लखनऊ। मेदांता सुपरस्पेशियालिटी हॉस्पिटल में 21 वर्षीय एमबीबीएस सेकेंड ईयर के स्टूडेंट के बीच से टूटे दाहिने हाथ (अपर लिंब) बाजू की रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी करके जोड़ा गया। युवक का दाहिना ऊपरी हाथ (बाजू) लगभग पूरी तरह से अलग हो चुका था।
युवक मेदांता सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल (Medanta Superspeciality Hospital) की इमरजेंसी में बेहद गंभीर हालत में लाया गया था। जहां उसकी तत्काल रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी आर.टी.ए. (RTA - multiple surgeries with pseudoarthrosis re-surgery and bone grafting) की गई। लगभग नौ घंटे चली इस सर्जरी में न केवल युवक का बाजू जोड़ा गया (repaired by reconstructive surgery) बल्कि उसकी मसल्स, नर्व और हड्डी की भी रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की गई।
बीती पांच जुलाई को मोहान रोड पर एक भीषण दुर्घटना हुई थी जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी वहीं दूसरा लड़का सौरभ कुंडू (21) गंभीर रूप से घायल हो गया था। एमबीबीएस सेकेंड इयर के स्टूडेंट सौरभ (MBBS second year student) का दायां हाथ लगभग कटकर अलग हो चुका था।
सौरभ को जब मेदांता हॉस्पिटल लाया गया तो उसका दाहिना हाथ केवल एक नर्व से लटक रहा था। सौरभ के दाएं हाथ की ह्यूमरस मिड शॉफ्ट (humerus mid-shaft broken) टूट गई थी। इसके अलावा ब्रेकियल आर्टरी (brachial artery), मीडियल नर्व और रेडियल नर्व (medial nerve and radial nerve), मस्कुलोक्यूटिनियस नर्व, क्यूटेनियस नर्व (musculocutaneous nerve, cutaneous nerve) पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। साथ ही उसे फेसियो मैक्सिलरी इंजरी (Fascio Maxillary Injury) भी थी।
प्लास्टिक सर्जरी कंसल्टेंट डॉ वैभव खन्ना (Plastic Surgery Consultant Dr Vaibhav Khanna) ने बताया कि हाथ पर मल्टीपल इंजरी और न्यूरोवस्कुलर डैमेज (neurovascular damage) की वजह से तुरंत रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी सर्जरी (immediately undergo Reconstruction Surgery) करने का निर्णय लिया। उसे तुरंत ही रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी के लिए छह जुलाई को ले सुबह चार बजकर 15 मिनट पर ले जाया गया।
सौरभ के अपर लिंब की पूरे नौ घंटे तक लंबी सर्जरी चली, जिसमें एनेस्थीसिया की टीम (anesthesia team) ने सभी नर्वोवेस्कुलर स्ट्रक्चर (nervovascular structures) और सॉफ्ट टिश्यूज को रिकंस्ट्रक्ट किया। वहीं वैस्कुलराइजेशन के लिए सीने से मासपेशी का एक फ्लैप ट्रांसप्लांट कर हाथ की मसल्स को रिपेयर किया गया। वहीं टूटी हुई ह्यूमर को जोड़ने के लिए आर्थोपेडिक टीम (orthopedic team) ने इंटरनल बोन फिक्सेशन (nternal bone fixation) करने का निर्णय लिया।
ऑपरेशन के बाद मरीज को आइसीयू (ICU) में शिफ्ट किया गया जहां उसे हिमोडायनेमिकली स्टेबलाइज (hydrodynamically stabilized) और आइवी मेडिकेशन सर्पोट दिया गया। डॉ वैभव ने बताया कि मरीज के हाथों में ऑपरेशन के बाद से ही मूवमेंट आने लगा था।
अब सौरभ का अपर लिंब यानि दाहिना हाथ अच्छी तरह से रिकवर कर रहा है और वैस्कुलराइज्ड और स्टेबल हो गया है। साथ ही उसमें मूवमेंट भी आ गया है। इतने जटिल प्रोसेस के बाद भी सौरभ के अपर लिंब अच्छे से ठीक हो गया है। उन्होंने बताया कि आज सौरभ अपनी रिकवरी और आपरेशन के महज 10 ही दिन में अपने अपर लिंब के वैस्कुलराइजेशन, मूवमेंट और सेंसेशन के वापस आने से बेहद खुश है।
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