देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

इंटरव्यू

मरीजों का मेंटल हेल्थ जानना बेहद जरूरीः डा. सौरभ सिंह

दरअसल, होम्योपैथी की यही खासियत है। किसी भी मर्ज को तीन तरीके से जानने और समझने की कोशिश होती है। उन्हीं तीन तरीकों में एक है आपके मेंटल हेल्थ को जानना और समझना। डॉ सौरभ इस काम को बेहद शानदार तरीके से कर रहे हैं।

आनंद सिंह
March 26 2022 Updated: March 26 2022 16:17
0 55059
मरीजों का मेंटल हेल्थ जानना बेहद जरूरीः डा. सौरभ सिंह डा. सौरभ सिंह, होम्योपैथ चिकित्सक, गोरखपुर

ऐसे दौर में, जब अधिकांश मरीज एलौपैथ की तरफ अग्रसर हैं, डा. सौरभ सिंह होम्योपैथ की अलख जगा रहे हैं। जो लोग एलौपैथ से ठीक नहीं हुए, वो होम्योपैथ से ठीक हो रहे हैं। 

हेल्थजागरण ने ट्रीटमेंट करने के दौरान डा. सौरभ की एक खास अदा देखी है। वे मरीजों से उनके मर्ज के बारे में तो पूछते ही हैं, उनसे बातें भी खूब करते हैं। गप्पें खूब लड़ाते हैं। शादी हुई की नहीं? घर का माहौल कैसा है? पिताजी-माताजी कैसे हैं? खाने में क्या अच्छा लगता है? क्या खराब लगता है? बिजनेस कैसा चल रहा है? नौकरी कैसी चल रही है? कोई टेंशन तो नहीं है? है तो कब से है? कारण क्या है तनाव का...? आदि-आदि। 

ये वो सवाल हैं जो आम आदमी अमूमन बताना नहीं चाहता लेकिन डा. सौरभ हैं कि अपने ही स्टाइल में इसे पूछ लेते हैं और जवाब भी निकलवा लेते हैं। दरअसल, होम्योपैथी की यही खासियत है। किसी भी मर्ज को तीन तरीके से जानने और समझने की कोशिश होती है। उन्हीं तीन तरीकों में एक है आपके मेंटल हेल्थ को जानना और समझना। डॉ सौरभ इस काम को बेहद शानदार तरीके से कर रहे हैं। यही वजह है कि मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं और भीड़ बढ़ती जा रही है।

डा. सौरभ कुमार सिंह से www.healthjagaran.com के संपादक ने कई विषयों पर भी लंबी बातचीत की। पेश है, संपादित अंशः-

 

हेल्थ जागरण - आप अपने बारे में कुछ बताएं।

डा. सौरभ - मेरा जन्म 1991 में बलिया में हुआ। पिताजी शिक्षक हैं। उनकी तमन्ना थी कि मैं डाक्टर बनूं। जब बड़ा हुआ तो मेडिकल के क्षेत्र में आने की इच्छा हुई। मैं देखता था कि लोग बीमार होते हैं और डाक्टर के पास जाकर वह धीरे-धीरे ठीक होने लगते थे। मेरे मन में यह बात घर कर गई। पिताजी की चाह और मेरी भी इच्छा का परिणाम है कि मैं आज डाक्टर बन पाया। 

हेल्थ जागरण - आपने क्या पढ़ाई की, डिग्री कहां से ली और कब ली?

डा. सौरभ - मैंने government medical collage, azamgarh से 2019 में डिग्री ली। मैंने BHMS की डिग्री ली। कालेज के दिनों में ही मैं अपने सीनियर्स के साथ बैठता था। उनके रिसर्च को देखता था। जब वो प्रैक्टिस में आए तो मैंने उनके साथ भी बहुत कुछ सीखा। मरीजों के साथ चिकित्सकों का व्यवहार कैसा होना चाहिए, यह मैंने अपने वरिष्ठों से सीखा। उनका सिखाया हुआ ही आज मेरे काम आ रहा है। जो पेशेंट मुझसे मिल कर जाते हैं, उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट होती है।

हेल्थ जागरण - ऐसा माना जाता है कि होम्योपैथ का इलाज बहुत लंबा चलता है...

