लखनऊ। डायबिटीज मेलिटस खराब लाइफस्टाइल और ख़राब खानपान की बीमारी है। हमारे समाज के तेजी से बदलते सामाजिक-आर्थिक ढांचे के कारण हमारे देश में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। हो रहे इन बदलावों की वजह से लाइफस्टाइल तथा खाने की आदतों में बदलाव हो रहे है। यह बीमारी बहुत दिनों तक पता नहीं चलती है और जब पता चलती है तो हमारे शरीर के अधिकांश अंग जैसे कि हृदय, गुर्दे, आंखें, रक्त वाहिकाओं और हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र ख़राब हो चुके होते हैं।
रीजेंसी सुपरस्पेशिलिटी, हॉस्पिटल, लखनऊ के रीनल ट्रान्स्प्लान्ट तथा नेफ्रोलॉजी कंसल्टेंट डॉ आलोक कुमार पांडे ने डायबिटीज की समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा, “वर्तमान समय में डायबिटीज डायलिसिस के मरीजों में किडनी फेल होने के लिए 50% जिम्मेदार है। डायबिटीज की वजह से किडनी प्रमुख रूप से प्रभावित होता है क्योंकि दोनों किडनी के ग्लोमेरुली में व्यापक माइक्रोवैस्कुलर नेटवर्क होता हैं। लगातार ब्लड शुगर ज्यादा रहने से हमारे खून में मौजूद एल्ब्यूमिन इस नेटवर्क में रिसाव पैदा कर देता है। मूत्र में प्रोटीन के रिलीज की प्रक्रिया को प्रोटीनुरिया या एल्बुमिनुरिया के रूप में जाना जाता है। यह डायबिटीज किडनी बीमारी का पहला संकेत होता है जिसे डायबिटिक नेफ्रोपैथी के रूप में भी जाना जाता है। प्रोटीनुरिया ज्यादा होने से किडनी में ग्लोमेरुलर और ट्यूबलर डैमेज होता है जिसके कारण किडनी फेल होती है। अगर इस बीमारी का पता प्रोटीनूरिया के शुरूआती स्टेज में चल जाता है, तो इसे बेहतर डाक्टरी मदद द्वारा सही किया जा सकता है और यही कारण है कि डायबिटिक नेफ्रोपैथी के इलाज के लिए इसका जल्दी पता लगाना महत्वपूर्ण हैI इसलिए प्रोटीनूरिया के लिए डायबिटीज के मरीजों को नियमित यूरीन टेस्ट (मूत्र परीक्षण) के साथ-साथ ब्लड यूरिया और सीरम क्रिएटिनिन जैसे कुछ मामूली ब्लड टेस्ट कराने चाहिए ताकि किसी भी किडनी की समस्या का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके।
हमारे शरीर में किडनी का काम शरीर से अपशिष्ट को छानना होता है और किडनी की वजह से हमारा शरीर साफ और विषाक्त पदार्थों से मुक्त रहता है। हमारे शरीर में सब कुछ एक दूसरे के साथ विभिन्न तरीकों से जुड़ा होता है और ये सभी एक दूसरे के ख़राब होने पर प्रभावित होते हैं। इसलिए जब व्यक्ति को डायबिटीज होता है तो यह उनके शरीर में छोटी रक्त वाहिकाओं और केशिकाओं के साथ प्रतिक्रिया करता है और जिससे उन्हें नुकसान पहुंचाता है। ये छोटी रक्त वाहिकाएं किडनी में ब्लड की निकासी के लिए जिम्मेदार होती हैं, जहां उन्हें अपशिष्ट के लिए फ़िल्टर किया जा सकता है। हालांकि, जब ये वाहिकाएं डैमेज हो जाती हैं, तो ब्लड किडनी में ठीक से प्रवाहित नहीं होता है, जिससे यूरिन सिस्टम (मूत्र प्रणाली) के लिए काम करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके कारण शरीर विषाक्त पदार्थों, नमक और पानी को बाहर निकालने में असमर्थ रहता है। आपके मूत्र में प्रोटीन की कमी हो सकती है।
रीजेंसी सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के रीनल साइंस डायरेक्टर, एमडी, डीएम (नेफ्रोलाजी) के डॉ दीपक दीवान ने कहा, “जब कोई डायबिटीज से पीड़ित होता है, तो उसके किडनी की देखभाल करना महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि किडनी अपशिष्ट को छानने और इसे आपके रक्त से निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। डायबिटीज लंबे समय तक रहने से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है और किडनी का काम करना बंद हो सकता है। डायबिटीज विश्व स्तर पर किडनी के फेल होने का प्रमुख कारण है। किडनी फेलियर वाले लोगों को या तो डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है। नियमित एक्सरसाइज के साथ खानपान और डाक्टरी मदद द्वारा ब्लड शुगर को कम करके किडनी डैमेज को रोकने में महत्वपूर्ण रूप से मदद मिल सकती है। अपनी किडनी को ज्यादा आसानी से आपके शरीर में निर्मित विषाक्त पदार्थों और कचरे को खत्म करने में मदद करने के लिए खुद को हाइड्रेटेड रखना भी महत्वपूर्ण है। अगर आप पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं तो आपकी किडनी सूख सकती है। इसका मतलब है कि वे ज्यादा विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करेंगे और उन्हें आपके शरीर से बाहर निकालने में असमर्थ हो जायेंगे। डायबिटीज के मरीजों को जंक फूड खाने से बचना चाहिए। जंक फ़ूड से हमें जो ट्रांस फैट मिलता है, वह हमारे किडनी में ओवरलोड हो सकता है। आपके खानपान में बहुत ज्यादा शुगर नहीं होना चाहिए क्योंकि यह आपके शरीर में विषाक्त पदार्थों को बहुत ज्यादा जमा करता है। फल, सब्जियां, अनाज, साबुत अनाज और ज्यादा मात्रा में फाइबर का खानपान से इन महत्वपूर्ण अंगों की देखभाल करने में अच्छे तरीके से मदद मिल सकती है।“
अधिकांश डायबिटीज मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर भी होता है जो क्रोनिक किडनी बीमारी के लिए भी एक महत्वपूर्ण ख़तरा है और इसलिए प्रत्येक डायबिटीज मरीजों को अपने ब्लड प्रेशर (बीपी) पर भी कड़ी नजर रखनी चाहिए क्योंकि बीपी में कोई भी बढ़ोत्तरी डायबिटीज संबंधी नेफ्रोपैथी का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। एंटी डायबिटीज दवाओं की एक ही खुराक पर हाइपोग्लाइसीमिया के बार-बार एपिसोड, किडनी डैमेज का संकेत हो सकता है और इसलिए किडनी के काम की तत्काल जांच जरूरी है।
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