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चूहों के दिमाग में इंसानी ब्रेन सेल्स

मानव मस्तिष्क को समझने और मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए, वैज्ञानिक नए नए प्रयोग करते हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क की कोशिकाओं को चूहों के दिमाग में ट्रांसप्लांट किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस प्रयोग से न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर को गहराई से  समझने में मदद मिलेगी।  

हे.जा.स.
October 19 2022 Updated: October 19 2022 00:27
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चूहों के दिमाग में इंसानी ब्रेन सेल्स प्रतिकात्मक चित्र

कैलिफोर्निया। मानव मस्तिष्क को समझने और मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए, वैज्ञानिक नए नए प्रयोग करते हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क की कोशिकाओं को चूहों के दिमाग में ट्रांसप्लांट किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस प्रयोग से न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर को गहराई से  समझने में मदद मिलेगी। बता दें कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की टीम ने लैब में बने मानव न्यूरॉन्स और उनके जैसे सहायक सेल्स लिए और उन्हें नवजात चूहों के विकासशील दिमाग में ट्रांसप्लांट किया।

 

शोधकर्ताओं (researchers) के मुताबिक, चूहों में इंप्लांट होने के बाद यह ब्रेन सेल्स विकसित हुए हैं। चूहों के दिमाग में इनका न्यूरो सर्किट (neuro circuit) भी डेवलप होने लगा है। इसी सर्किट की मदद से जीव जानकारी प्रोसेस करता है, मूवमेंट करता है, सीखता है और चीजें याद करता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि रिसर्च से उन्हें पता चलेगा कि कैसे ब्रेन सेल्स (brain cells) की कनेक्टिविटी, एक्टिविटी और आकार की वजह से लोगों में मानसिक बीमारियां (mental illnesses) ईजाद होती हैं।

 

दरअसल वैज्ञानिकों के अनुसार इस रिसर्च की अपनी सीमाएं हैं। दरअसल, चूहों में विकसित हुआ न्यूरल सर्किट हाइब्रिड (neural circuit hybrid) है। इसका मतलब कि चूहों के दिमाग में इंसान और चूहे दोनों के ही सेल्स हैं। इसलिए इन पर जो भी रिसर्च होगी, उससे पूरी तरह इंसानों की समस्याओं का आकलन नहीं किया जा सकता। चूहों का दिमाग एक इंसानी दिमाग (human brain) को पूरी तरह कॉपी नहीं कर सकता, लेकिन एक मॉडल जानवर में ट्रांसप्लांट करने के लिए बिल्कुल सही है।

 

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