नयी दिल्ली। केंद्र सरकार (central government) ने दावा किया है कि देश में डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है। वैश्विक मानकों की तुलना में भारत में डॉक्टरों की संख्या काफी अधिक है। मानूसन सत्र के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि केंद्र सरकार ने देश में डॉक्टरों (doctors) की उपलब्धता को और बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
जून 2022 तक देश में पंजीकृत एलोपैथी डॉक्टरों (Allopathy doctors) की कुल संख्या 13,08,009 है। साथ ही 5.65 लाख आयुष डॉक्टर (Ayush doctors) पंजीकृत हैं। अगर इनमें से 80 फीसदी डॉक्टरों की सक्रियता मानकर चलें तो देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:834 है, जो डब्ल्यूएचओ (WHO) के 1:1000 के मानक से बेहतर है। इसके अलावा, देश में 34.33 लाख पंजीकृत नर्सिंग (nursing) कर्मी और 13 लाख संबद्ध और स्वास्थ्य पेशेवर (health professionals) हैं।
मंत्रालय ने बताया कि देश के मेडिकल कॉलेजों (medical colleges) में यूजी सीटों की संख्या 2014 से पहले 51,348 से बढ़कर 91,927 हो गई है जो कि 79 फीसदी की वृद्धि है। वहीं, पीजी सीटों (PG seats) की संख्या साल 2014 में 31,185 सीटों से 93 फीसदी बढ़कर 60,202 सीटों पर पहुंच गई है।
मंत्रालय ने बताया कि जिला व रेफरल अस्पताल (referral hospitals) को अपग्रेड करके नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही है, जिसमें 157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं। सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉकों का निर्माण किया जा रहा है। 22 एम्स को मंजूरी दी गई है, जिनमें 19 एम्स (AIIMS) में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो गए हैं। इनके अलावा मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक व निदेशक के पदों पर नियुक्ति आयु सीमा में 70 वर्ष तक बढ़ा दी गई है।
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