लखनऊ। पुरुषों और महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों को लेकर समस्या बढ़ती जाती है। महिलाओं को घुटनों में दर्द बना रहता है और अब अधिकांशतः हड्डियों का जाल कमजोर होने से आस्टियोपोरिसिस नामक बीमारी होने लगी है। पुरुषों में रीढ़ की हड्डी, कंधे और गर्दन में दर्द बना रहता है।
पुरुषों तथा महिलाओं में हड्डियों से सम्बन्धित होने वाले रोगों और उनके उपचार के लिए बलरामपुर अस्पताल (Balrampur Hospital) के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक आर्थोपेडिक विशेषज्ञ डॉ जी पी गुप्ता ने हेल्थ जागरण को महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए।
डॉ जी पी गुप्ता ने बताया कि महिलाओं में मेनोपॉज (menopause) के बाद हड्डियों की समस्याएं देखी जाती है। लगभग 45 साल की उम्र में जब मेनोपॉज होता है तब हार्मोनल बदलाव (hormonal changes) होता है जिसके कारण हड्डियां खोखली होने लगती है। लगभग हर महिला इस उम्र तक एक या दो बच्चों को जन्म दे चुकी होती है। बच्चों को हड्डियां मां से ही मिलती है और बच्चे को दूध पिलाने से मां के शरीर में कैल्शियम की कमी होती जाती है। कई बार महिलाएं कुपोषण (malnutrition) का शिकार भी होती है। पहले परिवार को खिलाने के बाद खुद खाती है और बच्चे को जन्म देना, उसे दूध पिलाना, इन सभी कारणों से महिलाओं में विटामिन (vitamins), मिनरल्स (minerals) इत्यादि की कमी होने लगती है और हड्डियों को लेकर समस्याएं देखने में आती हैं। इसके साथ ही महत्वपूर्ण बात है कि महिलाएं ज्यातातर जमीन पर बैठे हुए काम करती है जिससे घुटनों पर ज्यादा जोर पड़ता है। ये सब कारण है जिससे महिलाओं की हड्डियां (bones) कमजोर होने लगती है और दर्द शुरू हो जाता है।
हेल्थ जागरण से बातचीत करते हुए डॉ जी पी गुप्ता ने महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि ज्यादातर महिलाएं घर में रहती है, सूरज की रोशनी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलती है तो विटामिन डी (vitamin D) की कमी होने लगती है। इससे बचने के लिए धूप, दूध से बने पदार्थ और विटामिन डी, या कैल्शियम की गोलियां (calcium tablets) ली जा सकती है। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के लिए जागरूक होना होगा और परिवार के साथ खुद के स्वास्थ्य तथा पोषण का ध्यान रखना होगा।
अक्सर देखा गया है कि महिलाएं व्यायाम (exercise) नहीं करती है तो मेनोपॉज के बाद उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि नियमित व्यायाम करें और अपने लिए भी पौष्टिक आहार ग्रहण करें। अगर फिर भी बीमारी बढ़ रही है तो इसके लिए दवाएं आती है जिनको लेने से शरीर में आवश्यक तत्वों की प्रतिपूर्ति हो जाती है।
महिलाएं मेनोपॉज के बाद नियमित हड्डियों की जांच करवाती रहें और यदि आस्टियोपोरोसिस हो गया है तो जीवन भर सम्भाल कर चले, उठे बैठे, जिससे कि हड्डी टूटने का खतरा ना रहे, क्योंकि इस बीमारी के बाद हड्डियां जुड़ती नहीं है। दवाएं (Medicines) और इंजेक्शन दोनों आते हैं, लेकिन चिकित्सक के परामर्श से महीने या साल भर के लिए इलाज लिया जा सकता है।
पुरुषों की बात करें तो जीवनशैली तथा मोबाइल, कम्प्यूटर या कुर्सी पर बैठ कर काम करने से रीढ़ की हड्डी (spine), कंधे और गर्दन में दर्द बना रहता है। इसका प्रमुख कारण है कि जब आप ज्यादा समय तक अपने किसी भी ज्वाइंट या लिम्ब को अनयूजुअल रखतें हैं तो दर्द शुरू हो जाएगा। ऐसी पोजीशन से हड्डियों और मांसपेशियों पर प्रेशर बनता है। मोबाइल देखते समय शोल्डर, नेक और एल्बो अनयूजुअल पोजीशन में रहते हैं जो आगे चलकर बीमारी का कारण बनते हैं। इससे बचने के लिए मोबाइल इत्यादि का सीमित उपयोग करें। जितना जरूरी हो उतनी बात या काम करें और स्पीकर का इस्तेमाल करें। मांसपेशियों तथा कंधे, गर्दन और जोड़ों के लिए नियमित व्यायाम करें। इसके अलावा विटामिन डी, कैल्शियम की कमी होना, शुगर (sugar) बढ़ी होना, धूम्रपान (smoking) और शराब (smoking) का सेवन भी हड्डियों को कमजोर करता है।
तो ये थे बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (Medical Superintendent) डॉ जी पी गुप्ता जो आर्थोपेडिक विषय के विशेषज्ञ हैं। हेल्थ जागरण लगातार आपको स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहा है। हेल्थ जागरण से नियमित रूप से जुड़े और लगातार नयी जानकारियां देखते रहें।
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