नयी दिल्ली। अब बायोलॉजिकल-ई (Biologics-E) का कॉर्बेवैक्स, कोविशील्ड या कोवाक्सिन टीकाकरण वाले वयस्कों के लिए एहतियाती खुराक के रूप में दिया जा सकेगा। यह पहली बार होगा जब देश में प्राथमिक टीकाकरण में दी गई वैक्सीन के बजाय किसी भिन्न वैक्सीन को बूस्टर खुराक के रूप में दिया जाएगा। कोविड-19 (COVID-19) टीकाकरण पर एक सरकारी पैनल ने बायोलॉजिकल-ई के कॉर्बेवैक्स को अनुमति देने की सिफारिश की है। एक आधिकारिक सूत्र ने पीटीआई को बताया कि टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के कोविड-19 कार्य समूह ने 20 जुलाई को हुई अपनी 48 वीं बैठक में ये सिफारिश की है।
डाटा की जांच के बाद सीडब्ल्यूजी (CWG) ने पाया कि कोवैक्सिन (Covaxin) या कोविशील्ड (Covishield) टीकाकरण वाले लोगों में कॉर्बेवैक्स (Corbevax) वैक्सीन एंटीबॉडी टाइटर्स में महत्वपूर्ण वृद्धि को प्रेरित कर सकता है। भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने 4 जून को कॉर्बेवैक्स को 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए एहतियाती खुराक (precautionary doses) के रूप में मंजूरी दी थी। कोविड-19 वैक्सीन जो पहली और दूसरी खुराक देने के लिए इस्तेमाल की गई है, 18 साल और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को एहतियात के तौर पर दी जा रही है। 18-59 आयु वर्ग में 4.13 करोड़ से अधिक एहतियाति खुराक दी गई है, जबकि 5.11 करोड़ से अधिक एहतियाती खुराक 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं (frontline workers) को दी गई है।
भारत ने 10 जनवरी से स्वास्थ्य देखभाल और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को टीकों की एहतियाती खुराक देना शुरू किया था। देश ने 16 मार्च से 12-14 वर्ष की आयु के बच्चों का टीकाकरण शुरू किया और साथ ही कॉमरेडिटी क्लॉज को भी हटा दिया, जिससे 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोग कोविड के टीके की एहतियाती खुराक (precautionary dose) के लिए पात्र हो गए। भारत ने 10 अप्रैल को 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को कोविड-19 टीकों की एहतियाती खुराक देना शुरू किया।
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