता का अभाव है और लोग केवल खास रिश्तेदार या मित्र को ही अंगदान करते हैं। ब्रेन डेड हुए लोगों के अंग भी जागरुकता के अभाव में किसी दूसरे शरीर के काम नहीं आ पाते हैं। अंग प्रत्यारोपण को लेकर भ्रांतियां टूटनी चाहिए और समाज को अंगदान के लिए स्वयं आगे बढ़ कर आना चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के चलते अंगदान को नकारने वालों को महर्षि दधिचि का उदाहरण याद करना चाहिए कि परोपकार के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण शरीर दान कर दिया था। अंगदान को इस रूप में भी देखा जाना चाहिए कि मृत्यु के पश्चात अंगदान (organ donation) का प्रण लेने वाले न केवल कई व्यक्तियों को नया जीवनदान देते हैं बल्कि मृत्यु के पश्चात भी वे अलग-अलग व्यक्तियों में किसी न किसी रूप में जीवित रहते हैं।“
राजधानी के अपोलो अस्पताल (Apollomedics Hospital) ने अंगदान जागरुकता को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें अंग प्रत्यारोपण (organ transplantation) से जुड़े अपोलो के सभी डॉक्टर्स मौजूद रहें।
अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के सीईओ व एमडी डॉ. मयंक सोमानी ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार प्रति वर्ष लगभग 2 लाख व्यक्ति किडनी फेलियर से पीड़ित होते हैं, जबकि इनमें से केवल लगभग 6000 को ट्रांसप्लांट के लिए किडनी मिल पाती है। इसी तरह प्रति वर्ष 2 लाख रोगियों की मृत्यु लिवर फेल होने या लीवर कैंसर से होती है, जिनमें से लगभग 10-15% को समय पर लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplants) कर बचाया जा सकता है।
भारत में प्रति वर्ष लगभग 30 हजार लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है लेकिन केवल डेढ़ हजार लोगों को ही ट्रांसप्लांट मिल पाता है। इसी तरह हर साल लगभग 50,000 व्यक्तियों को हार्ट ट्रांसप्लांट (heart transplants) की आवश्यकता होती है लेकिन प्रति वर्ष मुश्किल से 10 से 15 ही हार्ट ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। आंखों के मामले में लगभग एक लाख लोगों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, जबकि उसके मुकाबले प्रति वर्ष लगभग 25,000 लोगों को ही कॉर्निया ट्रांसप्लांट (cornea transplants) मिल पाते हैं।
डॉ सोमानी अंगदान के बारे में विस्तार से बताते हुए कहते हैं, "किसी मृत व्यक्ति के शरीर से मिले लिवर को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है और 2 जरुरतमन्द रोगियों के शरीर में इसे ट्रांसप्लांट कर उनकी जान बचाई जा सकती है। इसी तरह फेफड़ों को 2 रोगियों के शरीर में ट्रांसप्लांट कर उनकी जान बचाई जा सकती है। किड्नी भी दो रोगियों को जीवेनदान दे सकती है। जबकि दिल व अग्न्याशय एक-एक रोगी के शरीर में ट्रांसप्लांट कर उनकी जान बचाई जा सकती है। इस तरह से मृत्यु के बाद भी कोई व्यक्ति अंगदान कर 8 गंभीर रोगियों को जीवन दान दे सकता है।"
डॉ सोमानी ने अपोलोमेडिक्स के उन सभी कुशल डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ का आभार जताया और बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट प्रो अमित गुप्ता के कुशल निर्देशन व नेतृत्व में हुआ जिसमें डॉ शहजाद आलम, डॉ आदित्य के शर्मा, डॉ (ब्रिगेडियर) आनंद श्रीवास्तव, डॉ शशिकांत गुप्ता, डॉ सुजीत शेखर सिन्हा व डॉ जॉनी अग्रवाल शामिल थे। जबकि लिवर ट्रांसप्लांट टीम को डॉ आशीष कुमार मिश्रा ने लीड किया, जिसमें डॉ वलीउल्लाह सिद्दीकी, डॉ राजीव रंजन सिंह व डॉ सुहांग वर्मा शामिल थे।
