नयी दिल्ली। विदेश से युद्ध या महामारी के कारण देश वापस लौटे मेडिकल छात्रों को केन्द्र सरकार कोई राहत नहीं देने जा रही है। केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने विदेशी चिकित्सा संस्थानों के छात्रों के समायोजन पर अधिनियम का हवाला देते हुए इंकार कर दिया है।
पिछले दिनों कोविड महामारी (Covid epidemic) के चलते हज़ारों मेडिकल छात्रों (foreign returning medical Students) को देश लौटना पड़ा और हाल ही में यूक्रेन रुस युद्ध (Ukraine-Russia war) की वजह से भी सैंकड़ों विदेशी चिकित्सा संस्थानों के विद्यार्थी भारत वापस लौट आएं हैं। केन्द्र सरकार ने इन्हे स्वदेशी मेडिकल कालेजों (Indian medical colleges) में समायोजित या स्थानांतरित करने से साफ मना कर दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार (Union Minister of State for Health Bharati Praveen Pawar) ने लोक सभा (Lok Sabha) में कहा कि भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 (Indian Medical Council Act, 1956) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 (National Medical Commission Act, 2019) के साथ किसी भी विदेशी चिकित्सा संस्थानों (foreign medical institutions) से मेडिकल छात्रों को भारत के मेडिकल कालेजों (medical colleges in India) में समायोजित या स्थानांतरित (no provision to accommodating or transferring foreign returning medical students) करने के नियमों में ऐसा कोई प्रविधान नहीं है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार (central government) विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई (MBBS studies abroad) करने जाने वाले छात्रों का डाटा नहीं रखती है।
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