देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

लेख

माहवारी, लड़कियों द्वारा स्कूल छोड़ने का एक बड़ा कारण

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की बाल सुरक्षा के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ ने एक अध्ययन में बताया है कि भारत में 71 फीसदी किशोरियों को माहवारी के कारण भारत में करोड़ों लड़कियां स्कूल बीच में छोड़ देती हैं।

लेख विभाग
October 06 2022 Updated: October 06 2022 20:14
0 81840
माहवारी, लड़कियों द्वारा स्कूल छोड़ने का एक बड़ा कारण प्रतीकात्मक चित्र

माहवारी के कारण भारत में करोड़ों लड़कियां स्कूल बीच में छोड़ देती हैं। माहवारी  पर बात करना मुनासिब नहीं समझा जाता है। माहवारी से जुड़ी स्वच्छता के बारे में जागरूकता की कमी, इसे लेकर समाज में मौजूद रूढ़िवादी अंधविश्वास और सुविधाओं की कमी के कारण इन लड़कियों के सामने स्कूल जाना बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता।

 

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की बाल सुरक्षा के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ (UNICEF) ने एक अध्ययन में बताया है कि भारत में 71 फीसदी किशोरियों को माहवारी (menstruation) के कारण भारत में करोड़ों लड़कियां स्कूल (school) बीच में छोड़ देती हैं।  माहवारी से जुड़ी स्वच्छता के बारे में जागरूकता की कमी, इसे लेकर समाज में मौजूद रूढ़िवादी अंधविश्वास और सुविधाओं की कमी के कारण इन लड़कियों के सामने स्कूल जाना बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता।

 

खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में आज भी जागरूकता की कमी के कारण माहवारी एक ऐसा मुद्दा बना हुआ है। जिस पर बात करना मुनासिब नहीं समझा जाता और जिसे लड़कियों के लिए शर्म का सबब माना जाता है।

 

एक सामाजिक संस्था दसरा (Dasara) ने 2019 में एक रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें बताया गया था कि 2.3 करोड़ लड़कियां हर साल स्कूल छोड़ देती हैं क्योंकि माहवारी के दौरान स्वच्छता के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इनमें सैनिटरी पैड्स (sanitary pads) की उपलब्धता और पीरियड्स (periods) के बारे में समुचित जानकारी शामिल हैं।

 

अंधविश्वास और डर

माहवारी जन स्वास्थ्य का एक ऐसा मुद्दा है जो कई स्तर पर समस्याएं और बाधाएं पैदा करता है। आज भी यह एक सामाजिक टैबू है और लड़कियों को अपनी माहवारी के दौरान कई तरह की यातनाएं सहनी पड़ती हैं जैसे कि उन्हें कुछ खास तरह की चीजें खाने को नहीं दी जातीं। उन्हें रसोई और मंदिर आदि में जाने की इजाजत नहीं होती और कई जगहों पर तो उन्हें एक-दो दिन के लिए घर से भी बाहर रखा जाता है।

 

इस कारण लड़कियों को भारी मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। ऊपर से गुपचुप सैनिटरी पैड्स लेना, फिर उनका निवारण, खुद को स्वच्छ रखना जैसी बातें भी किशोरियों के लिए खासी मुश्किलें पैदा करती हैं। इससे उनका अलगाव बढ़ता है और पहले से ही कमजोर स्वास्थ्य, कुपोषण (malnutrition), शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ापन झेल रही लड़कियां और पिछड़ जाती हैं। ”

 

महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था ‘जागो री (Jago Re)' की निदेशक जया वेलांकर कहती हैं, "खासकर ग्रामीण इलाकों बहुत सी लड़कियों के लिए माहवारी का शुरू होना मतलब पढ़ाई का बंद हो जाना। ऐसा इसलिए है क्योंकि माता-पिता के मन में दोहरा डर होता है। एक तो उन्हें लगता है कि अब बेटी को यौन हिंसा का ज्यादा खतरा है और फिर बहुत से माता-पिताओं को ऐसा भी लगता है कि उनकी बेटी यौन सक्रिय हो सकती है और उसके संबंध बन सकते हैं। कई बार तो यह डर होता है कि लड़की किसी ‘नीची जात' (lower caste) के लड़के से प्यार ना कर बैठे। ”

 

माहवारी पर चुप्पी

इस विषय पर गहराई से अध्ययन करने वाले कई विशेषज्ञ मानते हैं कि उम्र के मुताबिक सही यौन शिक्षा (sex education) एक जरूरी हल है। वे कहते हैं कि यौन शिक्षा से ना सिर्फ शारीरिक प्रक्रियाओं के बारे में वैज्ञानिक जानकारी मिलती है।  बल्कि यौन संबंधों, लैंगिक पहचान, यौनिक झुकाव और सबसे जरूरी, सहमति व सुरक्षित सेक्स के बारे में भी जागरूकता बढ़ती है।