डॉ मयंक सोमानी ने जानकारी देते हुए कहा, "यदि जीवित व्यक्ति भी अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार को अपने लिवर का एक हिस्सा दान में देता है तो उसका लिवर चार हफ्तों में पुनः अपने वास्तविक आकार में विकसित हो जाता है और दानकर्ता और प्राप्तकर्ता कुछ ही समय में स्वस्थ जीवन जीने लगते हैं। इसी प्रकार स्वस्थ व्यक्ति यदि अपनी एक किडनी दान कर देता है तो एक जरूरतमंद रोगी को जीवनदान मिल जाता है। सामान्य व स्वस्थ व्यक्ति के लिए शरीर में एक किडनी का होना पर्याप्त है।"
डॉ मयंक सोमानी ने बताया, “हाल ही में एक हादसे में 21 वर्षीय युवक के ब्रेनडेड हो जाने के बाद उनके परिजनों ने मानवता के हित में दूसरे मरीजों को जीवनदान देने के लिए अंगदान की प्रक्रिया अपनाने का फैसला लिया। उत्तर प्रदेश में अपोलोमेडिक्स पहला ऐसा अस्पताल है जहां हमने पहली बार कैडेबर से अंगों का प्रत्यारोपण किया। हमने 48 घंटे के भीतर 4 सफल अंग प्रत्यारोपण किया, जिनमें 2 लीवर और 2 किडनी ट्रांसप्लांट शामिल हैं।“
डॉ सोमानी ने बताया, “एनसीआर के अतिरिक्त अपोलोमेडिक्स यूपी का पहला प्राइवेट हॉस्पिटल है, जिसे अन्य अंगों के प्रत्यारोपण के साथ-साथ हृदय और फेफड़े के प्रत्यारोपण के लिए भी लाइसेंस प्राप्त है। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल में सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की इन हाउस टीम 24x7 मौजूद रहती है, जो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होने पर शीघ्र निर्णय लेकर समय रहते ट्रांसप्लांट कर मरीज की जान बचा सकती है।”
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 3885
हुज़ैफ़ा अबरार March 21 2025 0 3441
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 11211
एस. के. राणा March 06 2025 0 9213
एस. के. राणा March 07 2025 0 8880
एस. के. राणा March 08 2025 0 7992
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 11211
एस. के. राणा March 06 2025 0 9213
एस. के. राणा March 07 2025 0 8880
एस. के. राणा March 08 2025 0 7992
British Medical Journal February 25 2025 0 5772
सौंदर्या राय May 06 2023 0 77244
सौंदर्या राय March 09 2023 0 82637
सौंदर्या राय March 03 2023 0 80769
admin January 04 2023 0 81708
सौंदर्या राय December 27 2022 0 71757
सौंदर्या राय December 08 2022 0 61438
आयशा खातून December 05 2022 0 113553
लेख विभाग November 15 2022 0 84472
श्वेता सिंह November 10 2022 0 94962
श्वेता सिंह November 07 2022 0 83018
लेख विभाग October 23 2022 0 68021
लेख विभाग October 24 2022 0 69350
लेख विभाग October 22 2022 0 76182
श्वेता सिंह October 15 2022 0 82680
श्वेता सिंह October 16 2022 0 77687
शहर के एक अस्पताल में जीका संक्रमित महिला के प्रसव का पहला मामला सामने आया है। काजीखेड़ा निवासी प्रत
पशुपालन विभाग जिला सोलन के उपनिदेशक बीबी गुप्ता ने बताया कि जिले में अलर्ट कर दिया है।
अब तक 500 से अधिक आवेदन भेजे जा चुके हैं। अलग-अलग संवर्ग के इन आवेदनों में कहा गया है कि संबंधित व्य
नए एसओपी के अनुसार, निर्मित कुल टीकों का 75 प्रतिशत केंद्र द्वारा खरीदा जाएगा, जबकि 25 प्रतिशत निजी
शाम्भवी डायग्नोस्टिक सेंटर के डायरेक्टर सर्वेन्द्र विक्रम सिंह ने बताया कि शहर का बढ़ता प्रदूषण लोगों
गर्मी में त्वचा का अधिक ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। वहीं खीरे का टोनर त्वचा को ताजगी देने और उसे र
भव्य एमबीजे कल्याण हॉस्पिटल का उद्घाटन किया गया। जिसका उद्घाटन नगर पालिका चेयरमैन अलका सिंह ने फीता
अलीगढ़ जिले में बुखार, डेंगू और मलेरिया तीनों मिलकर तांडव मचा रहे हैं। आलम यह है मंगलवार को दीन दयाल
गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को गुजरात दौरे पर पहुंचे। जहां गांधीनगर में 750 बिस्तरों वाले आधुनिक
COMMENTS