अहमदाबाद। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार पिछले तीन दशकों में लोगों के जीवनशैली में तेजी से आए बदलाव के कारण, एनसीडी और उनसे जुड़े रिस्क फैक्टर्स भारत के सभी हिस्सों में बढ़ रहे हैं। इससे न केवल भारत में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही है, बल्कि दवा की वजह से घरेलू खर्च को भी बढ़ा रहा है। इसके बावजूद जब भी स्ट्रोक के बारे में बातचीत और कैम्पेन होते हैं तो ज्यादातर मौकों पर सिर्फ ‘‘गोल्डन-ऑवर’ में इलाज मिलने पर चर्चा होती है, वहीं स्ट्रोक के बाद पेशेंट के ट्रीटमेंट में आने वाले खर्चे के बारे में कोई बात नहीं करता है।
इस वर्ष विश्व स्ट्रोक दिवस 2022 (World Stroke Day 2022) की थीम स्ट्रोक के संकेतों और PreciousTime के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना है जबकि इससे जुड़े खर्चे समान रूप से महत्वपूर्ण है, जिस पर बात करने की जरूरत हैं, खासकर तब जब मुद्रास्फीति से सभी परेशान है।
जेनेरिक दवाओं (Generic drugs) की यहां बहुत बड़ी भूमिका है क्योंकि वे परिवारों पर बीमारी के आर्थिक बोझ के मामले एक बड़ा बदलाव ला सकती हैं। जेनेरिक दवाओं के एक ओमनी-चैनल रिटेलर मेडकार्ट (Medkart) के अनुमानों से पता चलता है कि अगर मरीज ब्रांडेड दवाओं के बजाए जेनेरिक दवाओं को चुनता है तो स्ट्रोक के बाद के इलाज का खर्च ब्रांडेड दवाओं की तुलना में केवल दसवां हिस्सा होगा।
मेडकार्ट के को-फाउंडर अंकुर अग्रवाल (Ankur Aggarwal) ने कहा कि विश्व स्ट्रोक दिवस 2022 के अवसर पर, मेडकार्ट का संदेश वित्तीय संकट को कम करना है, जो कि एक हेल्थकेयर संकट भी बन सकता है। स्ट्रोक से बचना एक बड़ी बात होती है लेकिन पहले के समय की तुलना में यह आज आसान हो गया है, लेकिन स्ट्रोक के बाद कम से कम एक साल तक दवा का खर्च काफी बढ़ जाता है। इसलिए, न केवल स्ट्रोक आने पर समय पर उपचार के लिए बल्कि उपचार के किफायती साधनों के लिए भी जागरूकता पैदा करने के प्रयास किए जाने चाहिए। मेडकार्ट पिछले आठ वर्षों में जेनरिक के जरिए लोगों हेल्थ केयर के खर्चे को कम करके लोगों के जीवन को बदल रहा है।
कोविड (Covid) के बाद से ही स्ट्रोक की घटना कई गुना बढ़ गई है। हालांकि सटीक संख्या सार्वजनिक डोमेन में नहीं है, पर मामले कई गुना बढ़ गए है। अकेले मेडकार्ट के आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में स्ट्रोक के बाद रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की बिक्री में 1.5 गुना वृद्धि हुई है। यह कोविड -19 की दूसरी लहर के बाद विशेष रूप से देखने को मिला है।
स्ट्रोक के इलाज के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली प्रमुख दवाओं में एटोरवास्टेटिन, रोसुवास्टेटिन, टाइकाग्रेलर और क्लोपिडोग्रेल (atorvastatin, rosuvastatin, ticagrelor, and clopidogrel) शामिल हैं। ब्रांडेड अल्टरनेटिव की कीमत एक एटोरवास्टेटिन टेबलेट के लिए 24 रुपये है जबकि जेनेरिक की कीमत 2.5 रुपये प्रति टैबलेट है। इसी तरह ब्रांडेड से जेनरिक में जाने पर रोसुवास्टेटिन टैबलेट की कीमत 38 रुपये से घटकर 3.6 रुपये प्रति टैबलेट हो जाती है। टाइकाग्रेलर (32 रुपये से 14.4 रुपये प्रति टैबलेट) और क्लोपिडोग्रेल (7.8 रुपये से 1.9 रुपये प्रति टैबलेट) का भी यही हाल है।
अंकुर अग्रवाल ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से हेल्थ केयर के खर्चे को कम करने का इशारा कर रहा है जिसे जेनेरिक दवाओं (generic medicines) के माध्यम से किया जा सकता है। वास्तव में, हम व्यापक रूप से इस बात की वकालत करते हैं कि न केवल स्ट्रोक के लिए बल्कि अन्य लाइफस्टाइल बीमारियों के खर्चे को भी जेनरिक दवाओं के माध्यम से कम किया जा सकता है। इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान (awareness campaign) चलाया जाना चाहिए, जिससे कि लोगों को जेनरिक दवाओं के माध्यम से किफायती उपचार मिल सके। यह लोगों को प्रारंभिक स्टेज में इलाज कराने के लिए प्रोत्साहित करेगा और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम कर सकेगा है।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 62814
सौंदर्या राय March 09 2023 0 72869
सौंदर्या राय March 03 2023 0 71001
admin January 04 2023 0 69942
सौंदर्या राय December 27 2022 0 57993
सौंदर्या राय December 08 2022 0 48895
आयशा खातून December 05 2022 0 103008
लेख विभाग November 15 2022 0 72373
श्वेता सिंह November 10 2022 0 77091
श्वेता सिंह November 07 2022 0 69254
लेख विभाग October 23 2022 0 56477
लेख विभाग October 24 2022 0 54920
लेख विभाग October 22 2022 0 63750
श्वेता सिंह October 15 2022 0 68472
श्वेता सिंह October 16 2022 0 67475
COMMENTS