नई दिल्ली। इसमें कोई शक़ नहीं कि धूम्रपान करना एक बेहद ख़राब आदत है। स्मोकिंग एक व्यक्ति को कई तरह से प्रभावित कर सकती है। WHO के मुताबिक, हर साल 8 मिलियन लोग तंबाकू के सेवन से हर साल मौत का शिकार हो जाते हैं।
लोग अक्सर स्ट्रेस रिलीज़ करने के लिए स्मोक करते हैं या फिर दोस्तों या सहकर्मियों से उन्हें यह आदत लग जाती है। लेकिन तंबाकू का नियमित उपयोग, जो कि सिगरेट में मौजूद एत जानलेवा उत्पाद है, कई तरह से निर्भरता की ओर ले जाता है। जैसा कि सभी जानते हैं, धूम्रपान के घातक परिणाम होते हैं। तंबाकू के नियमित सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं। कोविड-19 महामारी ने धूम्रपान करने वालों की स्थिति और खराब कर दी है।
कई अध्ययनों में पाया गया है कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में वायरस से संक्रमित होने का जोखिम कहीं ज़्यादा होता है। अगर आप वायरस से संक्रमित हो जाते हैं तो धूम्रपान गंभीर बीमारी का ख़तरा भी बढ़ा सकता है। आज नो स्मोकिंग डे, पर हम आपको बता रहे हैं ऐसे कारणों के बारे में जिससे पता चलता है कि इस जानलेवा महामारी के बीच स्मोक करना क्यों ज़रूरी है।
फेफड़ों की बीमारी
कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी है। यह मुख्य तौर पर आपके फेफड़ों को निशाना बनाती है। स्मोकिंग आपके फेफड़ों के फंक्शन को प्रभावित करती है। जिसकी वजह से आपके शरीर को कोविड-19 जैसी सांस की बीमारियों से लड़ने में परेशानी होती है।
इम्यून सिस्टम को करती है कमज़ोर
स्मोकिंग आपके इम्यून सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाती है, जिसकी वजह से आप सांस से जुड़ी समस्याओं के शिकार हो जाते हैं। कोरोना वायरस मुख्य तौर पर आपके इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है, और कमज़ोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में मौत का कारण बनता है।
दिल से जुड़ी बीमारी
स्मोकिंग कार्डियोवेस्कुलर बीमारियों का जोखिम भी बढ़ाती है। सिगरेट पीने से स्ट्रोक का ख़तरा दोगुना हो जाता है। पिछले कुछ समय से 40-50 साल के लोग भी कार्डियेक अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं, इसलिए यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि आप यह जानें कि स्मोकिंग किस तरह दिल की सेहत को प्रभाव डालती है।
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