लखनऊ। राजधानी स्थित अपोलोमेडिक्स अस्पताल ने आधुनिक तकनीक और टीमवर्क से असाध्य से लगने वाले रोग मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से एक मासूम की जान बचाने में सफलता पाई है।
मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण कोविड के संक्रमण के 2-8 हफ्ते बाद नजर आने शुरू होते हैं। यदि इन लक्षणों को समय से न पकड़ा जाए तो बीमारी घातक भी हो सकती है। ऐसे ही एक बच्चे में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम नजर आए और उसके माता-पिता स्वयं डॉक्टर होते हुए भी अपने आपको असहाय पा रहे थे।
आखिरकार उन्होंने अपोलोमेडिक्स में बच्चे को एडमिट कराया जहां डॉक्टर्स की टीम ने सफलतापूर्वक इलाज करते हुए उसे नया जीवनदान दिया।
अपोलोमेडिक्स के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ निरंजन सिंह ने बताया, "जब बच्चा अपोलोमेडिक्स लाया गया तो उसको पिछले चार दिन से तेज बुखार था। दवाएं भी काम नहीं कर रही थीं। मरीज़ को लगातार दस्त हो हो रहा था। पूरे शरीर पर दाने हो चुके थे और कंजक्टिवाइटिस की वजह से आँखें लाल हो चुकी थीं।
जांच और पूछताछ से पता चला कि फॅमिली में कई सदस्यों को लगभग एक महीना पहले कोविड हो चुका था। गहन जांच के बाद पता चला कि बच्चे को मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएससी) हुआ है। यह एक रेयर डिजीज है लेकिन बहुत घातक है। भर्ती होने के बाद सभी संभव इलाज के बाद भी मरीज़ की हालत बिगड़ती गई। अस्पताल ने उसको वेंटिलेटर पर रखा और जब उसकी सांस और अन्य पैरामीटर्स नार्मल होने लगे तो उसे वेंटिलेटर से हटा लिया गया। मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम की इंटरनेशनल गाइडलाइन्स का पालन करते हुए बच्चे का इलाज किया गया।
अपोलोमेडिक्स अस्पताल के सीईओ और एमडी डॉ मयंक सोमानी ने बताया, "5 वर्षीय मरीज़ को कोविड के बाद अत्यधिक तेज बुख़ार, दस्त और बदन पर छाले हो गए थे। बच्चे के माता-पिता स्वयं डॉक्टर हैं लेकिन वे भी उसकी हालत देखकर बुरी तह से निराश हो चुके थे।
मरीज़ के माता पिता ने उसको अपोलोमेडिक्स अस्पताल में भर्ती कराया, जहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. निरंजन सिंह ने पाया की उसे MISC नाम की घातक बीमारी है। अनेक उतार-चढ़ाव तथा विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों की टीमवर्क से अंततः मरीज़ का सफल इलाज हुआ और बच्चा अब स्वस्थ है।
इलाज के दौरान मरीज़ को वेंटिलेटर से हटाते ही उसके हार्ट में दिक्कत आने लगी, तो डॉ निरंजन सिंह, डॉ करण कौशिक और डॉ अनुपम वाख्लू की टीम ने एक बार फिर उसको वेंटिलेटर पर रखने का फैसला किया।
अपोलोमेडिक्स की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रांजलि सक्सेना के मुताबिक़ यह कोविड होने के बाद बच्चों में होने वाली बीमारी है, जिसके लक्षण 2 से 8 हफ्ते बाद ही नजर आने शुरू होते हैं। बच्चे को जब आईसीयू में एडमिट किया गया तो उसनके सभी पैरामीटर्स काफी चिंताजनक थे। यह अपोलोमेडिक्स के हर डिपार्टमेंट का सहयोग था जो बाल रोग विशेषज्ञों को पूरी तरह मिला जिसकी वजह से हम अक्षत को हुई इस घातक बीमारी से बाहर निकाल पाए और आज वह स्वस्थ जीवन जी रहा है।
मरीज़ के पिता डॉ हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि 24 मई की रात से अक्षत को बुखार आना शुरू हुआ और हर बीतते पल के साथ उसका बुखार बढ़ता ही जा रहा था। डॉक्टर होने के नाते मैंने अपने जीवन में पहली बार 106 बुखार देखा, वह भी अपने बेटे का।
उसी रात हम अक्षत को अपोलोमेडिक्स ले आये। अक्षत की हालत देखकर मैं और उसकी मां काफी डरे हुए थे लेकिन अपोलोमेडिक्स के स्टाफ ने लगातार हौसला बढ़ाया और उसके इलाज से सम्बन्धित हर जरूरी जानकारी हमें देते रहे।
एस. के. राणा March 07 2025 0 20757
एस. के. राणा March 06 2025 0 20535
एस. के. राणा March 08 2025 0 19425
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 18315
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 14763
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 13209
सौंदर्या राय May 06 2023 0 80241
सौंदर्या राय March 09 2023 0 84968
सौंदर्या राय March 03 2023 0 83544
admin January 04 2023 0 85149
सौंदर्या राय December 27 2022 0 74421
सौंदर्या राय December 08 2022 0 64213
आयशा खातून December 05 2022 0 117660
लेख विभाग November 15 2022 0 87358
श्वेता सिंह November 10 2022 0 99846
श्वेता सिंह November 07 2022 0 85793
लेख विभाग October 23 2022 0 70685
लेख विभाग October 24 2022 0 72236
लेख विभाग October 22 2022 0 79512
श्वेता सिंह October 15 2022 0 85788
श्वेता सिंह October 16 2022 0 80462
महाराष्ट्र में कोरोनावयरस के मामले फिर तेजी से बढ़ रहे है। शुक्रवार को 32 नए केस सामने आए। मुंबई और
सभी विश्वविद्यालय महिलाओं एवं कुपोषित बच्चों के उत्थान में इसी प्रकार सहयोग करें ताकि हमारा उत्तर प्
कनाडा में कोविड वैक्सीन न लेने वालों के खिलाफ लागू किए कड़े कदमों के विरोध में किए जा रहे प्रदर्शनों
राजधानी में डेंगू के मामलों में फिर से तेजी आई है। दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त के मह
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता की एक करोड़ से ज्यादा आबादी में से आधी आबादी कोरोना संक्रमित हो सकती ह
थैलासीमिया इण्डिया सोसायटी, लखनऊ द्वारा लोहिया अस्पताल की ओपीडी-2 में एचएलए कैम्प आयोजन किया गया। शि
भारत के दवा नियंत्रक ने भारत बायोटेक को नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन की बूस्टर खुराक के परीक्
गोल्डन ऑवर अक्सर एक ऐसा समय होता है जो यह तय करता है कि मरीज बच पाएगा या नहीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि
डब्ल्यूएचओ सभी को टीबी से पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति व मदद का भाव रखने के साथ ही, बीमारी को समझ
बलरामपुर जेल में महिला कैदी ने बच्चे को जन्म दिया है। इस दौरान जेल प्रशासन की ओर से बैरक को गुब्बारो
COMMENTS