देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

अंतर्राष्ट्रीय

भविष्य के स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा टेली मेडिसिन।

इसकी पहुंच दूर दराज़ और दुर्गम क्षेत्रों तक है। रोगी को डॉक्टर तक पहुंचने वाले बहुमूल्य समय की बचत होती है। आपदा के दौरान चिकित्सीय सुविधाओं में किसी प्रकार की रुकावट नहीं।

लेख विभाग
February 05 2021 Updated: February 05 2021 20:51
0 21300
भविष्य के स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा टेली मेडिसिन। प्रतीकात्मक फोटो

वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान हेल्थकेयर उद्योग में बड़े पैमाने पर परिवर्तन देखने को मिला। इस संकट के दौरान सामान्य स्वास्थ्य देखभाल एक चुनौती बनकर उभरा है। जब पूरे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था COVID-19 महामारी के प्रसार को रोकने में लगी थी। ऐसे में अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के समक्ष चिकित्सीय सुविधाआ प्राप्त करना दुर्लभ हो गया था। डॉक्टर और मरीज़ दोनों एक दूसरे के पास जाने में डरने लगे थे। ऐसे समय में ‘टेलीमेडिसिन’ या ई-स्वास्थ्य सुविधा एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरा है। भारत में टेलीमेडिसिन और टेलीहेल्थ का मूल्यांकन करने का यह सही समय है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अध्ययन में यह पाया गया कि टेलीमेडिसिन भारत की संपूर्ण जनसंख्या के लिये बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि कर सकता है, इससे मुख्यतः ग्रामीण आबादी अत्यधिक लाभान्वित होगी।

टेलीमेडिसिन सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से दूर बैठे मरीज़ के स्वास्थ्य देखभाल की एक उभरती हुई विधा है। इसको स्थलीय नेटवर्क, ब्रॉडबैंड और वीडियो कॉन्फ्रेंस के सामंजस्य से   किया जाता है। इसमें ईसीजी, रेडियोलॉजिकल इमेज आदि जैसे क्लीनिकल परीक्षणों, चिकित्सीय जानकारी के लिये इलेक्ट्रॉनिक चिकित्सा रिकॉर्ड आदि को सहेज कर रखा जा सकता है। 

टेलीमेडिसिन के शुरुआती विकास में अमेरिका की संस्था नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (National Aeronautics and Space Administration-NASA) ने  महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सच्चाई यह है कि टेलीमेडिसिन विगत 30  वर्षों से किसी न किसी रूप में उपयोग में है। टेलीमेडिसिन का सबसे शुरुआती प्रयोग एरिज़ोना प्रांत के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदान करने के लिये किया गया।
  
भारत में इसरो ने वर्ष 2001 में टेलीमेडिसिन सुविधा पायलट प्रोजेक्ट के साथ प्रारंभ किया , जिसने चेन्नई के अपोलो अस्पताल को चित्तूर जिले के अरगोंडा गाँव के अपोलो ग्रामीण अस्पताल से जोड़ा था। इसरो द्वारा की गई पहल में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ राज्य सरकारों ने भी भारत में टेलीमेडिसिन सेवाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।इसरो का टेलीमेडिसिन नेटवर्क एक लंबा सफर तय कर चुका है। इस नेटवर्क में 45 दूरस्थ ग्रामीण अस्पतालों और 15 सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों को जोड़ने का कार्य किया का चुका है। दूरस्थ क्षेत्रों में अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप के विभिन्न द्वीप, जम्मू और कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्र, उड़ीसा के मेडिकल कॉलेज और अन्य राज्यों के कुछ ग्रामीण / जिला अस्पताल इस नेटवर्क में शामिल हैं।

टेलीमेडिसिन को टेलीहेल्थ, टेलीमेडिसिन परामर्श केंद्र, टेलीमेडिसिन स्पेशलिटी सेंटर  केन्द्रो में विभक्त करके पूरी प्रक्रिया का संचालन किया जाता है। पूरी व्यवस्था टेलीमेडिसिन प्रणाली पर निर्भर होती है जो हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और संचार चैनल के बीच एक इंटरफेस है यह अंततः सूचनाओं का आदान-प्रदान करने और दो स्थानों के बीच टेलीकाउंसलिंग को सफल बनाने के लिये दो अलगअलग स्थानों को जोड़ने का कार्य करता है। हार्डवेयर में  कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर, वीडियो-कांफ्रेंसिंग उपकरण आदि होते हैं। वहीँ सॉफ्टवेयर रोगी की जानकारी (चित्र, रिपोर्ट, फिल्म) आदि को सक्षम बनाता है। संचार चैनल कनेक्टिविटी को सक्षम करता है जिससे दो स्थान एक दूसरे से जुड़ सकते हैं। इसकी पहुंच दूर दराज़ और दुर्गम क्षेत्रों तक है। रोगी को डॉक्टर तक पहुंचने वाले बहुमूल्य समय की बचत होती है। आपदा के दौरान चिकित्सीय सुविधाओं में किसी प्रकार की रुकावट नहीं।भविष्य में रोबोट्स का उपयोग करते हुए टेलीमेटेड सर्जरी का उपयोग भी संभव है।
 
वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अपोलो अस्पताल के साथ मिलकर 60 हजार कॉमन सर्विस सेंटरों (सीएससी-Common Service Centre) में टेलीमेडिसिन सेवा ‘सेहत’ शुरू की थी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2005 में संजीवनी नाम का एक टेलीमेडिसिन सॉफ्टवेयर जारी किया था। इसे टेलीमेडिसिन के हाइब्रिड मॉडल के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है जो ‘स्टोर और फॉरवर्ड’ के साथ-साथ रियल टाइम की अवधारणा का उपयोग करता है। 
   
