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मेदांता हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने युवा सर्जन्स को सिखाए माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी के गुण

कैंसर के इलाज के युग में जब दुनिया केवल कैंसर के टिश्यू को हटाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि टिश्यू के पुनर्निर्माण पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है। मेदांता में हम शुरुआत से ही अंको सर्जरी और रिकंस्ट्रक्शन की सुविधाएं दे रहे हैं।

हुज़ैफ़ा अबरार
May 30 2022 Updated: May 30 2022 01:32
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मेदांता हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने युवा सर्जन्स को सिखाए माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी के गुण दो दिवसीय वर्कशॉप में मेदांता अस्पताल के डॉक्टर्स

लखनऊ। मेदांता सुपरस्पेशियालिटी हॉस्पिटल में मास्टर क्लास फार सर्जन्स का आयोजन किया गया। इसमें विशेषज्ञ सर्जन्स ने माइक्रो वेस्कुलर सूचरिंग एंड नॉटिंग वर्कशॉप की, जिसमें नए सर्जन्स को माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी और नॉटिंग की गहन जानकारी दी गई। दो दिवसीय वर्कशॉप में मेदांता अस्पताल के न्यूरोसर्जरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंस के डायरेक्टर डॉ रवि शंकर, कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी के डायरेक्टर एवं हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ गौरंगा मजूमदार, हेड एंड नेक ओंकोलॉजी के डायरेक्टर डॉ विवेकानंद सिंह, किडनी एवं यूरोलॉजी संस्थान के एसोसिएट डायरेक्टर  डॉ. मयंक मोहन अग्रवाल समेत कई वरिष्ठ डॉक्टर व उनकी टीम मौजूद रही।

कार्यक्रम में मौजूद अस्पताल के हेड एंड नेक ओंकोलॉजी (Head and Neck Oncology) के डायरेक्टर डॉ विवेकानंद सिंह ने बताया कि ने आज कैंसर के इलाज के युग में जब दुनिया केवल कैंसर के टिश्यू को हटाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि टिश्यू के पुनर्निर्माण पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है। मेदांता (Medanta) में हम शुरुआत से ही अंको सर्जरी और रिकंस्ट्रक्शन की सुविधाएं दे रहे हैं। हम इस तकनीक में पारंगत हो गए हैं अब ये हमारे काम का तरीका बन गया है। इस सर्जरी का मूल आधार माइक्रोवैस्कुलर टांके (microvascular sutures) लगाना है। इसलिए हम अपनी आने वाली पीढ़ी के बीच इस ज्ञान को देने और हमारे प्रदेश में इस प्रैक्टिस में बदलाव लाने का संकल्प लेने के लिए इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया है। इसके अलावा न्यूरोसर्जरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो सर्जरी के डायरेक्टर डॉ रवि शंकर सर ने बताया कि मस्तिष्क एक ऐसा ऑर्गन है जिसको हमेशा खून की आवश्यकता होती है। मस्तिष्क में खून न पहुंचने से स्ट्रोक, लकवा आदि बीमारियों से लोग ग्रसित हो सकते हैं। दिमाग में खून का प्रवाह न होने से कैसे सुधार सकते हैं इसके लिए दो विधि का प्रयोग किया जाता है। खून के प्रवाह (blood flow) में सुधार करना या प्रवाह को बढ़ाना। इसके लिए किन विधियों एवं किन पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है इसके बारे में भी जानकारी दी।

इसी क्रम में कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी (Cardiothoracic and Vascular Surgery) के डायरेक्टर एवं हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ गौरंगा मजूमदार ने बताया कि किसी भी सफल कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी के लिए तकनीकी रूप से मजबूत अनास्टोमोसिस महत्वपूर्ण है। छात्रों और युवा सर्जनों को वैस्कुलर एनास्टोमोसेस करने का उचित तरीका सीखना चाहिए। हम वैस्कुलर अनास्टोमोसिस के बारे में विभिन्न जानकारियों पर चर्चा करेंगे ताकि एक युवा सर्जन्स सुरक्षित सर्जरी कर सकें। वहीं अस्पताल के किडनी एवं यूरोलॉजी संस्थान के डायरेक्ट डॉ. मयंक मोहन अग्रवाल ने बताया कि धागे (टांके) का उपयोग करना एक सर्जन के करियर का अभिन्न अंग है। एक सर्जन को सुरक्षित टांके लगाने की सटीक और सही तकनीक जानकारी से रोगी की सुरक्षा और सुरक्षित सर्जरी के लिए एक लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। 

अस्पताल के जीआई सर्जरी, जीआई ऑन्कोलॉजी और बैरिएट्रिक सर्जरी (GI Oncology and Bariatric Surgery) विभाग के निदेशक डॉ आनंद प्रकाश ने बताया कि सड़क हादसों और कैंसर के केसों की वजह से आज माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। इसके जरिए हादसों में खराब हुए अंग और कैंसर में मांसपेशियां निकालने से खराब हुई शारीरिक बनावट सही की जा सकती है। उन्होंने माइक्रो वस्कुलर सर्जरी (micro vascular surgery) की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें शरीर के खराब हिस्से में दूसरे हिस्से से टिश्यू निकाल कर लगाया जाता है। इसमें खून की नलियां तक ली जाती हैं, ताकि रक्त का प्रवाह बेहतर हो सके। सामान्य तौर पर जांघ, हाथ और कूल्हे का मांस निकाला जाता है। पहले क्षतिग्रस्त अंग के आसपास के हिस्सों से टिश्यू निकाले जाते थे, लेकिन इससे उस हिस्से का भरना मुश्किल होता था। हालांकि अब माइक्रो वस्कुलर सर्जरी में किसी भी हिस्से का टिश्यू निकाल कर लगाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में चार से आठ घंटे लगते हैं।

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