जयपुर। राजस्थान के रेगिस्तान में एक शख्स ने पानी, पर्यावरण और बेटियों को बचाने की ऐसी मुहीम शुरू की कि, ना केवल बंजर इलाक़े का कायापलट हुआ बल्कि संयुक्त राष्ट्र भी कायल हो गया। रेगिस्तान में हरयाली छा गई और बोझ समझी जाने वाली बेटियों के जन्म पर जश्न मनाया जाने लगा।
राजस्थान (Rajasthan) के राजसमन्द जिले (Rajsamand) की पिपलांत्री ग्राम पंचायत के सरपंच श्याम सुन्दर पालीवाल (Shyam Sundar Paliwal) ने जब अपनी 17 वर्षीय बेटी को खो दिया तब सफेद संगमरमर के खनन से बुरी तरह पानी की कमी (water shortage) और अत्यधिक गर्मी झेल रहें गांव को पानी, पर्यावरण और बेटियों से जोड़ दिया।
भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प (United Nations' Resident Coordinator in India, Shombi Sharp) सरपंच श्याम सुन्दर पालीवाल की इस मुहीम से इतना प्रभावित हुए कि बोझ समझी जाने वाली बेटियों के जन्म पर जश्न मनाने पिपलांत्री गांव (Piplantri village) पहुँच गए। उन्होंने श्याम सुन्दर पालीवाल को बधाई देते हुए कहा कि मैं संयुक्त राष्ट्र की ओर से यहाँ यह देखने आया हूँ, कि किस तरह एक गाँव ने बंजर भूमि को एक सुन्दर, हरे-भरे जंगल में तब्दील कर दिया है और बेटियों के जन्म पर खुशियां मनाई जा रही हैं।
आज पिपलांत्री मॉडल पर्यावरण-नारीवाद (eco-feminism) का एक सशक्त उदाहरण बन कर पूरे विश्व में भारत का परचम लहरा रहा है। हुआ यूँ कि 2005 में जब श्याम सुन्दर पालीवाल सरपंच बने तब सफेद संगमरमर के खनन से धरती बंजर (barren) हो चुकी थी, पेड़ों का नमो-निशान मिट गया था और गांव बुरी तरह पानी की कमी और अत्यधिक गर्मी झेल रहा था। बेटी के निधन के बाद श्याम सुन्दर ने एक परम्परा शुरू की कि, बेटी के जन्म पर हर परिवार 111 पेड़ लगाएगा और उनकी देखभाल करेगा।
5 सालों बाद श्याम सुन्दर सरपंच तो नहीं रहे लेकिन उनकी छेड़ी हुई मुहिम समाज का हिस्सा बन गई। अब यहां लगभग 4 लाख पेड़ उग आए हैं और बेटी का जन्म सामुदायिक उत्सव का अवसर बन गया है। लड़कियां पेड़ों को भाई (Treating trees as brothers) मानते हुए राखी बांधती हैं और उनकी देखभाल करती हैं। इस अनूठे प्रयास से बेटी बचाओ--बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao-Beti Padhao) के साथ बाल-विवाह की समस्या से भी छुटकारा मिल गया है। दूसरे गांव भी पिपलांत्री मॉडल (Piplantri model) को अपना रहें हैं।
एस. के. राणा March 07 2025 0 20313
एस. के. राणा March 06 2025 0 20091
एस. के. राणा March 08 2025 0 18870
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 17982
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 14319
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 12987
सौंदर्या राय May 06 2023 0 80130
सौंदर्या राय March 09 2023 0 84857
सौंदर्या राय March 03 2023 0 83322
admin January 04 2023 0 84927
सौंदर्या राय December 27 2022 0 74310
सौंदर्या राय December 08 2022 0 64102
आयशा खातून December 05 2022 0 117549
लेख विभाग November 15 2022 0 87247
श्वेता सिंह November 10 2022 0 99624
श्वेता सिंह November 07 2022 0 85571
लेख विभाग October 23 2022 0 70463
लेख विभाग October 24 2022 0 72125
लेख विभाग October 22 2022 0 79401
श्वेता सिंह October 15 2022 0 85566
श्वेता सिंह October 16 2022 0 80351
पहली बार इस तरह का सर्वे किया गया है, सर्वे में सामने आया कि बच्चों में जल्दी किशोरावस्था तक पहुंचने
सिविल अस्पताल में चर्म रोग विभाग में केवल ही एक विशेषज्ञ डॉक्टर कार्यरत है। जिसके सहारे पूरा अस्पताल
सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिला अस्पताल में पहले 10 बेड बनाए गए थे। अब इसे बढ़ाकर 25 बे
बैरियाट्रिक मरीज दूसरे मरीज़ों की तुलना में अधिक खास हैं क्योंकि उनमें हाइपरटेंशन, टाइप-2 डायबिटीज़,
जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर की तुलना में जम्मू-कश्मीर के प्र
बालाघाट के शहीद भगत सिंह जिला अस्पताल में एक महिला ने 3 बच्चों को जन्म दिया है। महिला लांजी की रहने
पीठ के मुहांसे महिलाओं को फैशन भी ठीक से नहीं करने देते। यदि बैकलेस ड्रेस या ब्लाउज़ पहनना हो तो मुह
एचडब्ल्यूजी की प्रत्येक बैठक के साथ एक अतिरिक्त आयोजन की मेजबानी करने की भी योजना बना रहा है। जिनमें
दो महीने से अधिक समय से दवा की देशव्यापी कमी के साथ, विशेषज्ञों ने कहा कि पॉसकोनाज़ोल के उपयोग पर सल
डॉक्टरों के बचाव में सरकार ने दौसा के एसपी को हटाने, लालसोट पुलिस स्टेशन के एसएचओ के निलंबन और वहीं
COMMENTS