पहले कुछ लोगों में घुटने का दर्द 60,65 साल बाद देखने को मिलता था लेकिन आजकल अनियमित जीवनशैली, जंक फूड, चीनी की अधिकता के कारण यह 25, 35 साल की उम्र के युवाओं में भी आम है। जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, शरीर में मोटापे के कारण पूरे शरीर का भार घुटनों पर पड़ता है और घुटनों में तेज दर्द होने लगता है।
आधुनिक विज्ञान का मानना है कि उम्र के साथ दोनों हड्डियों (bones) के बीच की लिक्विडिटी खराब हो जाती है। इससे हड्डियां आपस में घिस जाती हैं और घुटनों में तेज दर्द होता है। ऐसे समय में डॉक्टर सर्जरी या घुटना बदलने की सलाह दे सकते हैं।
क्या बिना सर्जरी (surgery) के इस दर्द का इलाज है? तो इसका उत्तर यह है कि यदि रोगी में थोड़ा धैर्य और सहनशक्ति (stamina) हो तो निश्चित रूप से आयुर्वेद (Ayurveda) की जड़ी-बूटियों और अग्निकर्म (Agnikarma) से इस दर्द को ठीक किया जा सकता है।
अग्निकर्म आयुर्वेद की एक बहुत ही तेज उपचार पद्धति है। इस कर्म में रोगी को चींटी के काटने की तरह ही पीड़ा होती है लेकिन पहले बैठने में ही 60 से 70% आराम मिलता है। गंभीर दर्द से पीड़ित प्रत्येक रोगी को कम से कम एक बार 'अग्निकर्म' का उपचार अवश्य कराना चाहिए। अगर समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो कभी-कभी रोगी के लिए हिलना-डुलना मुश्किल हो जाता है।
क्या करें -
कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) रिच डाइट, फाइबर रिच डाइट, पानी ज्यादा पिएं, हल्का व्यायाम करें, घर का खाना, अदरक, लहसुन, हींग, जीरा, दालचीनी, धनिया, पुराना गेहूं, जौ, चावल, दाल चावल, तिन्नी का चावल, मूंग, मसूर, मोठ, चौलाई, बथुआ, मेथी, लौकी, परवल, टिंडा, योगासन, भुजंगासन, ताड़ासन, हलासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, पद्मासन, मड बाथ, टब बाथ।
क्या न करें -
तैलीय खाना (Oily food), मिर्च-मसालेदार, खट्टा, बासी, दिन में सोना, रात में जागना, अत्यधिक व्यायाम, क्रोध, फास्टिंग, डाइटिंग, ओवर ईटिंग, दूध के साथ नमक, जूस के साथ दूध, नॉनवेज के साथ दूध, नॉनवेज के साथ दही, राजमा, छोले, उड़द, मटर, गोभी, भिंडी, आलू, अरबी, बैंगन, गन्ने का रस, सिरका, प्रोटीन रिच डाइट न लें।
गठिया - दर्द और आयुर्वेद
रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) के नाम से हर कोई परिचित है।आजकल छोटे-बड़े सर्वे इस बीमारी के फैलाव को आश्चर्यजनक तरीके से दिखा रहे हैं। रूमेटाइड अर्थराइटिस और घुटनों का दर्द इन दिनों बढ़ता ही जा रहा है।
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