संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। मोटे अनाज को साबुत अनाज या होलग्रेन (whole grains) भी कहा जाता है। आखिर यह साबुत अनाज क्या है, जिसकी अचानक से मांग बढ़ी है। लोगों में सेहत के लिए ये पहली पसंद बन रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि साबुत अनाज न केवल बैड काेलेस्ट्रॉल (bad cholesterol) को कम करता है बल्कि गुड कोलेस्ट्रॉल (good cholesterol) को बढ़ाता है। इन्सुलिन के स्तर (insulin levels) को संतुलित करता है। ब्लड प्रेशर (blood pressure) घटाता है। इससे हृदय रोग (heart disease), स्ट्रोक (stroke ) और डायबिटीज (diabetes) का खतरा घटता है। आंतों के कैंसर का खतरा भी कम होता है।
एसजीपीजीआई (SGPGI) की डायटीशियन आएशा बताती हैं कि मोटे अनाज में पर्याप्त फाइबर (fiber) होने के कारण यह पाचन सुधारता है। ब्लोटिंग (bloating), कब्ज (constipation), पेट दर्द (abdominal pain) और गैस की समस्या से राहत देता है। मक्के की रोटी सेवन कर प्री-डायबिटीज को ठीक किया जा सकता है?
डायटीशियन (Dietician) आएशा का कहना है कि गेहूं की रोटी डायबिटीज के मरीजों को नुकसान पहुंचा सकती है। वे बताती हैं कि बाजार में मिलने वाले गेहूं के आटे में आमतौर पर रिफाइंड आटा (refined flour) मिलाया जाता है जो मधुमेह के लिए अच्छा नहीं है, हालांकि कुछ सीमित मात्रा में जैसे कि गेहूं का दलिया का सेवन कर सकते हैं।
डायटीशियन आएशा ने कहा कि गेहूं के आटे में गेहूं का आटा 60%, रागी 10%, ज्वार 10%, कालाचना 10%, बाजारा 5%, जौ आटा 5% मात्रा में मिलाया जा सकता है। इससे पाचन तंत्र (digestive system) ठीक रहेगा और इम्युनिटी (immunity) भी बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि बाजरे की रोटी (millet bread) का लगातार सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए बाजरे का सेवन सुबह के समय नाश्ते में या दोपहर के लंच में करना सबसे बेहतर होता है। इसके अलावा बाजरे को अन्य चीजों के समय मिलाकर खाएं। यह आसानी से पचता है।
डायटीशियन आएशा ने बताया कि हृदय रोगियों के साबुत गेहूं, ब्राउन राइस (brown rice), जई, जौ, क्विनोआ का सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोटा अनाज बच्चों को भी खिलाना चाहिए। खासकर रागी क्योंकि इसमें कैल्शियम (calcium) प्रचुर मात्रा में होता है। छोटे बच्चों के लिए एक कप रागी पर्याप्त होती है।
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