देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

उत्तर प्रदेश

अपोलोमेडिक्स ने मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसी घातक बीमारी से बचाई बच्चे की जान।

अपोलोमेडिक्स की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रांजलि सक्सेना के मुताबिक़ यह कोविड होने के बाद बच्चों में होने वाली बीमारी है, जिसके लक्षण 2 से 8 हफ्ते बाद ही नजर आने शुरू होते हैं।

हुज़ैफ़ा अबरार
July 28 2021 Updated: July 28 2021 04:15
0 20516
अपोलोमेडिक्स ने मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसी घातक बीमारी से बचाई बच्चे की जान। बीमारी से थिरक हुआ बच्चा और उसके माता पिता।

लखनऊ। राजधानी स्थित अपोलोमेडिक्स अस्पताल ने आधुनिक तकनीक और टीमवर्क से असाध्य से लगने वाले रोग मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से एक मासूम की जान बचाने में सफलता पाई है। 

मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण कोविड के संक्रमण के 2-8 हफ्ते बाद नजर आने शुरू होते हैं। यदि इन लक्षणों को समय से न पकड़ा जाए तो बीमारी घातक भी हो सकती है। ऐसे ही एक बच्चे में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम नजर आए और उसके माता-पिता स्वयं डॉक्टर होते हुए भी अपने आपको असहाय पा रहे थे। 

आखिरकार उन्होंने अपोलोमेडिक्स में बच्चे को एडमिट कराया जहां डॉक्टर्स की टीम ने सफलतापूर्वक इलाज करते हुए उसे नया जीवनदान दिया। 

अपोलोमेडिक्स के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ निरंजन सिंह ने बताया, "जब बच्चा अपोलोमेडिक्स लाया गया तो उसको पिछले चार दिन से तेज बुखार था। दवाएं भी काम नहीं कर रही थीं। मरीज़ को लगातार दस्त हो हो रहा था। पूरे शरीर पर दाने हो चुके थे और कंजक्टिवाइटिस की वजह से आँखें लाल हो चुकी थीं। 

जांच और पूछताछ से पता चला कि फॅमिली में कई सदस्यों को लगभग एक महीना पहले कोविड हो चुका था। गहन जांच के बाद पता चला कि बच्चे को मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएससी) हुआ है। यह एक रेयर डिजीज है लेकिन बहुत घातक है। भर्ती होने के बाद सभी संभव इलाज के बाद भी मरीज़ की हालत बिगड़ती गई। अस्पताल ने उसको वेंटिलेटर पर रखा और जब उसकी सांस और अन्य पैरामीटर्स नार्मल होने लगे तो उसे वेंटिलेटर से हटा लिया गया। मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम की इंटरनेशनल गाइडलाइन्स का पालन करते हुए बच्चे का इलाज किया गया। 

अपोलोमेडिक्स अस्पताल के सीईओ और एमडी डॉ मयंक सोमानी ने बताया, "5 वर्षीय मरीज़ को कोविड के बाद अत्यधिक तेज बुख़ार, दस्त और बदन पर छाले हो गए थे। बच्चे के माता-पिता स्वयं डॉक्टर हैं लेकिन वे भी उसकी हालत देखकर बुरी तह से निराश हो चुके थे। 

मरीज़ के माता पिता ने उसको अपोलोमेडिक्स अस्पताल में भर्ती कराया, जहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. निरंजन सिंह ने पाया की उसे MISC नाम की घातक बीमारी है। अनेक उतार-चढ़ाव तथा विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों की टीमवर्क से अंततः मरीज़ का सफल इलाज हुआ और बच्चा अब स्वस्थ है। 

इलाज के दौरान मरीज़ को वेंटिलेटर से हटाते ही उसके हार्ट में दिक्कत आने लगी, तो डॉ निरंजन सिंह, डॉ करण कौशिक और डॉ अनुपम वाख्लू की टीम ने एक बार फिर उसको वेंटिलेटर पर रखने का फैसला किया। 

अपोलोमेडिक्स की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रांजलि सक्सेना के मुताबिक़ यह कोविड होने के बाद बच्चों में होने वाली बीमारी है, जिसके लक्षण 2 से 8 हफ्ते बाद ही नजर आने शुरू होते हैं। बच्चे को जब आईसीयू में एडमिट किया गया तो उसनके सभी पैरामीटर्स काफी चिंताजनक थे। यह अपोलोमेडिक्स के हर डिपार्टमेंट का सहयोग था जो बाल रोग विशेषज्ञों को पूरी तरह मिला जिसकी वजह से हम अक्षत को हुई इस घातक बीमारी से बाहर निकाल पाए और आज वह स्वस्थ जीवन जी रहा है।

