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जापानी इन्सेफेलाइटिस: लक्षण, कारण, निदान, प्रबंधन और जटिलताएँ

जापानी इन्सेफेलाइटिस फलैवी वायरस के कारण होता हैं, जो कि मस्तिष्क के आसपास की झिल्ली को प्रभावित करता है। आमतौर पर संक्रमण का कारण, जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस का हल्का (बुखार और सिर दर्द) अथवा स्पष्ट लक्षण के बिना होता हैं।

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July 17 2022 Updated: July 17 2022 16:09
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जापानी इन्सेफेलाइटिस: लक्षण, कारण, निदान, प्रबंधन और जटिलताएँ प्रतीकात्मक चित्र

जापानी इन्सेफेलाइटिस (जेई) विषाणुजनित (वायरल) रोग है, जो कि पशुओं और मनुष्यों को संक्रमित करता है। यह मानव में मच्छरों द्वारा फैलता है। यह रोग मस्तिष्क के आसपास की झिल्ली में सूजन के कारण होता हैं। आमतौर पर जापानी इन्सेफेलाइटिस (Japanese encephalitis), इन्सेफेलाइटिस वायरल के फैलने के प्रमुख कारण की अगुवाई पश्चिमी प्रशांत महासागर से होते हुए, पूर्वी तथा पश्चिम पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया से दक्षिण पापुआ न्यू गिनी से फैलते हुए एशिया पहुंची।

जापानी इन्सेफेलाइटिस फलैवी वायरस के कारण होता हैं, जो कि मस्तिष्क के आसपास की झिल्ली को प्रभावित करता है। आमतौर पर संक्रमण का कारण, जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस का हल्का (बुखार और सिर दर्द) अथवा स्पष्ट लक्षण के बिना होता हैं, लेकिन कभी-सभी दो सौ संक्रमणों में से एक के परिणामस्वरूप गंभीर बीमारी में तबदील हो जाता हैं तथा जिसकी वज़ह से तेजी से उच्च स्तर पर बुखार होना, सिरदर्द, गर्दन की जकड़न, आत्मविस्मृति, कोमा, दौरा, मानसिक पक्षाघात और मृत्यु तक हो सकती हैं।

 

जापानी इन्सेफेलाइटिस के लक्षण - Symptoms of Japanese Encephalitis

जापानी इन्सेफेलाइटिस की ऊष्मायन अवधि (incubation period) पांच से पंद्रह दिनों तक होती हैं तथा दो सौ पचास संक्रमणों की बहुलता में से एक संक्रमण इन्सेफेलाइटिस में विकसित हो जाता है।

इसके प्रारंभिक लक्षणों में शामिल हैं :

  • उच्च तापमान
  • सिरदर्द
  • बीमार महसूस करना
  • दस्त/अतिसार/डायरिया
  • मांसपेशियों में दर्द

अक्सर ऐसा बहुत कम मामलों में होता हैं कि ये प्रारंभिक लक्षण कुछ दिनों तक बने रहते हैं तथा उसके बाद गंभीर लक्षण में विकसित हो जाते हैं:

  • दौरा (एकदम)
  • मानसिक स्थिति में परिवर्तन, जो कि हल्के भ्रम की स्थिति से अत्यधिक उत्तेजित स्थिति की सीमा तक जा सकता हैं अथवा व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है।
  • शरीर के अंगों की अनियंत्रित कपकपाहट (कंपन)
  • बोलने की क्षमता का कम होना
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • मांसपेशियों में असामान्य खिंचाव
  • हिलने-डुलने में परेशानी जैसे कि काँपना, जकड़न, शारीरिक गतिविधियों में सुस्ती अथवा पक्षाघात।
  • आंखों की गतिविधियों को नियंत्रित करने में परेशानी
  • चेहरे की मांसपेशियों को नियंत्रित करने में परेशानी

 

जापानी इन्सेफेलाइटिस के कारण - Causes of Japanese Encephalitis

जापानी इन्सेफेलाइटिस एक फलैवी वायरस (virus) के कारण होता है। इस तरह यह वायरस पशुओं और मनुष्यों दोनों को एक सामान रूप से प्रभावित कर सकता हैं। यह वायरस संक्रमित मच्छर (mosquitoes) के माध्यम से जानवरों और जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होता हैं।

इस रोग के जोखिम वाले कारकों में शामिल हैं:

  • यात्रा पर जाने वाला क्षेत्र
  • आपकी यात्रा हेतु वर्ष में समय निर्धारण
  • आप कौन सी गतिविधियाँ करते हैं?

 

जापानी इन्सेफेलाइटिस के निदान - Diagnosis of Japanese Encephalitis

रक्त परीक्षण: रक्त में उपस्थित एंटीबॉडी पता करने के लिए किया जाता हैं।

लम्बर पंचर/रीढ़ की हड्डी का पानी लेना: सीएसएफ  एंटीबॉडी में और रीढ़ की हड्डी में तरल पदार्थ की जांच करने के लिए किया जाता है।

स्कैन: मस्तिष्क इन्सेफेलाइटिस की स्थिति में:

कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन द्वारा शरीर के अंदर का स्पष्ट चित्र लेने के लिए, थोड़ा अलग-अलग कोणों से चित्र लिए जाते हैं तथा शरीर के एक्स-रे की श्रृंखला बनाई जाती है।

चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) स्कैन द्वारा शरीर का विस्तार से आंतरिक चित्र प्राप्त करने हेतु रेडियो तरंगों और मजबूत चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता हैं।

 

