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हृदय रोग: चरक संहिता पर एक साथ शोध करेंगे मेडिकल साइंस और आयुर्वेद

मौजूदा जीवनशैली तमाम रोगों के साथ हार्ट डिजीज को बड़े पैमाने पर साथ लेकर आ रही है। मॉडर्न मेडिकल साइंस में इसका इलाज काफी महंगा और कष्टदायक है। ऐसे में बीएचयू से हृदय रोग के आयुर्वेदिक उपचार से जुडी एक राहत भरी खबर आई है। बीएचयू लगातार ऐसे प्रयोग करता रहता है जिससे भारतीय आयुर्वेद तथा चिकित्सा पद्धति का प्रचार प्रसार होता रहे।

रंजीव ठाकुर
July 20 2022 Updated: July 20 2022 15:03
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हृदय रोग: चरक संहिता पर एक साथ शोध करेंगे मेडिकल साइंस और आयुर्वेद प्रतीकात्मक चित्र

वाराणसी। मौजूदा जीवनशैली तमाम रोगों के साथ हार्ट डिजीज को बड़े पैमाने पर साथ लेकर आ रही है। मॉडर्न मेडिकल साइंस में इसका इलाज काफी महंगा और कष्टदायक है। ऐसे में बीएचयू से हृदय रोग के आयुर्वेदिक उपचार से जुडी एक राहत भरी खबर आई है। बीएचयू लगातार ऐसे प्रयोग करता रहता है जिससे भारतीय आयुर्वेद तथा चिकित्सा पद्धति का प्रचार प्रसार होता रहे। 

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में मॉडर्न मेडिकल साइंस (Modern Medical Science) और आयुर्वेद (Ayurveda) संकाय एक साथ मिलकर चरक संहिता (Charak Sanhita) पर शोध करेगा जिससे कि हृदय रोग (Heart disease) में उपयोग की जाने वाली वनस्पतियों तथा औषधियों का प्रयोग फिर से किया जा सके। 

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आयुर्वेदिक औषधियों (Ayurvedic medicines) पर शोध कर उन्हें आधुनिक मेडिकल साइंस की कसौटी पर कसने की तैयारी कर रहा है। यूनिवर्सिटी के भारतीय चिकित्सा संस्थान (Indian Institute of Medicine) में मॉडर्न मेडिसिन फैकल्टी और आयुर्वेद संकाय (Ayurvedic Faculty) साथ मिलकर चरक संहिता पर शोध कर रहें हैं। 

वैद्य सुशील कुमार दूबे (Vaidya Sushil Kumar Dubey), आयर्वुेद विभाग, शरीर क्रिया विज्ञान, ने बताया कि देश दुनिया में हार्ट प्रॉब्लम्स (heart problems) बढ़ती जा रही है। मॉडर्न मेडिकल साइंस में ट्रीटमेंट काफी महंगे और संसाधन भी सीमित हैं। ऐसे में प्राचीन भारतीय आयुर्वेद (ancient Indian Ayurveda) के ग्रंथों में इस संबंध में सटीक उपचारों (Ayurvedic treatment of heart disease) पर शोध कार्य किए जा रहे हैं जिससे कि वनस्पतियों के प्रयोग से सस्ते उपचार की राह सुगम हो जाए। 

बीएचयू के वैद्य सुशील कुमार दूबे ने कहा कि चरक संहिता में हृदय रोग के लिए महाकषाय में विस्तृत वर्णन मिलता है। हृदय महाकषाय में हृदय रोग (Mahakashaya for heart disease) के लिए वनस्पतियों का उल्लेख किया गया है जिसको आज के समय में उपयोग किया जा सकता है। इनमे आम, आमड़ा, बड़हर, करौंदा, इमली, अम्लवेतस, बड़ी बेर, छोटी बेर, अनार और विजौरा शामिल हैं।

इस शोध के पूरे हो जाने पर भारत की आयुर्वेदिक क्षमता (India's Ayurvedic potential) का डंका फिर से एक बार पूरी दुनिया बजेगा और सही मायनों में आयुर्वेद की पहचान कर दुनिया मेडिकल टूरिज़्म (medical tourism) के लिए अपने देश का रुख करेगी। साथ ही इससे आयुर्वेद में रिसर्च तथा कैरियर की सम्भावना (research and career prospects in Ayurveda) को बहुत बल प्राप्त होगा।

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