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टीके की कहानी: कोविड की तरह चेचक और पोलियो का भी हुआ था विरोध 

इतिहास देखें तो इससे ज्यादा विरोध विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान चेचक को लेकर हुआ था। हालांकि पोलियो उन्मूलन अभियान को लेकर भी विरोध जताया गया लेकिन अंत में दुनिया ने पोलियो पर विजय प्राप्त की। आइए जानते हैं दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान चेचक के विषय में।

रंजीव ठाकुर
July 10 2022 Updated: July 11 2022 02:03
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टीके की कहानी: कोविड की तरह चेचक और पोलियो का भी हुआ था विरोध  प्रतीकात्मक

लखनऊ। कोविड -19 टीकाकरण अभियान में देखा गया कि काफी लोगों ने वैक्सीन को लेकर अलग अलग धारणाएं बनाई। कोविड विरोधी बयानों में नस्लभेद प्रमुख रूप से शामिल था और कई अतार्किक बयानों ने भी टीकाकरण अभियान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की थी। 

 

लेकिन इतिहास देखें तो इससे ज्यादा विरोध विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान (world's largest vaccination campaign) चेचक को लेकर हुआ था। हालांकि पोलियो उन्मूलन अभियान (polio eradication campaign) को लेकर भी विरोध जताया गया लेकिन अंत में दुनिया ने पोलियो पर विजय प्राप्त की। आइए जानते हैं दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान चेचक (world's largest vaccination campaign smallpox) के विषय में जिससे वैक्सीनेशन को लेकर छाएं धुंध के बादल काफी हद तक छंट जाएंगे।

 

टीकों के विकास (development of vaccines) ने ही दुनिया को वायरसों से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। 20वीं शताब्दी में चेचक वायरस (smallpox virus) ने 30 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इसलिए यह जानना रोचक होगा कि दुनिया के सबसे पहले टीके को लेकर क्या कुछ हुआ था। 

 

इंग्लैंड में 18वीं शताब्दी में यह कहा जाता था कि ग्वालिनें अधिकांशतः काउपाक्स रोग से ग्रस्त हो जाती है लेकिन उन्हें चेचक नहीं होता। 70 के दशक में एडवर्ड जेनर ने इन लोककथाओं पर काम करना शुरू किया। जेनर ने चेचक से बचाने के लिए एक 9 साल के बच्चे को काउपाक्स (cowpox) की पस का टीका लगा दिया जो बाद में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बना। 

 

वायरस के संक्रमण (virus infection) से बचने हेतु इससे पहले भी ऐसी ही प्रयोग भारत, अफ्रीका, तुर्की और चीन में किए गए थे। ये प्रयोग काफी खतरनाक थे लेकिन दुनिया ने माना कि बड़ी बीमारी से बचने के लिए हल्की बीमारी को स्वीकार किया जा सकता है, जिससे कि मृत्यु की सम्भावना (possibility of death) को टाला जा सके। 

एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) के प्रयोग के बाद ही दुनिया का ध्यान टीकाकरण की तरफ गया। वर्तमान की तरह तब भी चेचक टीकाकरण को लेकर काफी अंधविश्वास (superstition about smallpox vaccination) थे। बड़े घरों की औरतें चेहरे पर चेचक के दाग (smallpox stains on faces) नहीं चाहती थी और मजदूरी के लिए निम्न वर्ग को चेचक से बचाना जरूरी था। हालांकि तब भी नस्लभेद (racism) हावी था और धार्मिक नेता इसे भगवान के काम में रोड़ा अटकाने जैसा बताते थे। 

 

बहरहाल टीकाकरण की दुनिया (world of vaccination) में चेचक का टीका मील का पत्थर साबित हुआ और लोगों की धारणाएं बदली। चेचक दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान साबित हुआ और इसके बाद वैक्सीनेशन ने ही दुनिया को वायरसों से सुरक्षित रखा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेचक महामारी से मुक्ति की घोषणा की और पोलियो को लेकर भी कमोबेश यही स्थिति है। 

 

कुल मिलाकर चेचक से बचाव इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल है और जानलेवा बीमारियों से बचने में टीकाकरण अभियान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक और अहम बात कि चेचक से लड़ने के ऐतिहासिक प्रयासों ने ही पोलियो उन्मूलन किया और अब इसी तरह कोरोना वायरस (corona virus) से मुक्ति पाने की कोशिश में टीकाकरण अभियान (covid-19 vaccination campaign) चलता जा रहा है।

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