 

वेलांकर कहती हैं कि समस्या यह है कि लगभग सभी राजनीतिक झुकाव वाली सरकारें यौन शिक्षा को लेकर अनिच्छुक रवैया रखती हैं। वह कहती हैं, "हमें इस मुद्दे पर ज्यादा बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विमर्श की जरूरत है।”मई में जारी ताजा राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Health Survey) (NFHS) की रिपोर्ट कहती है कि 15-24 वर्ष की लगभग आधी महिलाएं आज भी माहवारी के दौरान कपड़ा इस्तेमाल करती हैं। जो विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमण का कारण बन सकता है. इसकी वजह जागरूकता की कमी और माहवारी से जुड़ी शर्मिंदगी को बताया गया है।

 

बातचीत जरूरी है

फिल्म निर्माता गुनीत मोंगा (Guneet Monga) की डॉक्युमेंट्री ‘पीरियडः एंड ऑफ सेंटेंस' (Period: End of Sentence) ने 2019 में ऑस्कर (Oscar) जीता था। इस फिल्म में माहवारी से जुड़ी गहरी सामाजिक शर्मिंदगी का मुद्दा उठाया गया है. मोंगा अपील करती हैं कि इस मुद्दे पर बात होती रहनी चाहिए।

 

लेखक- मुरली कृष्णन

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

COMMENTS

इंटरव्यू

रोबोटिक सर्जरी: देखिए एडवांसमेंट और लेटेस्ट एप्लीकेशंस

रंजीव ठाकुर June 12 2022 25900

ये लेप्रोस्कोपिक विधि का एडवांस वर्जन है। पहले लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में जो उपकरण डॉक्टर चलाते थे वो

अंतर्राष्ट्रीय

धरती पर सबसे ज्यादा गर्म महाद्वीप यूरोप है

हे.जा.स. November 04 2022 24110

रिपोर्ट के मुताबिक इस गर्मी की वजह से यूरोप भीषण सूख भी झेल रहा है और तेजी से आल्प्स के ग्लेशियर भी

उत्तर प्रदेश

लखनऊ के लोकबन्धु अस्पताल में दो डॉक्टर व एक फार्मासिस्ट कोरोना की चपेट में, गुरूवार को 310 लोग संक्रमित

हुज़ैफ़ा अबरार January 06 2022 15624

लखनऊ में गुरुवार को 310 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। शहर व ग्रामीण क्षेत्र के ज्या

सौंदर्य

स्लिम शरीर पाने और सुन्दर दिखने के लिए, कम करें वजन

सौंदर्या राय August 11 2022 22662

सुन्दर और आकर्षक दिखने में वजन बहुत बड़ी बाधा है। वजन कम करने के लिए बहुत सी सलाह उपलब्ध हैं लेकिन यह

स्वास्थ्य

बढ़ती आबादी और बढ़ती उम्र दृष्टि दोष का सबसे बड़ा कारण।

लेख विभाग October 20 2021 27856

कम दृष्टि के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मधुमेह, आंखों में चोट लग जाना, उम्र के साथ आंखे कमजोर होना.

राष्ट्रीय

मुंबई में खसरे का प्रकोप जारी, बीते दिन 6 नए मरीज मिले

admin December 24 2022 19125

शुक्रवार को दिन के दौरान 27 बच्चों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया और 25 बच्चों का स्वास्थ्य ठीक हो

उत्तर प्रदेश

लखनऊ में नहीं कम हो रहे कोरोना संक्रमित मरीज़ों के मामले, 16 नए संक्रमित मिले

हुज़ैफ़ा अबरार May 10 2022 20756

सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक कोरोना का प्रकोप कम नहीं हुआ है। अभी भी 100 सक्रिय मरीज हैं। राहत

अंतर्राष्ट्रीय

माताओं से बच्चों में होने वाले एचआईवी व सिफ़लिस संक्रमण की जाँच के लिए सस्ती परीक्षण किट उपलब्ध।

हे.जा.स. November 16 2021 34146

माताओं से बच्चों में होने वाले एचआईवी व सिफ़लिस संक्रमण की रोकथाम के लिये कम क़ीमत वाली दोहरी परीक्ष

उत्तर प्रदेश

अस्पतालों में आई फ्लू के मरीजों की भरमार

विशेष संवाददाता July 28 2023 33300

जिले में बारिश और उमस भरे मौसम में आंखों का रोग यानि आई फ्लू और कंजक्टिवाइटिस खूब फैल रहा है। दरअसल

शिक्षा

स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिकल इंटर्नशिप पूरा करने की अंतिम तिथि 11 अगस्त तक बढ़ाई  

अखण्ड प्रताप सिंह February 10 2023 109310

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि विलंबित इंटर्नशिप के कारण राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 3000 से अ

Login Panel