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वायसा मेंटल हेल्थ ऐप का हिंदी वर्जन विकसित करेगा

वायसा अपनी स्केलेबिलिटी और कम लागत के कारण नियोक्ताओं तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच लोकप्रिय है। एआई आधारित ऐप होने के नाते वायसा बदनामी और गोपनीयता की चिंता से दूर रखता है जो अक्सर लोगों को उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद मांगने से रोकता है।

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वायसा मेंटल हेल्थ ऐप का हिंदी वर्जन विकसित करेगा वायसा एप्प का प्रतीक चिन्ह

लखनऊ। व्यावहारिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एआई आधारित डिजिटल साथी, वायसा ने हिंदी भाषा में मेंटल हेल्थ ऐप (Mental Health App) पेश करने की घोषणा की है। इसे व्हाट्सएप के जरिये ऐक्सेस किया जा सकेगा। एसीटी एक एनजीओ है जो लोकोपकार करने वाले मंच के रूप में काम करता है, इस पहल को समर्थन दे रहा है और विकास को आगे बढ़ाने के लिए एक को.फंडिंग पार्टनर की तलाश कर रहा है। अपेक्षा है कि 2023 के शुरू में पायलट चालू हो जाएगा। एसीटी (ACT) की डायरेक्टर हेल्थकेयर नीता जॉय (Nita Joy) कहती हैं कि हमारे लिए यह अपनी तरह का पहला प्रयास है कि एक स्थापित संस्था के साथ साझेदारी करके एक जाने पहचाने और उपयोगी हल को लाखों लोगों तक पहुंचाया जा सके। हमारी 14 प्रतिशत आबादी मानसिक स्वास्थ्य विकारों से पीडि़त है और महामारी की वजह से गुणवत्ता देखभाल तक पहुंच की कमी बढ़ गई है।

 

इस अंतर को भरने के लिए हमें नए उपकरणों की आवश्यकता है क्योंकि इस गुप्त मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित देखभाल उपलब्ध नहीं हैं। हिंदी ऐप की पहली पुनरावृत्ति उपयोगकर्ताओं को संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy) सीबीटी अभ्यास के माध्यम से मोबाइल फोन आधारित संवाद एजेंट के साथ पाठ के माध्यम से मार्गदर्शन करेगा, जिससे उपयोगकर्ताओं को डिप्रेशन और चिंता को मैनेज करने में मदद मिलेगी, जो उपयोगकर्ता मामूली से गंभीर लक्षण दिखाते हैं ऐप उनका मार्गदर्शन क्लीनिकल प्रोग्राम में करेगा। दूसरों के लिए यह वेलनेस टूल की तरह काम करेगा।

 

वायसा (Vysa) अपनी स्केलेबिलिटी और कम लागत के कारण नियोक्ताओं तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच लोकप्रिय है। एआई आधारित ऐप (AI-based app) होने के नाते वायसा बदनामी और गोपनीयता की चिंता से दूर रखता है जो अक्सर लोगों को उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद मांगने से रोकता है। वायसा के अंग्रेजी वाले मेंटल हेल्थ ऐप ने मुख्य रूप से बड़े बहुराष्ट्रीय नियोक्ताओं और सीधे उपभोक्ता के पास डाउनलोड के माध्यम से भारत (India) में अब तक लगभग 528,000 लोगों की सेवा की है।

 

अपनी लोकप्रियता के बावजूद  हिंदी भाषा का सपोर्ट न होने से इसका विविध सामाजिक, आर्थिक समूहों और आम लोगों तक पहुंचना मुश्किल बना हुआ है। हिंदी में ऐप पेश करने का उददेश्य पहुंच संबंधी इस बाधा को कम करना है। देश का बड़ा हिस्सा हिंदी में बातचीत करता है, और यह भारत में अधिकतर समुदायों के लिए संचार और पहुंच बढ़ाने के लिए एक प्रमाणित और ठोस तंत्र लाता है।

 

भाषा की परेशानी (language issues) दूर करने के साथ यह व्हाट्सएप के माध्यम से वायसा के एआई थेरेपी संवादी एजेंट को उपलब्ध कराने का मकसद उन लोगों से अपील करना है जो नए ऐप डाउनलोड करने से बचना पसंद करते हैं। व्हाट्सएप भारत में शीर्ष मैसेंजर ऐप्लिकेशन है जिसके 487 मिलियन उपयोगकर्ता हैं। व्हाट्सएप न केवल सर्वव्यापी है, बल्कि उच्च उपयोगकर्ता जुड़ाव भी सुनिश्चित करता है, क्योंकि अधिकांश आबादी नियमित संचार के लिए इस पर निर्भर है। इससे चिकित्सा संवाद को रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनने में मदद मिलती है। वायसा के सीईओ (CEO) और सह.संस्थापक जो अग्रवाल (Joe Aggarwal) ने कहा 2025 तक 50 मिलियन उपयोगकर्ताओं की मदद करने की हमारी महत्वाकांक्षा में हमें सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता तक पहुंच बनाने के लिए साक्षरता और भाषा की बाधाओं से परे जाना चाहिए। हमने दिखाया है कि वायसा के माध्यम से यह थेरेपी उन लोगों को आकर्षित करती है जो अपनी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बात करने के लिए आगे आने को तैयार नहीं हैं। हमें भारत में मानसिक स्वास्थ्य के कलंक पर काबू पाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। लेकिन मानसिक स्वास्थ्य (mental health) के बारे में दुनिया भर में लोकप्रिय इस ऐप के हिंदी संस्करण के साथ व्हाट्सएप (WhatsApp) के जरिये डिलीवर किया जाना इसकी शुरुआत के लिए शानदार जगह है।

 

वायसा में मुख्य मनोवैज्ञानिक (Chief Psychologist) स्मृति जोशी ने कहा भारत में उपयोग की जाने वाली सबसे लोकप्रिय भाषाओं में से एक हिंदी में मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करके व्हाट्सऐप (WhatsApp) के जरिए एक ऐसा मंच जिसकी ग्रामीण क्षेत्रों में भी अधिकांश भारतीयों तक पहुंच है, हम डिजिटल अंतर को कम कर रहे हैं। हम स्केलेबल एक समान और पहुंच योग्य भावनात्मक सपोर्ट प्रदान करने के अपने लक्ष्य के करीब जा रहे हैं।

 

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और सर गंगा राम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) नई दिल्ली में वरिष्ठ सलाहकार डॉ रोमा कुमार ने कहा  कि भारत में आबादी का एक बड़ा हिस्सा मुख्य रूप से हिंदी बोलता है, जो बदनामी के अलावा मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्राप्त करने के लिए एक बड़ी भाषा बाधा है। हिंदी में वायसा न केवल मेट्रो शहरों बल्कि टीयर 2 और टीयर 3 तक पहुंचने की क्षमता रखता है। ऐसे शहर जहां मानसिक स्वास्थ्य के मुददे अधिक प्रमुख हैं और कम चर्चा की जाती है।

 

इस ऐप की सादगी और विज्ञान समर्थित तकनीक जैसे सीबीटी के साथ हिंदी बोलने वालों के लिए अपनी मूल भाषा में मार्गदर्शन प्राप्त करना बेहद फायदेमंद है। मेरे कई वर्षों में काम में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में मैंने ऐसी पहल कभी नहीं देखी और मैं सकारात्मक हूं कि इससे बहुत से लोगों को लाभ होगा।

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