हमारे वेद और शास्त्र हमारे अच्छे के लिए ही हमें कुछ नियम प्रदान करते हैं। यह नियम और निर्देश हमें एक सुखमय जीवन प्रदान करने में सहायक सिद्ध होते हैं। वैदिक मान्यताओं (Vedic beliefs) में भोजन करते समय भोजन की सात्विकता का ख्याल रखना जरूरी है। इसके अलावा अच्छी भावना और अच्छे वातावरण और आसन का भी बहुत महत्व माना गया है। यदि भोजन के सभी नियमों का पालन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। यदि आपने ये नियम अपने जीवन में लागू कर लिए तो आपको डॉक्टर (doctor) के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
भारतीय शास्त्रों के अनुसार भोजन के नियम - The rules of food according to Indian scriptures
- खाना खाने के 1.30 घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए।
- पानी घूँट घूँट करके पीना है जिससे अपनी मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जा सके, पेट में एसिड बनता है और मुँह में छार, दोनो पेट में बराबर मिल जाए तो कोई रोग पास नहीं आएगा।
- पानी कभी भी ठंडा (फ़्रिज़ का) नहीं पीना है।
- सुबह उठते ही बिना क़ुल्ला किए 2 ग्लास पानी पीना चाहिए, रात भर जो अपने मुँह में लार है वो अमूल्य है उसको पेट में ही जाना ही चाहिए ।
- खाना, जितने आपके मुँह में दाँत है उतनी बार ही चबाना है ।
- खाना ज़मीन में पलोथी मुद्रा में बैठकर या उखड़ूँ बैठकर ही खाना चाहिए।
- खाने के मेन्यू में एक दूसरे के विरोधी भोजन एक साथ ना करें, जैसे दूध के साथ दही, प्याज़ के साथ दूध, दही के साथ उड़द की दल न लें ।
- समुद्री नमक की जगह सेंधा या काला नमक खाना चाहिए। सेंधा नमक प्रयोग करने से थायराईड, बी पी और पेट ठीक होगा।
- रीफ़ाइन तेल, डालडा ज़हर है, इसकी जगह अपने इलाक़े के अनुसार सरसों, तिल, मूँगफली या नारियल का तेल उपयोग में लायें।रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं । सोयाबीन के कोई भी प्रोडक्ट खाने में ना लें, इसके प्रोडक्ट को केवल सुअर पचा सकते हैं। आदमी में इसके पचाने के एंज़िम नहीं बनते हैं । यदि उपयोग में लाना ही है तो सोयाबीन बड़ी को दो घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।
- दोपहर के भोजन के बाद कम से कम ३० मिनट आराम करना चाहिए और शाम के भोजन बाद 500 क़दम पैदल चलना चाहिए।
- घर में चीनी (शुगर) का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि चीनी को सफ़ेद करने में 17 तरह के ज़हर (केमिकल ) मिलाने पड़ते है इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए और आज कल गुड़ बनाने में कॉस्टिक सोडा (ज़हर) मिलाकर गुड को सफ़ेद किया जाता है इसलिए सफ़ेद गुड़ ना खाए। प्राकृतिक गुड़ ही खायें। प्राकृतिक गुड़ चाकलेट कलर का होता है।
- सोते समय आपका सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए।
- घर में कोई भी अलूमिनियम के बर्तन या कुकर नहीं होना चाहिए। हमारे बर्तन मिट्टी, पीतल लोहा और काँसा के होने चाहिए।
- दोपहर का भोजन 11 बजे तक अवश्य और शाम का भोजन सूर्यास्त तक हो जाना चाहिए ।
- सुबह भोर के समय तक आपको देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंधल नमक और ज़ीरा बिना भुना हुआ मिलाकर) पीना चाहिए ।
- ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।
- ज्यादा से ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।
- भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा। भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।
- नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें, पोषक विटामिन और फाइबर मिलेंगें।
- प्रतिदिन सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।
- छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।
- चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं और निरोग रहें।
- एक डस्टबिन रसोई में और एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।
- रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों का तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।
- करेले, मैथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।
- पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।
