लखनऊ। सफर करते समय या अपना सामान भेजते हुए हम सुरक्षित भरोसेमंद यात्रा की कामना तो करते हैं लेकिन यह कभी नहीं सोचते कि जो आंखें हमारे सफ़र को आसान बनाती है वे कितनी जांची परखी हैं। ट्रक ड्राइवर्स की आंखों की जांच और फिर उन्हें चश्मा देने का पुनीत कार्य एक संस्था द्वारा किया जा रहा है जो कि एक बड़ी सामाजिक पहल है। कई बार ऐसा होता है जब ड्राइवर अपनी आंखों की नियमित जांच नहीं करवाते हैं और इसका खामियाजा बहुत से लोगों को भुगतना पड़ सकता है।
ट्रक ड्राइवर्स (truck drivers) की निःशुल्क आँखों की जाँच और चश्मा (spectacle) वितरण का कार्यक्रम रायबरेली रोड और कानपुर रोड को जोड़ने वाले राजमार्ग के बीच विगत एक सप्ताह से चल रहा है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highway), भारत सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम का आयोजन स्वास्तिक समाज कल्याण एवं शिक्षा संस्थान द्वारा किया जा रहा था।
हेल्थ जागरण ने शिविर में पहुंच कर देखा कि एक व्यक्ति की आंखों की जांच (eyes check up) की जा रही थी और उन्हें मुफ्त चश्मा भी दिया गया। जब हमने उस व्यक्ति से पूछा तो उन्होंने संतुष्टि जताते हुए कहा कि उन्हें ठीक से दिखाई नहीं देता था और अब बड़ी जरूरत पूरी हो गई है।
हेल्थ जागरण ने स्वास्तिक समाज कल्याण संस्थान के अधिशासी अधिकारी रमेश कुमार पाण्डेय से खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि एक तो जागरूकता के अभाव में ड्राइवर्स जल्दी आंखों की जांच करवाने को तैयार नहीं होते हैं दूसरे कुछ लोग मुफ्त चश्मा मिलने को लेकर कतराने लगते हैं।
आज कार्यक्रम के अंतिम सातवे दिन लक्ष्य प्राप्ति के साथ सफलता पूर्वक ट्रक ड्राइवर्स की निःशुल्क आँख जाँच, चश्मा वितरण के एक सप्ताह के कार्यक्रम के समापन कार्यक्रम में चौकी प्रभारी भागूखेड़ा शैलेश तिवारी व हेड कांस्टेबल ओम प्रकाश, ग्राम प्रधान राम फल के साथ संथ के पदाधिकारी व सामाजिक कार्यकर्ताओ के साथ साथ डॉक्टर (doctors), ऑप्टीशीयन (opticians) और उनकी टीम भी मौजूद रही।
आज भी कार्यक्रम सामाजिक संस्था स्वस्तिक समाज कल्याण एवं शिक्षा समिति द्वारा आँख के डॉक्टर और उनके सहयोगी प्रशिक्षित समूह और संस्था के सहयोगी और कार्यकर्ताओं और ऑप्टोटेक्निशन (optotechnicians) नियाज खान और अर्हम खान, अनुपमा त्रिपाठी, जय श्रीवास्तव व संस्था के अध्यक्ष अभिराम द्विवेदी व अधिशाषी निदेशक रमेश कुमार पाण्डेय द्वारा आयोजित किया गया।
आज शिविर में लगभग 85 ड्राइवर्स की आंखों की नि: शुल्क जांच करके 77 लोगों को चश्मा दिया गया। ड्राइवर्स को आंख की रख रखाव व सुरक्षा के उपाय भी बताये गए और ड्राइवर्स ने शिविर में बढ़ चढ़कर भाग लिया तथा लाभ प्राप्त किया। कार्यक्रम का समापन संस्था द्वारा 6 बजे सभी सहयोगियों और टीम को धन्यवाद के साथ किया गया और कार्यक्रम लक्ष्य प्राप्ति के साथ सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 3774
हुज़ैफ़ा अबरार March 21 2025 0 2775
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 11211
एस. के. राणा March 06 2025 0 8991
एस. के. राणा March 07 2025 0 8658
एस. के. राणा March 08 2025 0 7770
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 11211
एस. के. राणा March 06 2025 0 8991
एस. के. राणा March 07 2025 0 8658
एस. के. राणा March 08 2025 0 7770
British Medical Journal February 25 2025 0 5772
सौंदर्या राय May 06 2023 0 77244
सौंदर्या राय March 09 2023 0 82637
सौंदर्या राय March 03 2023 0 80769
admin January 04 2023 0 81708
सौंदर्या राय December 27 2022 0 71757
सौंदर्या राय December 08 2022 0 61438
आयशा खातून December 05 2022 0 113553
लेख विभाग November 15 2022 0 84472
श्वेता सिंह November 10 2022 0 94962
श्वेता सिंह November 07 2022 0 83018
लेख विभाग October 23 2022 0 68021
लेख विभाग October 24 2022 0 69350
लेख विभाग October 22 2022 0 76182
श्वेता सिंह October 15 2022 0 82680
श्वेता सिंह October 16 2022 0 77687
हर साल 24 मार्च को हम विश्व टी.बी. दिवस के रूप में मनाते हैं। इस साल ‘विश्व टीबी दिवस 2022’ की थीम ‘
मोतियाबिंद की परेशानी से जूझते बिहार के लोगों के लिए राज्य सरकार ने बड़ी घोषणा की है। उप मुख्यमंत्री
सामान्य तौर पर हर 15 से 20 दिन में हेयर डिटॉक्स करना चाहिए। यदि आपके बाल प्रदूषण के संपर्क में ज्याद
पुर्तगाल में एक युवती ने कथित तौर पर जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है, चौका देने वाली बात ये हैं की दोन
स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर की लगी हुई आग बुझने की जगह भड़कती ही जा रही है। अब स्वास्थ्य विभाग के सम
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सालय में व्हील चेयर, स्टेचर की सुविधाओं, मरीज तथा उनके तीमारदारों के ब
आयुर्वेद में अगस्त्य जड़, फूल और फलों का उपयोग दवाइयां बनाने के लिए भी किया जाता है। इसमें आयरन, विट
डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है और इसे कंट्रोल करना मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं है। आयुर्वेदिक च
ओमिक्रोन से काफी आशंकित थे, लेकिन जनवरी के बाद हमें राहत मिली। जब अधिकांश मामले अलक्षणी व हल्के लक्ष
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से सोमवार को जारी बयान में दवा निर्माताओं से केवल फार्मास्युटिकल-ग्रेड स
COMMENTS