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PMCH में करोड़ों रुपये का गबन, एजेंसी के संचालक के खिलाफ FIR दर्ज

इस संबंध में पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने एजेंसी के संचालक राकेश कुमार के खिलाफ पीरबहोर थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि एजेंसी ने मरीजों के रजिस्ट्रेशन से मिले एक करोड़ 16 लाख 92 हजार रुपये अस्पताल के अधीक्षक कार्यालय में जमा नहीं किये।

विशेष संवाददाता
November 03 2022 Updated: November 03 2022 22:16
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PMCH में करोड़ों रुपये का गबन, एजेंसी के संचालक के खिलाफ FIR दर्ज प्रतीकात्मक चित्र

पटना। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के रजिस्ट्रेशन करने वाली एजेंसी आरजी स्वाफ्टवेयर एंड सिस्टम द्वारा एक करोड़ 16 लाख 92 हजार रुपये का गबन करने का मामला सामने आया है।

 

इस संबंध में पीएमसीएच (PMCH) के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने एजेंसी के संचालक राकेश कुमार के खिलाफ पीरबहोर थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि एजेंसी (agency) ने मरीजों के रजिस्ट्रेशन से मिले एक करोड़ 16 लाख 92 हजार रुपये अस्पताल (hospital) के अधीक्षक कार्यालय में जमा नहीं किये।

 

बताया जाता है कि राकेश कुमार के खिलाफ पीरबहोर थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 409 के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्राथमिकी के बाद पीरबहोर थाना पुलिस (police) मामले की जांच में जुटी है। इससे जुड़े कागजात खंगाले जा रहे हैं। एजेंसी का कार्यालय (office) डाकबंगला चौराहे के पास फ्रेजर रोड में नारायण पैलेस में है। एजेंसी को पीएमसीएच में मरीजों (patients) के रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी दी गयी थी।

 

साथ ही यह समझौता हुआ था कि प्रतिदिन मरीजों से रजिस्ट्रेशन (registration) से मिलने वाली राशि को सरकारी (government) कोष में जमा कर देना होगा लेकिन एजेंसी ने जुलाई, 2017 से लेकर मई, 2020 तक रजिस्ट्रेशन से मिली राशि और उसके रिकॉर्ड (record) को जमा नहीं किया। करीब 34 माह की राशि एक करोड़ 16 लाख रुपये होती है, जिसे लेकर एजेंसी गायब है।

 

साथ ही मरीजों का डाटा (data) भी अपने साथ ले गयी है। इस संबंध में पीएमसीएच प्रशासन (administration) की ओर से 12 अक्तूबर, 2022 को रजिस्ट्रेशन की राशि और सारा रिकॉर्ड लौटाने के लिए पत्र भी भेजा गया था लेकिन उस पत्र का एजेंसी ने जवाब तक नहीं दिया। इसके बाद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी। खास बात यह है कि कोरोना (corona) के मरीजों का डाटा भी एजेंसी के पास ही था क्योंकि उनका रजिस्ट्रेशन भी एजेंसी ने किया था।

 

Edited by Shweta Singh

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