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मोबाइल और कंप्यूटर पर ज़्यादा समय देने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ा

वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लासेज जैसी आदतों के ऐसे दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं जिसके कारण लोगों में कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम कई गुना तक बढ़ गया है।

लेख विभाग
February 24 2022 Updated: February 24 2022 22:19
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मोबाइल और कंप्यूटर पर ज़्यादा समय देने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ा प्रतीकात्मक

कोरोना महामारी (corona pandemic) ने हमारी जीवनशैली को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। संक्रमण के दौरान लगे लॉकडाउन (lockdown) के कारण वर्क फ्रॉम होम (work from home) और ऑनलाइन क्लासेज (online classes ) जैसी आदतों को बीमारी से बचाव के लिहाज से तो फायदेमंद माना जा रहा है, हालांकि इसके कुछ ऐसे दुष्प्रभाव (side effects) देखे जा रहे हैं जिसके कारण लोगों में कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं (serious health problems) का जोखिम कई गुना तक बढ़ गया है।  स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, घर पर रहने के कारण हम सभी का स्क्रीन टाइम काफी (screen time) बढ़ गया है, जिसे सेहत के लिहाज से नुकसानदायक माना जाता है। स्क्रीन टाइम का मतलब मोबाइल-कंप्यूटर (mobile-computer) पर बिताया जाने वाला समय होता है।

नींद विकार के बढ़े मामले - increased incidence of sleep disorders

स्वस्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि मोबाइल-कंप्यूटर के ज्यादा इस्तेमाल का सबसे ज्यादा असर हमारी नींद पर देखा जा रहा है। इन डिवाइसों की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी हमारी नेचुरल सर्कडियन रिदम (natural circadian rhythm) को प्रभावित करती है, जिसके कारण लोगों में नींद की समस्या काफी बढ़ गई है। नीली रोशनी के लगातार संपर्क में रहने के कारण नींद को नियंत्रित करने वाले हार्मोन मेलाटोनिन (melatonin) का प्रभाव कम होने लगता है। नींद की कमी के कारण तनाव (stress) और चिंता (anxiety) बढ़ने के साथ शरीर पर अन्य कई दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

बढ़ रही है तनाव की समस्या - Increasing stress problem

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम समय के साथ हमें चिड़चिड़ा बनाता जा रहा है। लोगों के मस्तिष्क में कई ऐसे रसायनिक परिवर्तन (chemical changes) देखे जा रहे हैं जो मानसिक सेहत (mental health) को गंभीर तौर से प्रभावित कर सकता है। यही कारण है कि लोगों में तनाव-चिंता और अवसाद के मामले पिछले कुछ वर्षों में काफी अधिक देखे जा रहे हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि बढ़े हुए स्क्रीन टाइम के कारण संज्ञानात्मक कार्य में कमी, ब्रेन फॉग और याददाश्त (memory) से संबंधित दिक्कतें भी बढ़ सकती हैं। 

मोटापे के शिकार हो रहे हैं लोग - people are becoming obese

डिजिटल डिवाइसों का अधिक उपयोग स्वाभाविक तौर पर हमारी शारीरिक निष्क्रियता को बढ़ा देता है। इसके परिणामस्वरूप वजन बढ़ाने जैसी दिक्कतें बढ़ रही हैं। मोबाइल-कंप्यूटर के इस्तेमाल के साथ-साथ कुछ खाते रहने की आदत इस समस्या को और बढ़ा देती है। प्रतिदिन दो घंटे का अतिरिक्त स्क्रीन टाइम मोटे होने का खतरा 8 गुना तक बढ़ा देता है। मोटापे को हृदय रोग, डायबिटीज (diabetes) जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है।

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