- प्लास्टिक और अल्युमिनियम रसोई से हटाएं, दोनों केन्सर कारक हैं।
- माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग कैंसर कारक है।
- खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।
- बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं।
- तली चीजें छोड़ें, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।
- मैदा, बेसन, छौले, राजमां और उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।
- रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छानने के बाद जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।
- सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी।
- रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।
- एक्यूप्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारियां शरीर से निकल जायेंगी।
- चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।
- रसोई के मसालों से बनी चाय-मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।
- सर्दियों में नाखून के बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।
- सर्दी में बाहर जाते समय दो चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा।
- रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रख कर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा।
- कभी कभी नमक-हल्दी में दो बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।
- बुखार में एक लीटर पानी उबाल कर २५० मि ग्रा कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।
- सुबह के खाने के साथ घर का जमाया देशी गाय का ताजा दही जरूर शामिल करें, प्रोबायोटिक का काम करेगा।
भोजन का हमारे तन, मन, मस्तिष्क पर प्रभाव - Effect of food on our body, mind and body
भोजन का प्रभाव हमारे तन, मन एवं मस्तिष्क पर पड़ता है। अनीति (पाप) से कमाए पैसे के भोजन से मन दूषित होता है (जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन) वहीं तले हुए (fried), मसालेदार (spicy), बासी (stale), रूखे एवं गरिष्ठ भोजन से मस्तिष्क में काम, क्रोध, तनाव जैसी वृत्तियां जन्म लेती हैं। भूख से अधिक या कम मात्रा में भोजन करने से तन रोगग्रस्त बनता है। भोजन से ऊर्जा (energy) के साथ-साथ सप्त धातुएं (blood, flesh, marrow, bone etc.) पुष्ट होती हैं। केवल खाना खाने से ऊर्जा नहीं मिलती, खाना खाकर उसे पचाने से ही ऊर्जा प्राप्त होती है। एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है, 'सुबह का खाना स्वयं खाओ, दोपहर का खाना दूसरों को दो और रात का भोजन दुश्मन को दो।' दिन का भोजन शारीरिक श्रम के अनुसार एवं रात का भोजन हल्का व सुपाच्य होना चाहिए। रात्रि का भोजन सोने से दो या तीन घंटे पूर्व करना चाहिए। तीव्र भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए। नियत समय पर भोजन करने से पाचन अच्छा होता है। अतः भोजन का समय निश्चित करें।
भोजन के सामान्य नियम - General rules of food
भोजन के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए। भोजन के पश्चात घुड़सवारी, दौड़ना, बैठना, शौच आदि नहीं करना चाहिए। भोजन के पश्चात दिन में टहलना एवं रात में सौ कदम टहलकर बाईं करवट लेटने अथवा वज्रासन में बैठने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। भोजन के एक घंटे पश्चात मीठा दूध एवं फल खाने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। शास्त्रीय नियमों के अनुसार जब व्यक्ति क्रोध में हो, किसी से ईर्ष्या की भावना रखता हो, तो उसे भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे में वह भोजन उसे पचता नहीं है। भोजन करते समय हमेशा मौन रहें। यदि किन्हीं कारणों से बोलना जरूरी हो तो सिर्फ सकारात्मक बातें ही करें। खाना खाने से पहले ईश्वर का ध्यान करना और उहें धन्यवाद कहना न भूलें। भारतीय शास्त्रों के अनुसार भोजन शुद्ध होना चाहिए, उससे भी शुद्ध जल होना चाहिए और सबसे शुद्ध वायु होना चाहिए। यदि ये तीनों शुद्ध है तो हम कम से कम सौ वर्ष तक जिंदा रह सकते हैं।
लेखक - डॉ आरबीएस कुशवाहा, आईएफएस
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