टेलीमेडिसिन की चुनौतियां भी कम नहीं हैं। डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी ई-चिकित्सा या टेलीमेडिसिन के बारे में पूरी तरह से परिचित नहीं हैं। रोगियों में इसके परिणामों के बारे में विश्वास की कमी है। तकनीक और संचार लागत बहुत अधिक होने के कारण यह टेलीमेडिसिन को वित्तीय रूप से अक्षम बना देती है। देश की 50 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी स्तर से नीचे रहती है। इस कारण वे तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं और उनमें खर्च करने की क्षमता भी नहीं है। नियामक संस्था के अभाव में तकनीकी परिवर्तन से तालमेल नहीं हो पाता है। विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर द्वारा समर्थित ई-चिकित्सा अभी भी आवश्यकता के अनुसार उन्नत नहीं हैं। टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवा के मामले में दिशानिर्देश बनाने व इनके उचित अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिये एक नियामक संस्था का अभाव है।

टेलीमेडिसिन सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता है, लेकिन कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान निकालने में महत्वपूर्ण हो सकता है। टेली-हेल्थ, टेली-एजुकेशन और टेली-होम हेल्थकेयर जैसी सेवाएँ स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में चमत्कारिक साबित हो रही हैं। आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में टेलीमेडिसिन का विशेष महत्त्व है । टेलीमेडिसिन की पहल अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं को करीब ला रही है और गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने में रुकावटों को दूर कर रही है। इतनी क्षमता होने के बावजूद अभी भी टेलीमेडिसिन ने उस ऊँचाई को प्राप्त नहीं किया है जहाँ इसे पहुँचने की आशा थी। हालाँकि सरकारें अब टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवाओं को विकसित करने में गहरी दिलचस्पी लेने लगी हैं, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य में इसके उपयोग में धीमी लेकिन स्थिर वृद्धि हुई है। उम्मीद है कि कुछ वर्षों में, टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवाओं को अपनी वास्तविक क्षमता तक पहुँचाया जाएगा।

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

COMMENTS

उत्तर प्रदेश

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने टीबी के खात्मे का किया आह्वाहन

आरती तिवारी March 25 2023 17446

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि यूपी में मरीजों की सुविधाओं के लिए 2500 केंद्रों टीबी जांच और इलाज

उत्तर प्रदेश

मंत्री अनिल राजभर ने जिला अस्पताल का किया निरीक्षण

आरती तिवारी August 21 2022 22187

मंत्री अनिल राजभर ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया।जहां उन्होंने आकस्मिक वार्ड, दवाई वितरण कक्ष को

अंतर्राष्ट्रीय

बीजिंग में कोरोना महामारी के प्रसार के चलते स्थिति गंभीर, संक्रमण से 39 लोगों की मौत

हे.जा.स. April 25 2022 20592

चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि देश में शनिवार को संक्रमण के 21,796 नए मामले सामने जिनमे

राष्ट्रीय

दिवाली को लेकर स्वास्थ्य विभाग की खास तैयारी

विशेष संवाददाता October 23 2022 19988

स्वास्थ्य विभाग ने भी सुरक्षित त्योहार मनाने के लिए पूरी व्यवस्था कर ली है। इसको लेकर सुरक्षित दिवाल

स्वास्थ्य

गुणों की खान है केसर का पानी, जानिए अद्भुत फायदे

लेख विभाग February 01 2023 21620

केसर पानी का सेवन वजन को घटाने में मददगार माना जाता है। इतना नहीं इससे पाचन को बेहतर करने और मेटाबॉल

राष्ट्रीय

देश में कोविड-19 के 3.62 लाख नये मामले, बीमारी से 4,120 मरीजों की मौत।

एस. के. राणा May 14 2021 18307

37,10,525 मरीजों का अब भी इलाज चल रहा है जो कुल मामलों का 15.65 प्रतिशत है जबकि कोविड-19 से स्वस्थ ह

अंतर्राष्ट्रीय

मॉडर्ना वैक्सीन ओमिक्रॉन वैरिएंट के साथ-साथ वायरस के मूल रूप पर भी कारगर 

हे.जा.स. August 16 2022 26918

एमएचआरए के चीफ एग्जीक्यूटिव जून राइन ने एक बयान में कहा, ब्रिटेन में इस्तेमाल की जा रही कोविड-19 वैक

राष्ट्रीय

एमडीआर-टीबी के मरीज़ 9 से 6 महीने में होंगे ठीक: द लैंसेट

विशेष संवाददाता November 11 2022 28089

टीबी मरीजों के लिए अच्छी खबर सामने आ रही है। वहीं अब एक नई दवा खोज निकाली गई है। जिसमें मरीज को सिर्

उत्तर प्रदेश

एमडीआर टीबी की 10 नई दवाओं पर चल रहा शोध: डॉ दिगम्बर बेहरा

रंजीव ठाकुर May 29 2022 20912

डॉ. पुरी ने कहा कि देश में टीबी के कुल मरीजों में से 25 प्रतिशत उत्तर प्रदेश के हैं, जो चिंताजनक है।

स्वास्थ्य

बहुत काम का है केला ।

लेख विभाग June 28 2021 44092

केला अधिक प्यास लगने की समस्या, जलन, चोट लगने पर, आंखों की बीमारी में लाभ पहुंचाता है। केला से कान क

Login Panel