जापानी इन्सेफेलाइटिस का प्रबंधन - Management of Japanese Encephalitis

जापानी इन्सेफेलाइटिस के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है, इसके लिए केवल सहायक उपचार ही प्रदान किया जाता है। उपायों का उपयोग केवल लक्षणों को नियंत्रित और जटिलताओं को विकसित होने से रोकने के लिए किया जा सकता हैं।

एनएचपी स्वास्थ्य की बेहतर समझ के लिए संकेतात्मक जानकारी प्रदान करता है। किसी भी तरह के निदान और उपचार के प्रयोजन के लिए, आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

 

जापानी इन्सेफेलाइटिस से होने वाली जटिलताएं - Complications from Japanese Encephalitis

 

  • यह हल्की जटिलताएं पैदा कर सकता हैं: जैसेकि
  • हाथों की अनियंत्रित कपकपाहट (कंपन)
  • व्यक्तित्व में परिवर्तन
  • मांसपेशियों में कमजोरी और बाँह व हाथों में फड़कन
  • मध्यम विकलांगता का रूप ले सकता है:
  • सीखने में हल्की परेशानी
  • एकल अंग का पक्षाघात
  • शरीर के एक हिस्से में कमजोरी

 

जापानी इन्सेफेलाइटिस हेतु रोकथाम - Prevention from Japanese Encephalitis

 (क) व्यक्तिगत स्तर पर

  • संचालन घनत्व को कम करने हेतु उपायों को अपनाएँ।
  • मच्छर के काटने के खिलाफ़ निजी सुरक्षा उपायों को अपनाएं।
  • विशेष रूप से मच्छर के काटने वाले समय के दौरान, मच्छरों के काटने से बचने के लिए उचित कपड़े पहनें। 
  • मच्छरों को दूर भागने वाली क्रीम, तरल पदार्थों, अगरबत्ती और टिकिया इत्यादि का उपयोग करें।
  • कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करें।
  • सोने वाले कमरे की खिड़कियों और दरवाजों को उचित तरीके से बंद करें।
  • विशेष रूप से, सांय के समय कमरे में कीटनाशकों का छिड़काव अवश्य करें।
  • तार की जाली द्वारा घरों की स्क्रीनिंग करवाएं।
  • डीईईटी (डाईएथाइलटोलूएमाइड) मच्छर दूर भागने का सबसे प्रभावी उपाय है तथा यह स्प्रे, गोलाकार, अगरबत्ती और क्रीम में उपलब्ध है।
  • जापानी इन्सेफेलाइटिस (जेई) टीकाकरण रोकथाम का एक महत्वपूर्ण उपाय है।
  • जापानी इन्सेफेलाइटिस (जेई) को व्यक्तिगत स्तर पर तीन ख़ुराक लेने और टीकाकरण द्वारा कई वर्षों तक रोका जा सकता है।

(ख) समुदाय में

  • प्रकोप के दौरान मेलाथियान (फॉगिंग) का छिड़काव करवाएं।
  • संचालन का पता लगाने के लिए संवेदनशील बने और समुदाय से जुड़े।
  • मच्छरों के प्रजनन को कम करने के लिए पारिस्थितिकी प्रबंधन प्रणाली को अपनाएँ।
  • मानव आवास से गंदी जगह कम से कम चार से पांच किलोमीटर दूर होनी चाहिए।
  • हस्तचालित पंप के आसपास की जगह सीमेंट द्वारा उचित तरीके से पक्की करवाएं तथा जल निकासी की उचित व्यवस्था भी करवाएं।

(ग) यात्रा के दौरान रोकथाम

  • यदि आपको यात्रा करनी पड़ रही हैं, तो जापानी इन्सेफेलाइटिस (जेई) जोखिम प्रभावित क्षेत्र का पता लगाने की कोशिश करें तथा उस क्षेत्र का दौरा करने से पहले चिकित्सक से सलाह लें।

(घ) गर्भावस्था के दौरान जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) की रोकथाम

  • कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी/एलएलआईएनएस (लांग लास्टिंग इन्सेक्टसाइडल नेट्स) का उपयोग करें।
  • सभी व्यक्तिगत रोकथाम के उपायों का उल्लेख नीचे किया गया हैं।

 

क्या करें और क्या करें - Do's and Don'ts

  • कीट से बचाने वाली क्रीम/स्प्रे का उपयोग सीधे अपने चेहरे पर न करें। इनका उपयोग करने से पहले, इन उत्पादों को अपने हाथों पर लगाकर देखें तथा इसके उपरांत इन्हें चेहरे पर लगाएं।
  • इनका उपयोग शरीर के कटे भाग व घावों पर न करें।
  • आंखें, होंठ, मुंह के आसपास और कान के अंदर वाले भाग में लगाने से बचें।
  • मच्छर दूर भागने वाली दवाओं का उपयोग करने में बच्चों और युवाओं की सहायता करें। किशोरों को इन उत्पादों को स्वयं उपयोग हेतु अनुमति न दें।
  • सनस्क्रीन लगाने के बाद, मच्छर दूर भागने वाले उत्पादों का उपयोग करें।
  • इन उत्पादों का उपयोग करने के बाद, अपने हाथ ठीक से धोएं।
  • अपनी त्वचा से मच्छर दूर भागने वाली दवा हटाने के लिए, त्वचा को साबुन से अच्छी तरह से धोएं।
  • मच्छर से बचाने वाली क्रीम का उपयोग करने से पहले उस पर लिखित निर्देशों का पालन अवश्य करें।

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