लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के बाद अब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) में अब बीफार्मा व एमबीए की पढ़ाई भी होगी। विश्वविद्यालय में एमटेक के विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ पीएचडी करने की भी सुविधा मिलेगी। ये निर्णय विश्वविद्यालय परिषद की 66वीं बैठक में लिए गए। बैठक बुधवार को कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
बैठक में विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ कमाने का अवसर देने, विलंब शुल्क (late fee) की दर को आधा करने और परीक्षा के लिए प्रश्न बैंक बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। पीएचडी (PhD) की थीसिस जमा करने की समय सीमा बढ़ाने पर भी निर्णय लिया गया।
बैठक में निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय परिसर में ही फार्मेसी विभाग (Department of Pharmacy) और प्रबंधन संकाय (Management Faculty) की स्थापना किया जाएगा। फार्मेसी विभाग में बीफार्मा (BPharm) और प्रबंधन संकाय में एमबीए (MBA) की पढ़ाई शुरू होगी। इसके अलावा वास्तुकला एवं योजना संकाय में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जीओ इंफॉरमेटिक्स (Geo Informatics) कोर्स शुरू करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। नई शिक्षा नीति के तहत एमटेक (MTech) पीएचडी इंटीग्रेटेड करने को भी हरी झंडी दी गई। इसमें एमटेक की तर्ज़ पर प्रवेश होगा।
कुलपति प्रो. मिश्र ने बताया कि सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ कमाई करने का अवसर दिया जाएगा। विद्यार्थी सेंटर के लैब में कुछ घंटे काम कर सकते हैं। पारिश्रमिक के रूप में उनको करीब दस हजार रुपये दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जो विद्यार्थी समय रहते परीक्षा फॉर्म नहीं भरते, उत्तर पुस्तिकाओं में गलत रोल नंबर लिख देते हैं या बार कोड को खराब कर देते हैं, उनसे निर्धारित विलंब शुल्क का अब आधा चार्ज किया जाएगा। बैठक में कुलसचिव नंदलाल सिंह, प्रति कुलपति प्रो. मनीष गौड़, वित्त अधिकारी जीपी सिंह, परीक्षा नियंत्रक प्रो. अनुराग त्रिपाठी समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।
प्रश्न बैंक तैयार किया जाएगा
उच्च शिक्षण संस्थाओं के विषय विशेषज्ञों को नामित करते हुए पाठ्यक्रमवार व ब्रांचवार समिति गठित कर एकेटीयू परीक्षाओं के लिए प्रश्न बैंक (question banks) बनाया जाएगा। प्रश्न पत्रों में चार सेक्शन होंगे। इसमें वस्तुनिष्ठ प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न व दीर्घ उत्तरीय कठिन स्तर के प्रश्न होंगे। प्रश्न बैंक में प्रश्नों को 5 से 10 सालों के लिए तैयार किया जाएगा। वहीं प्रत्येक तीन वर्ष बाद प्रश्न बैंक में नए प्रश्नों को तैयार किया जाएगा।
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