वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र महासभा से महामारी विज्ञान विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने आग्रह किया है कि वैश्विक महामारियों के ख़तरे से बचाव के लिए रोगाणुओं (pathogens) के निगरानी वैश्विक व्यवस्था होनी चाहिए। इसके साथ समय पूर्व चेतावनी प्रणाली की की स्थापना करना होगा, जिसमें विविध स्रोतों से प्राप्त आँकड़ों का उपयोग किया जाए।
वैश्विक महामारियों (public health) के लिए शुरुआती चेतावनी प्रणाली के सृजन में चुनौतियाँ व अवसर’ विषय पर विशेषज्ञों ने मंगलवार को आगाह किया कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम बढ़ रहे हैं। इसके कारण आवश्यक संक्रामक बीमारियों (infectious disease) की निगरानी कार्यक्रम भी बिखर रहे हैं।
रॉकेफ़ैलर फ़ाउंडेशन में वैश्विक महामारी रोकथाम पहल के मुख्य डेटा अधिकारी जिम गोल्डन ने सदस्य देशों, पर्यवेक्षकों और नागरिक समाज संगठन के प्रतिनिधियों को बताया कि किसी भी प्लैटफ़ॉर्म में पारम्परिक सार्वजनिक स्वास्थ्य महामारी विज्ञान के दायरे से बाहर डेटा को सम्मिल्लित किया जाना होगा। इस सिलसिले में, उन्होंने विशिष्ट रूप से जलवायु के कारण भूमि व जल के प्रयोग में आने वाले बदलावों से जुड़े डेटा का उल्लेख किया। .
उन्होंने ‘डेटा परोपकारिता’ (data philanthropy) बनाने का आग्रह किया। डेटा परोपकारिता एक ऐसा सिद्धान्त है जिसमें निजी कम्पनियाँ, सार्वजनिक भलाई के लिए डेटा साझा करती हैं। इसके समानान्तर, डेटा संचय व उसे सम्प्रभु व न्यायोचित ढंग से साझा किए जाने की व्यवस्था भी चाहिए। डेटा सम्प्रभुता, डेटा सुरक्षा से जुड़ी है और इस प्रक्रिया में उस देश के क़ानूनों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है, जहाँ डेटा जुटाया गया हो।
डॉक्टर गोल्डन ने कहा कि हमें नए वैश्विक डिजिटल (global digital creative) रचनात्मक सहयोग की आवश्यकता है। जिसमें शोधकर्ताओं का एक वैश्विक नैटवर्क, जोकि खुले-स्रोत डेटा विज्ञान प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिये जुडे हों, और किसी भी स्तर पर जलवायु व स्वास्थ्य समस्याओं का आकलन कर सकें। विश्व भर में समस्त संक्रामक बीमारियों मे से लगभग 17 प्रतिशत मनुष्यों से मनुष्यों में, या फिर पशुओं से मनुष्यों में फैलते हैं।
ब्राज़ील व जर्मनी के शोध संस्थानों से जुड़े रीसर्चर डॉक्टर राफ़ाएल मसिएल-दे-फ़्रिटास ने बताया कि इस तरह के रोगाणुओं का संचारण जलवायु परिवर्तन और भूमि इस्तेमाल के कारण और अधिक गहरा हो सकता है।
ब्राज़ील में ज़ीका - Zika in Brazil
उन्होंने ब्राज़ील में ज़ीका संक्रमण के फैलाव का उल्लेख किया, जिसकी वर्ष 2013 में देश में शुरुआत होने की आशंका है। उसके बाद से अब तक एक हज़ार 700 से अधिक नवजात शिशुओं में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है।
डॉक्टर मसिएल-दे-फ़्रिटास ने कहा कि रसायन, प्रदूषण (pollution) या कुपोषण इसकी वजह हो सकते हैं, शुरुआती चेतावनी प्रणाली के ज़रिये डेटा जुटाया जा सकता है, और ज़ीका संक्रमण से सबसे अधिक छोटे इलाक़ों की पहचान की जा सकती है।
वह फ़िलहाल जिन परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, उनमें एक समय पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि अर्जेंटीना और पैराग्वे की सीमा पर मच्छरों से फैलने वाली डेंगू बीमारी के मामलों की शिनाख़्त की जा सके।
