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खराब लाइफ स्टाइल से बढ़ रहा गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस और रीढ़ की हडडी में चोट का खतरा: डॉ रोहित

रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के हडडी रोग विशेषज्ञों ने कहा कि शारीरिक रूप से सक्रिय न रहने के कारण ऑस्टियोपोरोसिस, मांसपेशियों और जोड़ों का कमजोर होना, रीढ़ की चोट और अर्थरायटिस होने का खतरा बढ़ गया है।

हुज़ैफ़ा अबरार
October 14 2022 Updated: October 14 2022 13:42
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खराब लाइफ स्टाइल से बढ़ रहा गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस और रीढ़ की हडडी में चोट का खतरा: डॉ रोहित प्रतीकात्मक चित्र

लखनऊ। जब से वर्क फ्रॉम होम कल्चर हमारे बीच आया है तब से जोड़ों के दर्द रीढ़ से संबंधित समस्याओ में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल (Regency Superspecialty Hospital) लखनऊ के हडडी रोग विशेषज्ञों ने कहा कि शारीरिक रूप से सक्रिय न रहने के कारण ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis), मांसपेशियों और जोड़ों का कमजोर होना, रीढ़ की चोट और अर्थरायटिस होने का खतरा बहुत बढ़ गया है।

 

रीजेंसी हॉस्पिटल की ओपीडी (OPD) में हफ्ते में औसतन 20 केस जोड़ों की समस्या के आ रहे हैं। आनुवंशिक प्रवृत्ति के अलावा, शारीरिक रूप सक्रिय न रहने और आलस भरी लाइफ  स्टाइल के कारण अर्थरायटिस सबसे ज्यादा हो रहा है। कई मरीज़ कॉर्पोरेट ऑफि सों में नौकरी करते हैं,वह इस दौरान दिन में करीब 9 घंटे तक एक डेस्क पर बैठे रहते हैं। जब भी जोड़ों की समस्या हो तो समस्या के गंभीर होने से पहले डायग्नोसिस (diagnosis) करा लें। लोगों को अगर जोड़ों की समस्या का कोई भी संकेत दिखता है तो उसे नजऱअंदाज नहीं करना चाहिए। एक हफ्ते से ज्यादा समय तक रहने वाले दर्द के बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

डॉ रोहित जैन

रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल लखनऊ के कंसलटेंट ऑर्थोपेडिक्स (Orthopedics) स्पोट्र्स मेडिसिन एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट डॉ रोहित जैन ने कहा रिमोट वर्किंग से युवाओं में रीढ़ से संबंधित कई समस्याएं पैदा हो गई हैं। एक औसत वयस्क प्रतिदिन नौ घंटे बैठकर डेस्क पर काम करता है। लंबे समय तक बैठने से टाइप 2 डायबिटीज (diabetes) होने का खतरा दोगुना हो जाता है, हृदय की बीमारी (heart disease) का खतरा 10 से 20 प्रतिशत बढ़ जाता है।

 

इसके अलावा खराब सिटिंग एर्गोनॉमिक्स जैसे झुकना या बहुत ज्यादा या बहुत कम वर्कस्टेशन का उपयोग करने से मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द हो सकता है। रीढ़ से संबंधित बीमारियों की घटना, विशेष रूप से आईटी प्रोफेसनल्स रिसेप्शन और डेस्क पर काम करने वाले लोगों में आश्चर्यजनक रूप से ज्यादा बढ़ी है। इसलिए इन बीमारियों का जल्दी पता लगाना समय की आवश्यकता है। जब भी आपको लगे कि आपको इस तरह की कोई समस्या हो सकती है तो आप एक्सरसाइज करना शुरू कर दें और अपने खानपान में बदलाव करें।

 

डॉक्टर ने सुझाव दिया कि पीठ के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए हर एक घंटे के बाद थोड़े समय के लिए ब्रेक लेना चाहिए। सीट से उठना और फोन कॉल करते समय चलने से समस्या कम हो सकती है। आप जिस कुर्सी या सोफे पर बैठते हैं वह आपके पीठ के लिए सही है, उसे समझें और जो चीज सही हो उसे इस्तेमाल करें।

 

डॉ रोहित जैन (Dr Rohit Jain) ने कहा ऑफिस में काम के दौरान कर्मचारियों को पूरे दिन कुर्सी पर बैठने की जरूरत होती है। इसलिए हर घंटे के बाद 10 मिनट का ब्रेक लेने की आदत डालनी चाहिए। अपने शरीर को स्ट्रेच करना और थोड़ा टहलना आपके जोड़ों और मांसपेशियों पर खिंचाव को कम करने का शानदार तरीका हो सकता है। मैं लोगों को सलाह देता हूँ कि नियमित अंतराल पर अपने विटामिन के स्तर की जांच करवाएं ताकि वे जान सकें कि उन्हें विटामिन डी सप्लीमेंट लेना चाहिए या नहीं।

 

पौष्टिक भोजन खाना और सुबह में धूप सेंकने से आप हर दिन विटामिन डी डोज पा सकते हैं। नियमित रूप से एक्सरसाइज करना दौडऩा या साइकिल चलाना लाइफ स्टाइल का हिस्सा बनाये। कभी-कभी जोड़ों का दर्द यूरिक एसिड के जमा होने के कारण भी होता है। इसलिए यह जरूरी है कि लोग अपने यूरिक एसिड (uric acid) और विटामिन डी (vitamin D) के स्तर की जांच करवाते रहें। किसी भी बीमारी के लिए रोकथाम इलाज से बेहतर होती है। इसलिए इस तरह से सावधानी बरतें कि बीमारी को होने ही दें, तो इलाज करने की नौबत ही नहीं आएगी।

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