गोरखपुर। मिशन सेव इन इंडिया के प्रणेता और जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ डा. आर एन सिंह ने कहा है कि चिकित्सक समाज इन दिनों बेहद दबाव में है। उसे पैसे तो मिल रहे हैं पर मन की शांति नहीं मिल रही है। आज से 46 साल पहले चिकितसकों को बेहद सम्मान मिलता था। दबाव तब भी था, पर आज जैसा नहीं। आज चिकित्सकों को चोर, लालची, डाकू, हत्यारा तक कह दिया जाता है। तब ऐसी बात नहीं थी।
डा. सिंह ने कहा कि आज का इलाज महंगा इसलिए हो गया क्योंकि अब जांच और इलाज महंगे हो गए। मशीनें महंगी आ रही हैं। उसका असर प्रैक्टिस पर पड़ता है। कुछ हद तक चिकित्सक भी इसके लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि ज्यादा कमाने की उनकी हवस ने एक अंधी प्रतियोगिता भी शुरू कर दी है। यही पेशेंट्स को खराब लगता है।
पुराने दिनों को याद करते हुए डा. सिंह ने कहा कि मुझे स्मरण है, जब डीजल सात रूपये प्रति लीटर व पेट्रोल दस रूपये प्रति लीटर खरीदा था। आज इनकी कीमतें सेंचुरी मार रही हैं। इसी तरह पहले की तुलना में अब डाक्टरों की फीस दस रुपये से बढ़ कर हजार रुपये तक पहुंच चुकी है। मुझे वह दौर भी याद है जब गोरखपुर से लखनऊ सेकंड क्लास के अनारक्षित डिब्बे में मात्र छह रुपये में यात्रा करता था।
आर एन सिंह ने कहा कि चीजें वहीं हैं, नजरिया बदल गया है। शादी में आप लाखों फूंक देंगे, चिकित्सकों को पैसे देने में आपमें हिचक आ जाती है। आपको लगता है कि " भगवान के यहां" अधिक पैसा लग रहा है। अब तो सरकारी अस्पतालों में भी काफी गुणात्मक सुधार हो गए हैं, फिर भी कार्पोरेट व नामी अस्पतालों-चिकित्सकों के यहां मिलने वाला इलाज उसे अधिक संतुष्ट करता है।
डा. सिंह का कहना था कि चिकित्सा प्रदाता की चिंता भी जरूरी है क्योंकि वही लोगों की सेहत व जिंदगी का एकमात्र माध्यम है। यह जरूरी है कि चिकित्सक समुदाय को मानसिक व भौतिक रूप से स्वस्थ रखने के पुख्ता इंतजामात करने हॊंगे। इससे उलट आज चिकित्सक समाज लोकतंत्र के चारो स्तंभों के आंख की किरकिरी है। उपेक्षा तो छोड़िये आज वह सबसे अधिक प्रताड़ित वर्ग की श्रेणी में है। " धरती के भगवान" की अक्सर अग्नि परीक्षा भी होती रही है। दोष हो या नहीं, प्रताड़ना जैसे उसके नसीब का हिस्सा बना दी गई हो।
उन्होंने बताया कि कोरोना में हजारों चिकित्सकों- पैरामेडिकल स्टाफ के लोगों ने अपनी जान गंवा दी। अन्य फ्रंट लाइन वर्करों ने लाखों करोड़ो लोगों को बचाने में अपनी जान गंवाई। यह पूरे विश्व में हुआ। इन्होंने अपनी जान तो दी ही, उनके परिजनों की भी जान चली गई। मेरा सवाल सिर्फ इतना है कि क्या सरकार व समाज ने उनके परिजनों के लिये कुछ यादगार किया क्या?
एस. के. राणा March 06 2025 0 50505
एस. के. राणा March 07 2025 0 50505
एस. के. राणा March 08 2025 0 48507
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 41625
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 33855
हुज़ैफ़ा अबरार March 21 2025 0 32967
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 32079
सौंदर्या राय May 06 2023 0 84681
सौंदर्या राय March 09 2023 0 89075
सौंदर्या राय March 03 2023 0 89316
admin January 04 2023 0 89922
सौंदर्या राय December 27 2022 0 79194
सौंदर्या राय December 08 2022 0 68653
आयशा खातून December 05 2022 0 122544
लेख विभाग November 15 2022 0 92464
श्वेता सिंह November 10 2022 0 112722
श्वेता सिंह November 07 2022 0 90788
लेख विभाग October 23 2022 0 75902
लेख विभाग October 24 2022 0 78119
लेख विभाग October 22 2022 0 85062
श्वेता सिंह October 15 2022 0 91005
श्वेता सिंह October 16 2022 0 85457
आए दिन अस्पतालों में इलाज के दौरान मरीज की अवस्था बिगड़ने पर तीमारदार या असामाजिक तत्व उपद्रव करते ह
लोहिया संस्थान में वर्ष 2016 में 456 गैर शैक्षणिक पदों की मंजूरी मिली थी। इनमें कंप्यूटर आपरेटर, टेक
शुक्रवार को पांच अस्पतालों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। अस्पतालों के प्रबंधकों ने संस्था को लिखकर
बदायूं में महिला से अमर्यादित अचारण करने के प्रकरण का डिप्टी सीएम ने संज्ञान लिया है। डिप्टी सीएम ब्
ब्राजीलियाई स्वास्थ्य नियामक एन्विजा ने शुक्रवार को कहा, ‘‘एन्विजा में नैदानिक शोध के समन्वय के साथ
अब लालगंज वासियों को एक्सीडेंटल केस में दिल्ली इलाहाबाद लखनऊ जाने की जरूरत नहीं होगी, दिल्ली जैसी सु
अनहेल्दी लाइफस्टाइल, तनाव, प्रदूषण और कुछ बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों के
रुमेटोलॉजी के प्रदेश के जाने माने विशेषज्ञ प्रोफेसर अनुपम वाखलू ने अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय डॉ.मनसुख मांडविया इस पूरे मामले पर अपनी नजर बनाए हुए है। मनसुख मांडविया
Vitamin D supplementation might reduce the incidence of major cardiovascular events, although the ab
COMMENTS