लखनऊ। देश के कुछ राज्यों में फिर से तेजी से पाँव पसार रहे कोविड-19 से बचने के लिए अभी किसी भी तरह की ढिलाई बरतना खुद के साथ, घर-परिवार और समुदाय को मुसीबत में डालने वाला साबित हो सकता है । कोरोना वायरस की दूसरी लहर से बचने के लिए अभी पूरी तरह से सतर्क रहने और एक दूसरे से दो गज की शारीरिक दूरी बनाये रखने, बाहर निकलने पर मास्क से अच्छी तरह से मुंह व नाक को ढकने और हाथों की स्वच्छता में ही सभी की भलाई है ।
यह कहना है किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के कोविड टीकाकरण के ब्रांड अम्बेसडर डॉ. सूर्य कान्त का ।
डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों में कोरोना के मामले एक बार फिर से दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं, ऐसे में उन राज्यों से आने वालों से एक बार फिर वायरस के फैलाव की पूरी गुंजाइश है । ऐसे में सरकार उन राज्यों से आने वालों की एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन आदि पर फिर से जांच में तेजी लायी है फिर भी स्थिति को बिगड़ने से बचाने के लिए जरूरी है कि हम अपनी तरफ से कोई ढिलाई न बरतें । भीडभाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें और एक दूसरे से उचित शारीरिक दूरी बनाकर रखें क्योंकि आने वाले दो हफ्ते बहुत ही चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं क्योंकि इस समय फ्लाइट, ट्रेन व बस से घर पर होली मनाने आने वालों की तादाद बढ़ सकती है । बाजार में भी खरीदारों की भीडभाड़ से बचने की सख्त जरूरत है, नहीं तो हमें एक साल पहले वाली स्थिति में जाने से रोक पाना मुश्किल हो जाएगा । उनका कहना है कि किसी भी लड़ाई का आखिरी दौर ही सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि उस समय ढिलाई बरती तो सारे किये कराये पर पानी फिर सकता है । इसलिए अगर इस वक्त हमने किसी भी तरह की ढिलाई बरती तो वायरस से हार सकते हैं ।
डॉ. सूर्य कान्त का कहना है कि जब तक करीब 70 फीसद लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता है तब तक वैक्सीन लगवाने वालों और न लगवाने वाले दोनों को बचाव के सभी प्रोटोकाल का पालन करना पहले जैसे ही जरूरी है । उनका कहना है कि अभी ज्यादा जोखिम वाले जिन समूहों का टीकाकरण हो रहा है उनकी कुल तादाद देश में करीब 27 करोड़ हो सकती है । ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रतिरक्षित करने के लिए हो सकता है, अप्रैल के आखिर या मई के पहले हफ्ते में दो और वैक्सीन आ जाएँगी ।उसके बाद इसे सभी के टीकाकरण के लिए खोला जा सकता है ।
होली मनाएं पर गले न लगाएं :
डॉ. सूर्य कान्त का कहना है कि कोरोना काल में जिस तरह संयम और सादगी के साथ ईद का त्योहार लोगों ने मनाया है उसी सादगी के साथ हमें एक हफ्ते बाद आने वाले होली के पर्व को भी मनाने की सख्त जरूरत है । इस वक्त एक दूसरे से गले मिलने से संक्रमण के फैलाव की पूरी गुंजाइश है, इसलिए इस बार होली में एक दूसरे से गले मिलकर हैप्पी होली बोलने से बचें और नमस्ते व प्रणाम कहकर आत्मीयता जताएं ।
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