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पिछले 30 वर्षों में मौखिक रोग मामलों की संख्या एक अरब से अधिक बढ़ी है , रिपोर्ट

मसूड़ों में रोग होने, दाँत टूटने और मौखिक कैंसर ऐसी बीमारियाँ हैं, जिनकी रोकथाम सम्भव है। वहीं दाँतों का सड़ना, विश्व भर में सबसे आम अवस्था है, जिससे ढाई अरब लोगों के प्रभावित होने का अनुमान है।

हे.जा.स.
November 21 2022 Updated: November 21 2022 23:50
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पिछले 30 वर्षों में मौखिक रोग मामलों की संख्या एक अरब से अधिक बढ़ी है , रिपोर्ट प्रतीकात्मक चित्र

जेनेवा। विश्व स्वास्थ संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य में मौखिक स्वास्थ्य की लम्बे समय से उपेक्षा की गई है। उन्होंने ‘Global Oral Health Status Report’ जारी किया। इस रिपोर्ट में 194 देशों में इस विषय का व्यापक आकलन किया गया है।

इस रिपोर्ट में उल्लेखित किफ़ायती उपायों के ज़रिए अनेक मौखिक रोगों की रोकथाम और उपचार सम्भव है। ‘Global Oral Health Status Report’ जिस शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में 194 देशों में इस विषय का व्यापक आकलन किया गया है

 

रिपोर्ट बताती है कि पिछले 30 वर्षों से अधिक समय में रोग मामलों की संख्या एक अरब से अधिक बढ़ी है, जिसका मुख्य कारण रोकथाम व उपचार उपायों तक लोगों की पहुँच ना होना है। अध्ययन के अनुसार सबसे आम मौखिक रोग (common oral diseases), दाँतों में छेद या कीड़े होने से पनपते हैं।

 

मसूड़ों में रोग होने, दाँत टूटने और मौखिक कैंसर (Gum disease, tooth decay, and oral cancer) ऐसी बीमारियाँ हैं, जिनकी रोकथाम सम्भव है। वहीं दाँतों का सड़ना, विश्व भर में सबसे आम अवस्था है, जिससे ढाई अरब लोगों के प्रभावित होने का अनुमान है। मसूड़ों में गम्भीर रोग होना, दाँत खोने का एक बड़ा कारण है, जिससे विश्व भर में एक अरब लोग पीड़ित हैं। हर साल मौखिक कैंसर के तीन लाख 80 हज़ार से अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं।

 

रिपोर्ट में मौखिक स्वास्थ्य सेवाओं (oral health services) की सुलभता में पसरी गहरी विषमता को भी रेखांकित किया गया है, और निर्बल व वंचित आबादी इससे सबसे अधिक प्रभावित होती है। निम्न-आय पर या विकलांगता की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे लोग, अकेले रह रहे बुज़ुर्ग, दूर-दराज़ के इलाक़ों और ग्रामीण समुदायों में, और अल्पसंख्यक समूहों को मौखिक रोग (oral disease) का अधिक बोझ झेलना पड़ता है।

 

हृदयवाहिनी रोगों (cardiovascular diseases) से लेकर डायबिटीज़ और मानसिक व्याधियों (mental illnesses) तक, विषमता का यह रुझान अन्य ग़ैर-संचारी रोगों (non-communicable diseases) के अनुरूप ही है। अन्य जोखिम कारकों में बहुत अधिक मात्रा में मीठे, तम्बाकू और ऐल्कॉहॉल का सेवन करना है, जिससे वैश्विक मौखिक स्वास्थ्य संकट (global oral health crisis) बढ़ रहा है।

 

वैश्विक आबादी (global population) का केवल एक छोटे हिस्से के पास ही अति-आवश्यक मौखिस स्वास्थ्य सेवाओं की कवरेज है, और सर्वाधिक ज़रूरतमंदों के पास इसकी सबसे कम सुलभता है। रिपोर्ट बताती है कि मौखिक स्वास्थ्य सेवाओं में पेश आने वाले मुख्य अवरोधों में, स्वास्थ्य सेवा के लिए बहुत अधिक ख़र्चा भी है, जिसके कारण परिवारों और समुदायों पर बोझ बढ़ जाता है। कम जानकारी और कमज़ोर निगरानी प्रणालियों के अलावा मौखिक स्वास्थ्य पर शोध भी प्राथमिकता में नीचे है, जिससे कहीं अधिक कारगर हस्तक्षेप और नीतियाँ विकसित करने में कठिनाई पेश आती हैं।

 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (UN health agency) के अनुसार आम जोखिम कारकों पर ध्यान देकर, सार्वजनिक स्वास्थ्य पर आधारित एक रणनीति के ज़रिये वैश्विक मौखिक स्वास्थ्य में बेहतरी लाने के अवसर मौजूद हैं। इसके तहत, सेहतमंद आहार और मीठे के कम सेवन को बढ़ावा देना होगा, तम्बाकू के इस्तेमाल को रोकना होगा, ऐल्कॉहॉल के सेवन को घटाना होगा और फ़्लोराइड टूथपेस्ट की सुलभता को बेहतर बनाना होगा।

 

अन्य समाधानों में मौखिक स्वास्थ्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं (national health services) का हिस्सा बनाने, मौखिक स्वास्थ्य कार्यबल को पुनर्गठित करके आबादी की आवश्यकताओं पर ध्यान देने का उल्लेख किया गया है। साथ ही, मौखिक स्वास्थ्य सेवाओं की कवरेज में विस्तार करना होगा, और मौखिक स्वास्थ्य डेटो का राष्ट्रीय स्वास्थ्य निगरानी प्रणालियों में एकीकृत करना होगा।

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