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महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की जागरूकता जरुरी: डा. विनोद  

ज्यादातर केसेस में मरीजों में गांठ तो रहती है लेकिन दर्द नहीं होता है। कई महिलाएं अपने ब्रेस्ट में गांठ महसूस होने पर इस पर ध्यान नहीं देती है।

हुज़ैफ़ा अबरार
March 09 2021 Updated: March 09 2021 05:21
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महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की जागरूकता जरुरी: डा. विनोद   प्रतीकात्मक

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और इंडोमेट्रियल ट्यूमर के केसेस बढ़ रहे है। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल कानपुर के ऑन्कोलॉजिस्ट ने अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौकों पर महिलाओं से आग्रह किया है कि वे आगे आकर कैंसर के लिए खुद का चेकअप कराएं क्योंकि अगर कैंसर का पता जल्दी चले तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। 

डॉ विनोद मुदगल सर्जन सर्जिकल ऑन्कोलॉजी रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल कानपुर ने कहा वे एक महीने में लगभग 150 ऐसी महिलाओं को देखते हैं जिन में ब्रेस्ट कैंसर होता है और उनमें से 90 प्रतिशत महिलाएं इससे पूरी तरह से इससे अनजान होती हैं। वे नहीं जानती है कि इस कैंसर के लक्षण और संकेत क्या होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनके ट्रीटमेंट में देरी हो जाती है। महिलाओं को ऐसे कैंसरों के लिए नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए, ऐसा देखा गया है कि अगर महिलाएं नियमित रूप से जांच नहीं कराती है तो अक्सर इस तरह के कैंसर का डायग्नोसिस एडवांस स्टेज में हो पाता है। 

उन्होंने कहा पूरे प्रदेश में महिलाओं में होने वाले सबसे ज्यादा कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर शामिल है। अन्य राज्यों के मुकाबलें प्रदेश में महिलाएं युवा उम्र में ही ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त होती है। दुर्भाग्य से समाज में फैली कुप्रथाओं और जागरूकता की कमी के कारण

बीमारी की पहचान देर से होती है। इसके कैंसर देर से डायग्नोसिस होने की समस्या बढ़ जाती है। ज्यादातर केसेस में मरीजों में गांठ तो रहती है लेकिन दर्द नहीं होता है। कई महिलाएं अपने ब्रेस्ट में गांठ महसूस होने पर इस पर ध्यान नहीं देती है। गांठ का मतलब क्या होता है या वे अपने पार्टनर और समाज द्वारा इसे न अपनाने के भय तथा कलंक के डर से इस बारें में किसी को भी नहीं बताती है। 

डॉ मुदगल ने कहा रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल कानपुर में इन कैंसर के लिए एक सस्ती ट्रीटमेंट प्रक्रिया मौजूद है ताकि किसी को भी कैंसर के इलाज में बाधा न आये। हॉस्पिटल में स्क्रीनिंग के लिए तकनीकी मशीनों की उपलब्धता है। ब्रेस्ट कैंसर के एग्जामनेशन के लिए सबसे व्यापक रूप से कार्यान्वित उपकरण में मैमोग्राफ्री क्लिनिकल ब्रेस्ट टेस्ट और सेल्फ एग्जाम टेस्ट शामिल हैं। मैमोग्राफी और क्लिनिकल ब्रेस्ट टेस्ट से महिलाओं में बीमारी को कम करके मृत्यु दर को कम करने में मदद मिल सकती है। 

डॉ विनोद ने कहा सेल्फ एग्जामनेशन बीमारी के डायग्नोसिस और रोकथाम का सबसे व्यवहार्य और उचित दृष्टिकोण है। महिलाओं में ब्रेस्ट के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सेल्फ एग्जामनेशन का उपयोग किया जा सकता है। प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारी स्थिति के बारे में जानकारी फैलाने में मदद कर सकते हैं और महिलाओं को एक सेल्फ एग्जामनेशन के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। 

महिलाओं को हर साल ब्रैस्ट कैंसर स्क्रीनिंग के साथ अपना हेल्थ चेकअप करवाते रहना चाहिए। इससे बीमारी की पकड़ जल्दी होती है और इलाज आसान और कम पैसो में हो पता है।

 

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