डा. सौरभ - देखिए सर, ये मिथ बन गया है कि होम्योपैथ का इलाज लंबा चलता है। वास्तव में ऐसा है नहीं। आप होम्योपैथी डाक्टर के पास आते ही तब हैं जब आपको एलोपैथ से राहत नहीं मिलती और मर्ज आपका बढ़ जाता है। आप मर्ज का पता लगते ही जब होम्यपैथ में आते हैं, तब यह कम वक्त में ही आपको क्योर कर देता है। मरीज बीमारियों को जटिल बना देता है। होम्योपैथ में इतनी ताकत है कि किसी को बुखार आया हो तो सामने बैठे-बैठे 5 घंटे में बुखार खत्म हो जाता है। किसी को अस्थमा का सीवियर अटैक आया हो तो भी होम्योपैथ कुछ घंटों में ही राहत दे देता है। होम्योपैथ का दुखड़ा यही है कि मरीज हमारे पास इनीशियल स्टेज में नहीं पहुंचता। अगर वह इनीशियल स्टेज में आ जाए तो लंबा वक्त लगने का कोई कारण है ही नहीं।

हेल्थ जागरण - ये मिथ तोड़ेगा कौन?

डा. सौरभ - हम लोग तोड़ रहे हैं। मैं अपने हर क्योर मरीज को सोशल मीडिया पर डाल रहा हूं। होम्योपैथ का मनोविज्ञान से गहरा नाता है। हम मरीज का प्री और पोस्ड वीडिओ भी रखते हैं। वह टेस्टीमोनियल देता है कि वह ठीक हो रहा है। इसे भी हम लोग सोशल मीडिया पर लेकर जा रहे हैं। तो मिथ तो टूट रहे हैं। एलोपैथ में जो मरीज किन्हीं कारणों से ठीक नहीं हो पाते, वो होम्योपैथ में ठीक हो जाते हैं। जानते हैं क्यों? क्योंकि हम उसकी बीमारी को तात्कालिक रूप से ठीक नहीं करते वरन कोशिश करते हैं कि उसे जड़ से ही खत्म कर दें। कई दवाईयां लंबी चलती हैं पर उनका कोई साइड इफ्केट नहीं होता। इसलिए, लोगों को यह समझना होगा कि अगर किसी बीमारी को जड़ से खत्म करना है तो होम्योपैथ से बेहतर कुछ है ही नहीं। इसी खासियत के कारण होम्योपैथ पूरे विश्व में नंबर दो की चिकित्सा पद्धति है।

हेल्थ जागरण - मैंने आब्जर्व किया कि आप आप पेशेंट से बातें बहुत करते हैं...क्या यह जरूरी है?

डा. सौरभ - बिल्कुल सर। इसके पीछे मनोविज्ञान है। होम्योपैथ से आप मनोविज्ञान को हटा दें तो रिजल्ट बेहतर नहीं मिलेगा। बीमारी को ट्रेस करने की तीन विधाएं हैं। एक तो मरीज खुद ही बता देगा कि उसे दिक्कत क्या है। दूसरा, उसकी शारीरिक स्थिति से भी आपको पता चल जाएगा कि दिक्कत क्या है। तीसरा है मनोविज्ञान। आप जब उससे बात करेंगे तभी पता चल सकेगा कि उसके दिमाग में क्या है। उसके दिमाग में चल क्या रहा है। बातचीत में हम यही समझना चाहते हैं कि उसका मेंटल स्टेटस क्या है। हम दवा दें और उसके दिमाग में चलता रहे कि फालतू की दवा है, कोई असर होगा कि नहीं, पता नहीं तो यकीन मानें उस दवा का उस पर असर नहीं के बराबर ही होगा। इसलिए, हम पेशेंट के मनोविज्ञान को समझने की भरपूर कोशिश करते हैं। यही वजह है कि हम पहली बार में पेशेंट का ज्यादा वक्त लेते हैं। अब पेशेंट को समझने के लिए वक्त तो देना ही पड़ेगा।

हेल्थ जागरण - आप नई पीढ़ी के हैं। होम्योपैथ को लेकर नई पीढ़ी की सोच में कोई बदलाव देखने को मिला आपको?

डा. सौरभ - बिल्कुल सर। नई पीढ़ी की सोच बदल रही है। नई पीढ़ी के लोग हर किस्म की बीमारी को समझने के लिए ज्यादा वक्त दे रहे हैं। वो बहुत करीने से चीजों को समझ रहे हैं। हर माह एक से दो वर्कशाप भी हम लोग आयोजित कर रहे हैं और बच्चों को राइट होम्योपैथी के बारे में बता रहे हैं। इसका असर तब और दिखेगा, जब ये प्रैक्टिस में जाएंगे। 

हेल्थ जागरण - होम्योपैथ को लेकर सरकारी रूख के बारे में क्या कहेंगे?