इसके अलावा, पैनल सदस्यों ने जीवाणु और जीवाणुरोधी प्रतिरोध के लिए चेतावनी प्रणालियों की अहमियत को रेखांकित किया ताकि लाखों ज़िन्दिगियों की रक्षा की जा सके।
दक्षिण कोरिया (South Korea) के एक शोध संस्थान के प्रमुख सूजिन जैंग ने बताया कि उनकी एक परियोजना में अस्पतालों, विश्वविद्यालयों, बाज़ारों और अन्य सार्वजनिक स्थलों में स्थित शौचालयों से नमूने एकत्र किए जाते हैं, ताकि समुदाय में फैल रहे रोगाणुओं की पहचान हो, और जीवाणुरोधी प्रतिरोध के स्तर को आंका जा सके।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध - Antibiotic resistance
एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर निशाना साधने में एक समय पूर्व चेतावनी प्रणाली से भी मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली में डेटा की विविध परतों को शामिल किया जाना होगा, विशेष रूप से स्थानीय और सामुदायिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी को।
अमेरिकी क्षेत्र के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में स्वास्थ्य आपात हालात व जोखिम मूल्यांकन इकाई की प्रमुख मारिया ऐलमिरोन के अनुसार, डेटा का अभाव चिन्ता की वजह नहीं है। हर दिन पाँच हज़ार से अधिक जानकारी का विश्लेषण किया जाता है। इथियोपिया (Ethiopia) के अदीस अबाबा के पास एक स्वास्थ्य देखभालकर्मी को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भविष्य में वैश्विक महामारियों (global pandemics) व बीमारियों की पहचान करने के लिए एक वैश्विक समय पूर्व चेतावनी प्रणाली के लिए अवसर मौजूद हैं, मगर चुनौतियाँ भी हैं।
डॉक्टर ऐलमिरोन (Dr Almiron) के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमता जैसी नई टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन अन्तत: कुशल लोगों की उपलब्धता और उनके एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी।
उनका मानना है कि डेटा (data) की गुणवत्ता जाँचने के लिए यह अहम है, मगर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी या फिर वित्तीय संसाधनों के अभाव में इस रास्ते में रुकावट खड़ी हो सकती है।
भरोसा व संचार - Trust and communication
डॉक्टर ऐलमिरोन ने कहा कि हर समय पूर्व चेतावनी प्रणाली में रचनात्मक सहयोग, भरोसे व सामयिक जानकारी का आदान-प्रदान अहम है। यह महासभा के 77वें सत्र में तीसरी बार है जब संयुक्त राष्ट्र महासभा (General Assembly) के अध्यक्ष कसाबा कोसोरी ने विज्ञान सत्र का आयोजन किया है।
महासभा प्रमुख कोरोसी ने, अपना पद सम्भालने के बाद से ही, नीति-निर्धारण में विज्ञान व सत्यापित डेटा के उपयोग को प्रोत्साहन देना अपनी प्राथमिकता बताया है। यूएन महासभा ने अपने कामकाज में स्वास्थ्य क्षेत्र में मुख्यत: वैश्विक महामारी की तैयारियों, वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज और तपेदिक (TB) पर ध्यान केन्द्रित किया
सौंदर्या राय May 06 2023 0 62814
सौंदर्या राय March 09 2023 0 72869
सौंदर्या राय March 03 2023 0 71001
admin January 04 2023 0 69942
सौंदर्या राय December 27 2022 0 57993
सौंदर्या राय December 08 2022 0 48895
आयशा खातून December 05 2022 0 103008
लेख विभाग November 15 2022 0 72373
श्वेता सिंह November 10 2022 0 77313
श्वेता सिंह November 07 2022 0 69254
लेख विभाग October 23 2022 0 56477
लेख विभाग October 24 2022 0 54920
लेख विभाग October 22 2022 0 63750
श्वेता सिंह October 15 2022 0 68472
श्वेता सिंह October 16 2022 0 67475
COMMENTS