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कोरोना वायरस फेफड़ों के साथ दिमाग़ पर भी डालता है गम्भीर असर: शोध

तुलनात्मक विश्लेषण से पता चला कि जो लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए थे, उनको मस्तिष्क और ग्रे-मैटर सिकुड़न से जूझना पड़ा, जो कि सामान्य मस्तिष्क की छह साल उम्र बढ़ने के बराबर है।

एस. के. राणा
March 09 2022 Updated: March 10 2022 00:34
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कोरोना वायरस फेफड़ों के साथ दिमाग़ पर भी डालता है गम्भीर असर: शोध प्रतीकात्मक

हालांकि SARs-COV-2 वायरस एक सांस से जुड़ी बीमारी का कारण बनता है, लेकिन यह भी साफ हो चुका है कि यह फेफड़ों के अलावा शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। यह मस्तिष्क में हल्के से गंभीर सूजन, स्ट्रोक और दौरे का कारण बनता है, जिससे तंत्रिका संबंधी लक्षण होते हैं।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक से एकत्र किए गए आंकड़ों को देखा। उन्होंने 51 से 81 वर्ष की आयु के 785 लोगों के ब्रेन MRI स्कैन और ब्रेन फंक्शन के परीक्षणों का अध्ययन किया, जो महामारी से पहले और उसके दौरान लिए गए थे। कुल प्रतिभागियों में से, लगभग आधे प्रतिभागियों (401 लोग) कोविड-19 पॉज़ीटिव हुए, जिनमें से 15, या लगभग 4% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।

तुलनात्मक विश्लेषण से पता चला कि जो लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए थे, उनको मस्तिष्क और ग्रे-मैटर सिकुड़न से जूझना पड़ा, जो कि सामान्य मस्तिष्क की छह साल उम्र बढ़ने के बराबर है।

शोध में देखा गया कि जो लोग प्रभावित हुए उनमें गंध और स्वाद की हानि जैसे लक्षण थे। कुछ कोविड पॉज़ीटिव लोगों में कम संज्ञानात्मक कौशल के लक्षण भी दिखे। यह मानसिक क्षमता से जुड़े मस्तिष्क के ऊतकों के अधिक नुकसान को दर्शाता है। इस स्टडी में यह भी पाया गया कि इस तरह के लक्षण उम्रदराज़ लोगों और उन लोगों में ज़्यादा देखे गए जो अस्पताल में भर्ती हुए थे। हालांकि, यह भी पता चला कि हल्के से लेकर एसिम्टोमैटिक संक्रमण ने भी इसी तरह प्रभावित किया।

रिसर्चरों का मानना है कि यह जानने के लिए कि दिमाग़ को पहुंचा नुकसान पर्मानेंट है या इसे ठीक किया जा सकता है, और शोध की ज़रूरत है। अध्ययन के लेखकों में से एक, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ग्वेनाएल डौउड ने कहा, "मस्तिष्क प्लास्टिक है, जिसका अर्थ है कि यह कुछ हद तक खुद को फिर से व्यवस्थित और ठीक कर सकता है। यहां तक कि वृद्ध लोगों में भी।"

कोविड-19 के दूसरे न्यूरोलॉजिकल प्रभाव
कोरोना वायरस का दिमाग़ से जुड़ा सबसे आम और लंबा चलने वाला लक्षण है- ब्रेन फॉग, जिसे मानसिक भ्रम की स्थिति भी कहा जाता है। अतीत के अध्ययनों ने यह भी दावा किया है कि अल्ज़ाइमर और पार्किंसंस रोग कोविड-19 के लंबे समय तक चलने वाले प्रभावों में से एक हो सकते हैं।

कोविड-19 खासतौर से दिमाग़ पर असर डाल सकता है, जिसकी वजह से मस्तिष्क की मात्रा में सिकुड़न और कमी हो सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह मनोभ्रंश, अल्ज़ाइमर रोग, अवसाद और हल्के संज्ञानात्मक हानि सहित कई मस्तिष्क विकारों पर प्रकाश डाल सकता है।

हालांकि, यह सुझाव देने के लिए कोई स्पष्ट सबूत नहीं है कि क्या कोविड-19 याददाश्त या संज्ञानात्मक कार्यों से जुड़ी बीमारियों को और खराब कर सकता है, जिसमें मनोभ्रंश यानी डिमेंशिया भी शामिल है।

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