वर्ल्ड आर्थराइटिस डे को हर साल 12 अक्टूबर को गठिया और मस्कुलोस्केलेटल रोगों के अस्तित्व और प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। यह एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम है, जो हर साल 12 अक्टूबर को मस्कुलोस्केलेटल रोगों के बारे में जागरूकता पैदा करने, किसी के जीवन पर इसके प्रभाव और लोगों को लक्षणों और निवारक उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है। भारत में भी आर्थराइटिस के मरीजों की गिनती काफी बड़ी है।
आर्थराइटिस (arthritis) के शिकार लोगों के लिए चलना, दौड़ना और सीढ़ियां चढ़ना (climbing stairs) काफी कष्टकारक होता है। वैसे तो आर्थराइटिस कई प्रकार के होता है, लेकिन इसमें ऑस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) सबसे आम है। गाउट और रुमेटीइड आर्थराइटिस भी इसी का एक प्रकार है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों (health experts) के मुताबिक 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में गठिया की समस्या काफी सामान्य है, पर यह अब कम उम्र के लोगों में भी बढ़ती देखी जा रही है।
आर्थराइटिस, जोड़ों को प्रभावित करने वाली समस्या है। इसमें जोड़ों में और उसके आसपास दर्द, जकड़न, लालिमा और सूजन हो जाती है। आमतौर पर आर्थराइटिस को सिर्फ पैरों के घुटने की समस्या के तौर पर जाना जाता है, हालांकि यह हाथों यहां तक कि उंगलियों के जोड़ों को भी प्रभावित कर सकती है। गठिया के लक्षण (gout symptoms) धीरे-धीरे या अचानक विकसित हो सकते हैं और व्यक्ति की रोजमर्रा के कार्यों को करने की क्षमता को कम कर देते हैं। आर्थराइटिस के कुछ रोगियों के लिए कुछ दूर चलना तक भी कठिन हो जाता है।
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