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मातृत्व की राह में पीसीओडी सबसे बड़ी बाधा।

पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं  के शरीर में अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन होता है। इंसुलिन की अधिक मात्रा के चलते उनके शरीर में पुरुष हारमोन और एंड्रोजेंस के उत्पादन की मात्रा खासी बढ़ जाती है।

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January 16 2021 Updated: January 23 2021 01:33
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मातृत्व की राह में पीसीओडी सबसे बड़ी बाधा। प्रतीकात्मक फोटो

- डा. ऋषिकेश, स्त्री रोग एवं इंफर्टीलिटी विषेशज्ञ,
ब्लूम आईवीएफ सेंटर फोर्टिस लाफेम अस्पताल
एवं  लीलावती अस्पताल मुम्बई

मां बनने और एक नयी जिन्दगी को इस संसार में लाने का सुख किसी भी महिला के जीवन का परम सुख कहा जा सकता है। ऐसी कुछ समस्याएं हैं जो कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं। पीसीओडी यानी पॉली-सिस्टिक ओवेरियन बीमारी उनमें से एक है। यह बांझपन समस्या से ग्रस्त महिलाओं में सामान्य रुप से पायी जाती हैं। इससे शरीर में हारमोनल बदलाव आने से अंडे पैदा करने की क्षमता और गर्भाधान के लिये यूटरस को तैयार करने की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है। यह देश में प्रजनन आयु वाली करीब 10 प्रतिशत स्त्रियों को प्रभावित करती है। इसका मुख्य कारण शरीर में हारमोन का असंतुलन है।पीसीओएस या पीसीओडी एक ऐसी बीमारी है जिसमें ओवरी में कई तरह से सिस्ट्स और थैलीनुमा कोश उभर जाते हैं जिसमें एक तरल पदार्थ भरा होता है। पीसीओडी से ग्रस्त मरीज में हारमोन का असामान्य स्तर पैदा हो जाता है। यह एनोवाल्यूटरी बांझपन का सबसे मुख्य कारण है। यदि इसको शुरुआती चरणों में ठीक नहीं किया गया तो इससे महिलाओं के शरीर और रंग-रुप में खतरनाक बदलाव आ जाते हैं। बाद के चरणो में इस समस्या से कई गंभीर बीमारियां पैदा हो सकती हैं जिसमे मधुमेह और हृदय रोग शामिल हैं।


यह शरीर के हारमोनल मार्ग को बाधित कर देते हैं जो कि अन्डों को पैदा कर यूट्रस को गर्भाधान के लिये तैयार करते हैं। पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं  के शरीर में अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन होता है। इंसुलिन की अधिक मात्रा के चलते उनके शरीर में पुरुष हारमोन और एंड्रोजेंस के उत्पादन की मात्रा खासी बढ़ जाती है। अत्यधिक पुरुष हारमोन इन महिलाओं में अंडे पैदा करने की प्रक्रिया को शिथिल कर देते हैं। इसका परिणाम होता है कि महिलाएं जिनकी ओवरी में पॉलीसिस्ट होता है उनके शरीर में अंडे पैदा करने की क्षमता कम हो जाती और गर्भधारण नहीं कर पाती। पीसीओडी से ग्रस्त अधिकतर महिलाओंं में  यूट्रस से असमान्य रक्तस्राव और सामान्य महावारी रक्तस्राव की कमी, अत्यधिक मोटापा वह भी कमर के चारो ओर अधिक वजन बढऩे से पीसीओडी जैसी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। यह पाया गया है कि मात्र 50 प्रतिशत मामलों में मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को पीसीओडी की समस्या होती है। कील मुहांसे, तैलीय त्वचा, चेहरे, छाती, पेट, पीठ, अंगूठे पर अधिक बाल आना और गंजापन ऐसे कुछ लक्षण है जिन्हें सामान्य रूप से पीसीओडी से जोड़ कर देखा जाता है । पालीसाइस्टिक ओवरी, चाहे वह ओवरीयन में बढ़ोतरी के साथ हो या न हो, इंसुलिन प्रतिरोधकता, माहवारी में असमान्यता तिथि आदि लक्षणों से इस बीमारी का पता चलता है।

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