देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

स्वास्थ्य

भारतीय सन्दर्भ में समझे इम्यूनिटी को।

साधारण शब्दों में बीमारी के बल या तीक्ष्णता को रोकने और बीमारी की उत्पत्ति को रोकने वाली क्षमता को रोगप्रतिरोधक क्षमता कहा जाता है। सभी शरीर रोगप्रतिरोधक क्षमता या रोग प्रतिरोधक क्षमता से संपन्न नहीं होते।

लेख विभाग
February 18 2021 Updated: February 20 2021 15:22
0 28517
भारतीय सन्दर्भ में समझे इम्यूनिटी को। प्रतीकात्मक फोटो

- डॉ. दीप नारायण पाण्डेय, इंडियन फारेस्ट सर्विस 


आधुनिक वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार इम्यूनिटी मूलत: दो प्रकार से समझी जा सकती है। 
1. इनेट यानी जन्मजात और 
2. एडाप्टिव अनुकूलनीय। 

इनेट-इम्यूनिटी प्रतिरक्षा की पहली पंक्ति है जो पैथोजेन को मारने वाली कोशिकाओं जैसे न्यूट्रोफिल और मैक्रोफेज द्वारा संपादित की जाती है। किसी विषाणु का संक्रमण होने पर ये किलर-सेल्स तेज गति से सबसे पहले अपना काम करती हैं। 

एडाप्टिव-इम्यूनिटी की क्रियात्मकता तुलनात्मक रूप से धीमी होती है। इस तंत्र में टी-कोशिकाओं, बी-कोशिकाओं और एंटीबॉडी जैसी व्यवस्था है जो विशिष्ट रोगजनकों पर प्रतिक्रिया देता है। यह तंत्र इम्यून-मेमोरी के लिये भी उत्तरदायी है जो मानव में पहले हुई कुछ बीमारियों को पहचानता है और दुबारा नहीं होने देता। मेमोरी बी-सेल नामक कोशिकायें पैथोजेन को पहचानती हैं, और दुबारा संक्रमण होने पर त्वरित-प्रतिक्रिया करते हुये संक्रमण को निष्फल करने का काम करती हैं।

आयुर्वेद में इम्यूनिटी को रोगप्रतिरोधक क्षमता कहा जाता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता को बल, ओज और प्राकृत श्लेष्मा के रूप में भी जाना जाता है। बल वह शक्ति है जिसके द्वारा शरीर विभिन्न चेष्टाओं से कार्य संपन्न करता है। इस कार्योत्पादक शक्ति को व्यायाम-शक्ति से जाना देखा जाता है। चरकसंहिता के दिग्गज टीकाकार आचार्य चक्रपाणि ने लगभग 900 साल पहले च.सू. 28.7 पर टीका करते हुए लिखा कि व्याधिबल की विरोधिता व व्याधि की उत्पत्ति में प्रतिबंधक होना रोगप्रतिरोधक क्षमता है। 

साधारण शब्दों में बीमारी के बल या तीक्ष्णता को रोकने और बीमारी की उत्पत्ति को रोकने वाली क्षमता को रोगप्रतिरोधक क्षमता कहा जाता है। सभी शरीर रोगप्रतिरोधक क्षमता या रोग प्रतिरोधक क्षमता से संपन्न नहीं होते। किन्तु युक्ति द्वारा शारीरिक और मानसिक बल को बढ़ाया जा सकता है। 

बल तीन प्रकार के होते हैं: पहला, सहज-बल जन्मजात शारीरिक व मानसिक क्षमता है। दूसरा, कालज-बल उम्र के साथ शारीरिक और मानसिक विकास से प्राप्त होता है। और युक्तिकृत-बल खान-पान, जीवन-शैली और व्यायाम आदि की युक्ति से प्राप्त किया जाता है। ये तीनों ही रोगप्रतिरोधक क्षमता में योगदान देते हैं।

