उत्तर प्रदेश राजकीय नर्सेज संघ के महामंत्री और एडिशनल सेक्रेटरी जनरल आल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेस फेडरेशन नयी दिल्ली अशोक कुमार ने हेल्थ जागरण को शुभकामनाएं दिया और तमाम मुद्दों पर बातचीत किया। प्रस्तुत है बातचीत का विवरण।
रंजीव ठाकुर- कोरोनाकाल में नर्सों ने किस तरह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया।
अशोक कुमार- नर्स समाज की वह जिम्मेदार व्यक्ति है जो चौबीस घंटे मरीज़ों की सेवा में रहतें हैं। कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान हमलोगअसली कार्यकर्ता थें जो कदम से कदम मिला कर चले थे और। दुःख है कि चिकित्सा सेवा से जुड़े इस बड़े वर्ग को कोई महत्त्व नहीं देता है। WHO ने 2020 में फ्लोरेंस नाईटएन्गल के नाम से नर्सेस ऑफ़ थे ईयर घोषित किया था। कोविड माहमारी के दौरान स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारी जैसे लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट, फिज़ियोथेरपिस्ट, एक्सरे टेक्निशियन सभी ने मिलकर काम किया लेकिन प्रथम पंक्ति में मोर्चा नर्सों ने ही संभाल रखा था। महामारी के दौरान भी बलरामपुर हॉस्पिटल में मरीज़ों की डायलिसिस लगातार होती रही।
रंजीव ठाकुर- कोरोनाकाल कितना चुनौतीपूर्ण था ?
अशोक कुमार- जब लोगअपने घरों में बैठे थे तब हम उस महामारी के खिलाफ मरीज़ों के साथ खड़े थें। हमको पता ही नहीं होता था कि हम जिस मरीज़ के साथ खड़े हैं वो कोरोना पॉजिटिव है या नहीं ? ईश्वर की कृपा है कि हममें से बहुत काम लोग कोरोना पॉजिटिव हुए। हमारे कुछ लोगों की जान भी गयी है।
रंजीव ठाकुर- डॉक्टर, मरीज़ और तीमारदार में आपलोग तालमेल कैसे बिठातें हैं ?
अशोक कुमार- तालमेल बिठाना ही हम लोगों की ट्रेनिंग है। यही हम लोगों को सिखाया और पढ़ाया गया है। हम हर आपात परिस्थितियों में शुरू से अंत तक अपनी जिम्मेदारी निभाते रहतें हैं। कोविड महामारी, नेपाल में भूकंप, ट्रेनों के एक्सीडेंट जैसी चुनौतियों में हम लोगों ने डटकर काम किया है। हम बिना किसी भेद भाव के काम करतें हैं। कोरोना काल में सरकार ने हमको फ्रंटलाइन वर्कर मान कर प्रथम चरण में हम लोगों का टीकाकरण करवाया, हम शुक्रगुज़ार हैं। इस महामारी के दौरान हम लोगों ने रविवार या किसी भी सरकारी अवकाश पर छुट्टी नहीं लिया। समें सरकार ने हमको इनाम देना चाहिए था, प्रोत्साहित करना चाहिए था लेकिन सरकार ने हम लोगों का डीए रोक दिया भत्ता काट दिया। क्या ये सही है ? इससे हम लोगों में आक्रोश व्यप्त है। आने वाले समय में हम लोगो बड़ा आंदोलन करेंगें।
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