आजमगढ़ (लखनऊ ब्यूरो)। एक तरफ तो यू्क्रेन और रूस युद्ध के बीच एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर भारत लौटे छात्रों की पढ़ाई का काफी नुकसान हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ ये छात्र पिछले सात महीनों से अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। अब ये लड़ाई सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है।
यूक्रेन (Ukraine) से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में लौटे मेडिकल छात्रों को भारतीय मेडिकल (medical) कॉलेजों में समायोजित नहीं करने के सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के बाद छात्र-छात्राओं को अपना भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है। युद्ध की वजह से यूक्रेन से पढ़ाई बीच में छोड़कर लौटे अधिकतर छात्र-छात्राओं (students) के अनुसार उनके पास अब यूक्रेन वापस लौटने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। उनका कहना है कि सरकार ने मदद करने की बजाए उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है।
यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहीं सगड़ी तहसील क्षेत्र के खतीबपुर (Khatibpur) गांव निवासी रेनू यादव का कहना है कि लाखों रुपये खर्च कर विदेश गईं । रेनू यादव के भाई डॉ. सत्यशील यादव ने बताया अब स्थिति सामान्य हो रही है। 23 तारीख को रेनू को यूक्रेन (Ukraine) जाने के लिए टिकट निकाला गया है।
सरायमीर (Saraimir) के पवई लाडपुर गांव निवासी श्रेया यादव का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि संकट की इस घड़ी में भारत सरकार मदद करेगी। अब सरकार से उम्मीद टूट गई है। हम अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए फिर से यूक्रेन जाएंगे। उन्होंने बताया कि उनके साथ के भारतीय छात्र (students) भी जाने की तैयारी कर रहे हैं।
निजामाबाद (Nizamaba) क्षेत्र के सोफीपुर गांव निवासी डॉ. गिरिजेश यादव के पुत्र अवनीश यादव एमबीबीएस (MBBS) के छात्र हैं। वर्तमान में चंडीगढ़ (Chandigarh) में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके साथ के कुछ छात्र यूक्रेन गए हैं। यदि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं निकाला तो वह भी अगले महीने यूक्रेन जाएंगे।
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