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होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की स्वीकार्यता के प्रमुख कारण बता रहें डा. सौरभ

अपने करिश्माई चिकित्सकीय परिणामों के कारण होम्योपैथी प्रमुख चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित हो चुकी है। जन-मानस में इसकी स्वीकार्यता की तेजी से बढ़ती जा रही है। किसी भी होम्योपैथिक दवा की ना तो लत लगती है और ना ही औषधि-निर्भरता ही उत्पन्न होती है।

लेख विभाग
March 20 2022 Updated: March 20 2022 23:35
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होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की स्वीकार्यता के प्रमुख कारण बता रहें डा. सौरभ प्रतीकात्मक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार होम्योपैथी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा पद्धति है और दुनिया भर के 80 से भी ज़्यादा देशों में प्रमुख चिकित्सा पद्धति से रूप में  सेवा दे रही है।

225 साल पहले एक एलोपैथिक चिकित्सक डा. हैनिमैन (Dr. Hahnemann) के द्वारा मरीज़ों को पूर्ण रूप से ठीक कर सकने में सक्षम चिकित्सा पद्धति की तलाश होम्योपैथी की खोज का कारण बनी। बता दें कि एलोपैथी शब्द की खोज भी ड़ा. हैनिमैन ने ही किया था। आज होम्योपैथी (homeopathy) अपने करिश्माई चिकित्सकीय परिणामों के कारण स्वयं को प्रमुख चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित कर चुकी है। जन-मानस में

 होम्योपैथी की तेजी से बढ़ती जा रही स्वीकार्यता के प्रमुख कारणों में से कुछ निम्नवत है-

  1. सभी होम्योपैथिक दवाओं को मानव स्वयंसेवकों पर परीक्षण किया जाता है। यह उपचार के लिए सर्वाधिक मानव-विशिष्ट चिकित्सा पद्धति है।
  2. एलोपैथिक दवाओं के परीक्षण के विपरीत होम्योपैथी दवाओं के परीक्षण में किसी भी जीव-जंतु को नुक़सान नही पहुँचाया जाता।
  3. बहुत सारे मामलों में एक ही होम्योपैथिक दवा के द्वारा कई बीमारियों का इलाज सम्भव हो जाता है।
  4. मीठे स्वाद के कारण इसे बच्चे भी पसंद करते है।
  5. आवश्यकता पड़ने पर मूर्छित अवस्था के मरीज़ों को भी होम्योपैथिक दवाएँ कुछ बूंदों रूप में आसानी से दी जा सकती है।
  6. होम्योपैथिक दवाएँ तेज़ी से प्रभाव दिखाती है क्यूँकि ये पाचन तन्त्र की जगह तंत्रिका तंत्र के द्वारा शरीर में प्रवेश करती है।
  7. कई बार एक बीमारी के लिए दी गई दवा उस बीमारी के साथ साथ उस मरीज में मौजूद दूसरी बीमारियों में भी आराम पहुँचा देती है।
  8. किसी भी होम्योपैथिक दवा की ना तो लत लगती है और ना ही औषधि-निर्भरता ही उत्पन्न होती है।
  9. होम्योपैथिक इलाज के दौरान मरीज़ की इम्यूनिटी भी बढ़ती जाती है।
  10. रसायनों के अपरिष्क्रित रूप (Crude form) में ना होने के कारण उनका दुष्प्रभाव नही पड़ता।
  11. होम्योपैथिक दवाओं के द्वारा कुछ बीमारियों को होने से पहले रोका जा सकता है , कुछ वैक्सीन की तरह इनका कोई दुष्प्रभाव भी नही होता ।
  12. होम्योपैथी में रोग का नही बल्कि रोगी का ईलाज किया जाता है इसीलिए एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में सक्षम होता है ।( यद्यपि एक ख़ास तरह की बीमारी के मरीज़ों को बार -बार ठीक करने के कारण कुछ चिकित्सक इसमें विशेषज्ञता प्राप्त कर लेते है)
  13. होम्योपैथिक चिकित्सक अल्प अवधि के क्षणिक आराम की जगह, लम्बी अवधि के फ़ायदे को ध्यान में रखकर बीमारी को जड़ से ठीक करने पर ध्यान देते है।
  14. आवश्यकतानुसार होम्योपैथिक दवाओं को अन्य चिकित्सा पद्धति की दवाओं के साथ सुरक्षित रूप से चलाया जा सकता है।
  15. थायराइड , डाईबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी जीवन भर चलने वाली दवाओं को होम्योपैथी उपचार के द्वारा कुछ समय में ही ठीक करके बंद किया जा सकता है।
  16. कई ऐसी बीमारियाँ जिनका ईलाज ऑपरेशन ही बताया जाता है, होम्योपैथी द्वारा केवल दवाओं से ठीक किया जा सकता है।
  17. ऑपरेशन के बाद उत्पन्न होने वाली समस्याएँ भी होम्योपैथी के द्वारा ठीक की जा सकती है।
  18. वृद्धावस्था तथा विभिन्न बीमारियों के कारण उत्पन्न जीर्णावस्था में जब मरीज़ विभिन्न प्रकार की रासायनिक दवाओं को झेलने में असमर्थ रहता है, ऐसी अवस्था में भी होम्योपैथी दवाएँ सुरक्षित रूप से प्रयोग में लाई जा सकती है।
  19. होम्योपैथी दवाएँ गर्भवती महिलाओं के द्वारा भी सुरक्षित रूप से प्रयोग की जा सकती है।
  20. अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तुलना में होम्योपैथिक ईलाज सस्ता पड़ता है।
  21. होम्योपैथिक दवाएँ मानसिक रोगों उपचार में भी कारगर है और इनका किसी प्रकार का विपरीत प्रभाव भी नहीं होता है।
  22. होम्योपैथी उन बीमारियों के ईलाज में भी प्रभावी है , जिन्हें अन्य चिकित्सा पद्धतियों में लाईलाज माना जाता है।
  23. होम्योपैथी आसान एवं सुरक्षित शिशु-जन्म में मदद करती है।
  24. होम्योपैथी एक मानव विशिष्ट चिकित्सा पद्धति है, इसलिए होम्योपैथिक डाक्टर आपके एहसास, आपकी इच्छाओं , चाह, अनिच्छा, स्वप्न, भय तथा भावनाओं को महत्वपूर्ण मानते हुए दवाओं के चयन में प्रयोग करते है।
  25. कुछ अत्यधिक साइड-इफ़ेक्ट वाली एलोपैथिक दवाओं के विपरीत आज तक कभी भी किसी देश अथवा प्रान्त में होम्योपैथिक दवाओं को बैन नही किया गया है।
  26. होम्योपैथी लक्षणों पर आधारित चिकित्सा पद्धति है इसलिए चिकित्सक द्वारा रोगी को पूर्ण रूप से समझने के लिए उसके समस्त शारीरिक एवं मानसिक लक्षणों को केस-टेकिंग द्वारा एकट्ठा किया जाता है। इस प्रकार की वैज्ञानिकता के कारण ही होम्योपैथी एक अनूठी चिकित्सा पद्धति है। इस कारण होम्योपैथी सुरक्षित तथा प्रभावी चिकित्सा पद्धति है।

लेखक - डा. सौरभ सिंह

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