मरीज़ के पिता डॉ हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि 24 मई की रात से अक्षत को बुखार आना शुरू हुआ और हर बीतते पल के साथ उसका बुखार बढ़ता ही जा रहा था। डॉक्टर होने के नाते मैंने अपने जीवन में पहली बार 106 बुखार देखा, वह भी अपने बेटे का। 

उसी रात हम अक्षत को अपोलोमेडिक्स ले आये। अक्षत की हालत देखकर मैं और उसकी मां काफी डरे हुए थे लेकिन अपोलोमेडिक्स के स्टाफ ने लगातार हौसला बढ़ाया और उसके इलाज से सम्बन्धित हर जरूरी जानकारी हमें देते रहे। 

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

COMMENTS

राष्ट्रीय

कोरोनरोधी टीके के दोनों डोज़ लेने वालों की संख्या, एक डोज़ लेने वालों से आगे निकली।

एस. के. राणा November 17 2021 21896

देश में पहली बार पूरी तरह से टीकाकरण (vaccine ) करवाने वालों की संख्या आंशिक रूप से टीकाकरण करवाने व

उत्तर प्रदेश

जन्म के समय बच्चे के पास पीडियाट्रिशियन का होना क्यों जरूरी है?

रंजीव ठाकुर June 04 2022 40234

ट्रेनिंग प्रोग्राम में फर्स्ट गोल्डन मिनट प्रोजेक्ट की जानकारी दी गई जिसमें प्रदेश भर से आए पीडियाट्

उत्तर प्रदेश

जिलाधिकारी ने फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए सभी से दवा खाने की अपील की 

हुज़ैफ़ा अबरार January 16 2023 20693

दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों को फाइलेरिया की दवा नह

स्वास्थ्य

एड्स: लक्षण, कारण, निदान, इलाज और प्रबंधन

लेख विभाग December 01 2022 37190

आमतौर पर एड्स संक्रमित साथी के साथ असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने के कारण होता है। यह एचआईवी संक्र

राष्ट्रीय

एमपी में दिमागी बुखार को लेकर स्वास्थ्य महकमा सतर्क

विशेष संवाददाता March 28 2023 22217

भोपाल, इंदौर, विदिशा और रायसेन में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से बचाव के लिए भी निशुल्क टीका लगाया जा

इंटरव्यू

सफेद दाग छूआछूत की बीमारी नहीं: डॉ ए के गुप्ता

रंजीव ठाकुर June 11 2022 42331

सफेद दाग के बहुत से कारण होते हैं लेकिन संयुक्त रुप से इसे ल्यूकोडर्मा कहा जाता है। जब शरीर में रंग

अंतर्राष्ट्रीय

बाल टीकाकरण दर पिछले 30 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर: संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ

हे.जा.स. July 16 2022 24732

विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के अनुसार, डिप्थीरिया, टेटनस और पेरटुसिस से बचाव के

उत्तर प्रदेश

नेशनल पीजी कालेज में कोविड टेस्ट कैंप आयोजित।

हुज़ैफ़ा अबरार February 24 2021 26711

टेस्ट करने वाली मेडिकल टीम ने महाविद्यालय के समस्त स्टाफ एवं छात्र/छात्राओं के बढ़-चढ़ के हिस्सा ले

उत्तर प्रदेश

कानपुर में डेंगू के रिकॉर्ड 42 संक्रमित मिले

आरती तिवारी November 25 2022 16617

कानपुर में बीते 24 घंटे में शहर में डेंगू के 42 नए मरीज सामने आए हैं। इनमें एक 5 माह का मासूम भी शाम

उत्तर प्रदेश

प्रदेश के शून्य एक्टिव केस वाले बीस ज़िलों में से 13 जिलों में मिले कोरोना संक्रमित, 258 नए कोरोना मरीज मिले 

हुज़ैफ़ा अबरार June 15 2022 14805

प्रदेश में सोमवार को 258 नए कोरोना मरीज मिले हैं। इसमें सर्वाधिक 58 संक्रमित गौतमबुद्धनगर में मिले ह

Login Panel