नयी दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस ने कहा है कि छह अफ्रीकी देशों में भी एमआरएनए वैक्सीन का उत्पादन शुरू होगा। ये देश हैं मिस्र, केन्या, नाइजीरिया, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका और ट्यूनीशिया। जल्द इनमें भी mRNA वैक्सीन बनने लगेगी।
फिलहाल यह टीका अमेरिकी कंपनी फाइजर व माडर्ना बनाती है। कल ही चीन ने भी एलान किया है कि वह खुद भी इस वैक्सीन का उत्पादन करेगा। एमआरएनए वैक्सीन (mRNA Vaccine) कोरोना के खिलाफ जंग में बड़ा हथियार बनकर उभरी है। यह असाधारण वैक्सीन है। विभिन्न देशों में इसका उत्पादन शुरू होने से कुछ कंपनियों का एकाधिकार खत्म होगा।
डब्ल्यूएचओ के बयान में कहा गया है कि यूरोपीय परिषद, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका और डब्ल्यूएचओ द्वारा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल की उपस्थिति में आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. घेब्रेसियस ने यह घोषणा की।
कुछ कंपनियों पर निर्भरता खतरनाक - Dependence on some companies dangerous
डब्ल्यएचओ प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic) ने दिखाया है कि वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए कुछ कंपनियों पर निर्भरता सीमित और खतरनाक है। मध्य से लंबी अवधि में आपात स्वास्थ्य जरूरतों (emergency health needs) से निपटने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि अनेक देशों में ऐसी दवाओं या वैक्सीन (Vaccine) का उत्पादन शुरू किया जाए और जल्द से जल्द लोगों तक ये पहुंचे। विश्वभर में एमआरएनए वैक्सीन उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की शुरुआत 2021 में हुई। इससे निम्न और मध्यम आय वाले देशों के वैक्सीन निर्माता इसका उत्पादन कर सकेंगे।
एमआरएनए वैक्सीन की यह है खासियत - Specialty of mRNA vaccine
एमआरएनए वैक्सीन न्यूक्लिक एसिड वैक्सीन (nucleic acid vaccines) की श्रेणी में आते हैं। इसमें बीमारी पैदा करने वाले वायरस (virus) या पैथोजन (pathogen) से आनुवंशिक तत्व उपयोग किया जाता है। इससे शरीर के अंदर वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक प्रणाली तैयार होकर सक्रिय हो जाती है। पारंपरिक वैक्सीन में इसके लिए बीमारी पैदा करने वाले वायरस को ही मृत या निष्क्रिय करके शरीर में डाला जाता है, लेकिन एमआरएनए वैक्सीन में पैथोजन का जेनेटिक कोड (genetic code) शरीर में डाला जाता है। यह मानव कोशिका को वायरस के हमले की पहचान करके उसके बचाव के लिए रक्षात्मक प्रोटीन तैयार करने के लिए प्रेरित करता है। चूंकि एमआरएनए वैक्सीन में वायरस का किसी तरह का कोई जीवित तत्व नहीं डाला जाता है। इसलिए इससे बीमारी बढ़ने का खतरा नहीं होता।
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