डा. सौरभ - कई बार लगता है कि सरकार होम्योपैथ को लेकर दोहरा रुख अपनाती है। जितना ध्यान एलौपैथ पर दिया जाता है, उतना होम्योपैथ पर नहीं। सरकार ने आयुर्वेद पर भी बहुत ध्यान दिया है लेकिन होम्योपैथ तो हाशिए पर है। बेशक, होम्योपैथ में पहले की तुलना में थोड़ा सुधार आया है पर ये हमारे खुद के शोध का परिणाम है। जबकि होम्योपैथ विश्व की नंबर 2 चिकित्सा पद्धति है। होम्योपैथ की प्रैक्टिस करने वाला होम्योपैथ की ही प्रैक्टिस करेगा। उधर, आयुर्वेद पढ़ कर आने वाला एलोपैथ की प्रैक्टिस कर रहा है। गड़बड़ी वहीं हो रही है। कोरोना पीरियड में होम्यौपैथ का रिकार्ड शानदार रहा है। लोग मास्क लगाकर जिंदगी बचाते रहे जबकि आगरा में होम्योपैथ की प्रैक्टिस करने वालों ने बिना मास्क के ही मरीजों का ट्रीटमेंट किया।

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

RELATED POSTS

COMMENTS

स्वास्थ्य

बढ़ती आबादी और बढ़ती उम्र दृष्टि दोष का सबसे बड़ा कारण।

लेख विभाग October 20 2021 30631

कम दृष्टि के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मधुमेह, आंखों में चोट लग जाना, उम्र के साथ आंखे कमजोर होना.

राष्ट्रीय

देश में गर्भनिरोधक साधनों की मांग बढ़ी, कुल प्रजनन दर में गिरावट आयी

विशेष संवाददाता May 08 2022 26961

देश की कुल प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है। यह जनसंख्या नियंत्रण उपायों की अहम प्रगति को दर्शाता

सौंदर्य

सर्दियों में बालों की देखभाल कैसे करें?

सौंदर्या राय November 07 2021 17043

ठंड के मौसम में बालों को अगर कोई समस्या परेशान करती है तो वह बालों का झड़ना और डैंड्रफ ही है। ऐसे मे

उत्तर प्रदेश

सभ्य समाज चिकित्सकों को सम्मान देः डा. आर.एन सिंह

आनंद सिंह April 07 2022 23792

आज चिकित्सक व चिकित्साकर्मियों की मानसिक व सामाजिक सुरक्षा भी बहुत बड़ा मुद्दा है। दौसा की डा. अर्चन

उत्तर प्रदेश

14 व 15 अगस्त को लोहिया अस्पताल में लगेगा रक्तदान शिविर

रंजीव ठाकुर August 14 2022 29651

पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव धूम-धाम से मनाया जा रहा है और उत्तर प्रदेश की राजधानी भी तीन रंगो

उत्तर प्रदेश

बीफार्मा और डीफार्मा विद्यार्थियों को मिलेंगी अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं

रंजीव ठाकुर May 03 2022 26159

राजधानी के बीफार्मा और डीफार्मा विद्यार्थियों को जल्दी ही प्रयोगशालाएं भी मिल जाएंगी। अभी तक लखनऊ वि

उत्तर प्रदेश

तनाव मुक्ति के लिए आध्यात्मिकता औषधि है - ब्रह्म कुमारी पूनम बहन

रंजीव ठाकुर May 05 2022 42299

ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में बाल्यकाल से शिक्षित ब्रह्म कुमारी पूनम बहन (सीएस) नौ दिवसीय

राष्ट्रीय

राजस्थान में कोरोना ने बढ़ाई चिंता, इन जिलों से मामले आए सामने

जीतेंद्र कुमार January 11 2023 27681

कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 13 लाख 15 हजार 522 हो गई है। रविवार को राज्य में 5 मामले सामने

राष्ट्रीय

यूक्रेन जैविक हथियार कार्यक्रम चला रहा जानकारी नही: संयुक्त राष्ट्र

एस. के. राणा March 12 2022 29878

संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को कहा कि उसके पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि यूक्रेन किसी तरह का

अंतर्राष्ट्रीय

ब्राजील में 6 सेंटीमीटर लंबी पूंछ के साथ जन्मी बच्ची

हे.जा.स. February 21 2023 31360

पीडियाट्रिक सर्जरी केस रिपोर्ट नामक जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, बच्ची की पूंछ 6 सेंटीमीटर लंबी

Login Panel