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सर्दी और हार्ट फेलियर: जोखिम के कारक और रोकथाम

हार्ट फेलियर को उसकी शुरूआती अवस्‍था में सही समय पर इलाज, उपचार के अनुपालन, जीवनशैली में बदलाव और कार्डियोलॉजिस्‍ट के साथ नियमित चेक-अप्‍स द्वारा प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।

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December 15 2021 Updated: December 15 2021 16:43
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सर्दी और हार्ट फेलियर: जोखिम के कारक और रोकथाम प्रतीकात्मक

अध्‍ययन दर्शाते हैं कि सर्दी के मौसम में हार्ट फेलियर के मरीजों के अस्‍पताल में भर्ती होने और मरने की दर ज्‍यादा रहती है। इसका प्रमुख कारण है तापमान में तेजी से गिरावट से होने वाले विभिन्‍न शारीरिक बदलाव, जो रोग की स्थिति को बिगाड़ देते हैं। हार्ट फेलियर को उसकी शुरूआती अवस्‍था में सही समय पर इलाज, उपचार के अनुपालन, जीवनशैली में बदलाव और कार्डियोलॉजिस्‍ट के साथ नियमित चेक-अप्‍स द्वारा प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।

 डॉ. आदित्‍य कपूर, कॉर्डियोलॉजिस्‍ट, संजय गांधी पोस्‍ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, लखनऊ, के अनुसार, “हम सर्दियों के दौरान हार्ट फेलियर के 20-30% मरीजों को अस्‍पताल में भर्ती होते देखते हैं। वातावरण का तापमान कम होने से हार्ट फेलियर के मरीज प्रभावित होते हैं, क्‍योंकि उससे रक्‍त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और रक्‍त का प्रवाह बाधित होता है। यह संभावित रूप से हृदय पर अतिरिक्‍त बोझ डालता है और आखिरकार हृदय को पूरे शरीर में पर्याप्‍त रक्‍त और ऑक्‍सीजन की पम्पिंग करने के लिये ज्‍यादा मेहनत करनी पड़ती है। इस तरह सर्दियों के दौरान ज्‍यादातर मरीजों का हृदय रक्‍त को पंप करने की योग्‍यता खोने लगता है और उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती करने की जरूरत आ पड़ती है। इसलिये इस बीमारी पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना और मरीजों को इसके लिये प्रोत्‍साहित करना जरूरी है कि वे जीवनशैली में बदलाव के साथ उपचार का कठोरता से पालन करें और इस बीमारी के लक्षणों को बढ़ने न दें।”

डॉ. नकुल सिन्‍हा, डायरेक्‍टर- इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ, के अनुसार, “भारत में हार्ट फेलियर के मरीजों की औसत आयु 59 वर्ष है, जो पश्चिमी देशों के मरीजों से लगभग 10 वर्ष कम है। सुस्‍त जीवनशैली, दैनिक जीवन में निजी, पेशेवर या पर्यावरणीय तनाव, चीनी और नमक का ज्‍यादा सेवन, अस्‍वास्‍थ्‍यकर आहार और पर्यावरणीय प्रदूषण का बढ़ता स्‍तर उन कारकों में शुमार हैं, जिनके कारण हमारे लोगों को हार्ट फेलियर का जोखिम ज्‍यादा है। हार्ट फेलियर किसी भी अवस्‍था (हल्‍की, मध्‍यम या गंभीर) में जीवन के लिये घातक बीमारी है और अगर इसके मरीज लंबा और बेहतर जीवन जीना चाहते हैं, तो ऊपर बताये गये कारकों के बारे में जागरुक होना आवश्‍यक है। हमारे लिए इनसे बचना, जल्‍दी डायग्‍नोस करना और सही समय पर इलाज से प्रभावी नियंत्रण करना सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हैं।”

हार्ट फेलियर का जोखिम पैदा करने वाले कुछ कारक नीचे दिये जा रहे हैं, खासकर सर्दियों के लिये:

  1. हाई ब्‍लड प्रेशर: ठंड के मौसम से ब्‍लड प्रेशर के स्‍तर में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं और हृदय की गति बढ़ सकती है। इस कारण हार्ट फेलियर के मरीजों को अस्‍पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
  2. वायु प्रदूषण: सर्दियों के दौरान स्‍मॉग (धुएं और कोहरे का मिश्रण) और प्रदूषक जमीन के निकट रहते हैं, जिससे चेस्‍ट इंफेक्‍शन और सांस की समस्‍याओं की संभावना बढ़ जाती है। हार्ट फेलियर के मरीज आमतौर पर छोटी सांस का अनुभव करते हैं और प्रदूषक उनके लक्षणों को बिगाड़ स‍कते हैं, जिससे मामला गंभीर होने पर अस्‍पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
  3. पसीना कम आना: कम तापमान में पसीना कम आता है। इस कारण हो सकता है कि शरीर अतिरिक्‍त पानी को बाहर न निकाल पाए और यह पानी फेफड़ों में जम सकता है, जिससे हार्ट फेलियर के मरीजों का कार्डियक फंक्‍शन खराब हो जाता है।
  4. विटामिन डी की कमी: विटामिन डी हृदय में स्‍कार टिश्‍यूज बनने से रोकता है और हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेलियर से बचाता है[5]। सर्दियों में ठीक से धूप नहीं मिल पाने के कारण विटामिन डी का स्‍तर घट जाता है और हार्ट फेलियर का जोखिम बढ़ जाता है।

सर्दियों के दौरान अपने हृदय का ख्‍याल रखें

‘विंटर इफेक्‍ट’ पर जागरूकता से मरीज और उनके परिवार हार्ट फेलियर के लक्षणों पर ज्‍यादा ध्‍यान देने और सही दवाओं तथा जीवनशैली में बदलाव के साथ इसे नियंत्रित करने के लिये प्रोत्‍साहित होंगे। हार्ट फेलियर के मरीजों और हृदय की पहले से मौजूद बीमारियों वाले लोगों को तो सर्दियों के मौसम में विशेष रूप से सावधान रहना चाहिये और निम्‍नलिखित बातों को अपनाना चाहिये:

  • अपने कार्डियोलॉजिस्‍ट के पास जाएं और अपने ब्‍लड प्रेशर पर नजर रखें
  • पानी और नमक का सेवन कम करें, क्‍योंकि सर्दियों के दौरान हमें ज्‍यादा पसीना नहीं आता है
  • दवा लेने से न चूकें या दवा लेना न भूलें, चाहे आप बेहतर महसूस कर रहे हों
  • खुद को सर्दियों में होने वाली बीमारियों से बचाएं, जैसे खांसी, सर्दी, फ्लू, आदि
  • हार्ट फेलियर के मरीजों को नियमित रूप से व्‍यायाम करना चाहिये, हालांकि मौसम की खराब स्थितियों से बचने के लिये घर पर ही एक्‍सरसाइज करने की सलाह दी जाती है

 

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