रोगप्रतिरोधक क्षमता को ओज और ओज को बल के रूप में भी समझा जाता है। सुश्रुत 15.9 में कहा है कि रसादिक तथा शुक्रान्त धातुओं के उत्कृष्ट सार भाग को ओज कहते हैं तथा आयुर्वेद के अनुसार उसी का दूसरा नाम बल है। यही बल व्याधियों से शरीर की रक्षा करता है। यहाँ एक बात समझना आवश्यक है ओज और बल हालाँकि एक कहे गये हैं किन्तु ओज को कारण और बल को कार्य माना जाता है। ओज का रूप, रस और वर्ण होने से द्रव्य है जबकि बल इसका कार्य है। यहाँ रोगप्रतिरोधक क्षमता के सन्दर्भ में बल और ओज को एक मान लिया जाता है। 

इसी सन्दर्भ में प्राकृत कफ को बल या रोगप्रतिरोधक क्षमता का कारण माना जाता है। यही कारण है कि कफज प्रकृति में उत्तम बल, पित्तज प्रकृति के व्यक्तियों में मध्यम बल तथा वातज प्रकृति के व्यक्तियों में अवर बल होता है।

इस प्रकार रोगप्रतिरोधक क्षमता का तात्पर्य व्याधि-बल का विरोध शरीरगत बल द्वारा किया जाता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाले विभिन्न भावों को दशविधि रोगी परीक्षा के भावों में भी देखा जाता है। उदाहरण के लिये व्यक्ति की मूल प्रकृति का बल से सीधा सम्बन्ध होता है। सबसे उत्तम सम प्रकृति यानी वात-पित्त-कफज है, परन्तु किसी जनसंख्या में समप्रकृति वाले बहुत कम होते हैं। अत: व्यवहार में कफ प्रकृति वालों को बेहतर बल वाला माना जाता है। इसके साथ ही सार भी बल को प्रभावित करता है। 

सारयुक्त से तात्पर्य यह है कि व्यक्ति में साररूप धातुओं का नियमित निर्माण होता है। सार धातुओं के सम्यक प्रकार से उत्पन्न होते रहने पर शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढिय़ा बना रहता है। जैसा कि पूर्व में चर्चा की गयी है, बल का मुख्य कारक ओज है जो सभी धातुओं का सार है। साररूप में यह सभी धातुओं में व्याप्त होकर धातुओं की रक्षा करता है। 

रोगप्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाले अन्य भावों में सात्म्य, सत्त्व, अग्नि, शारीरिक-शक्ति व वय हैं। अग्निबल को आहार करने की क्षमता से परखा जा सकता है। आहार-शक्ति (आहार की मात्रा) अग्निबल पर आश्रित है। यदि व्यक्ति की आहार शक्ति मज़बूत है तो भोजन का पाचन और धातुओं की पुष्टि यथोचित होने से शरीर मज़बूत रहता है। व्यायाम-शक्ति या शारीरिक रूप से श्रम करने की शक्ति भी बल का संकेतक है। व्यक्ति की वय या उम्र का भी बल से संबंध होता है। युवावस्था में उत्तम बल और जरा या बुढ़ापा आने पर बल कम रहता है।

इस सब का निचोड़ यह है कि जिस व्यक्ति का सहज या युक्तिकृत रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत है वह मुश्किल से ही बीमार पड़ता है। यदि बीमार पड़ भी जाये तो बीमारी अपना बल मुश्किल से ही दिखा पाती है। 

रोगप्रतिरोधक क्षमता में दो शब्द निहित हैं, व्याधि एवं क्षमत्व। व्याधि का तात्पर्य शरीर की धातुओं रस, रक्त, मांस, मेदा, अस्थि, मज्जा, शुक्र में विषमता उत्पन्न होना है। क्षमत्व से तात्पर्य इस विषमता को न होने देने की क्षमता है। मानसिक बीमारियों के सन्दर्भ में सत्त्व गुण जितना अधिक होगा, रोगप्रतिरोधक क्षमता उतना ही बेहतर होगा। शरीर में सहज रोगप्रतिरोधक क्षमता के सन्दर्भ में यह बात महत्वपूर्ण है कि शरीर में दुरुस्त मांसपेशियों, संरचना, स्वरुप व मज़बूत इन्द्रियों वाला व्यक्ति रोगों के बल से कभी प्रभावित नहीं होता। भूख, प्यास, ठंडी, गर्मी, व्यायाम को ठीक से सहन करने वाला, सम अग्नि वाला, बुढ़ापे की उम्र में ही बूढ़ा होने वाला, मांसपेशियों के सही चय वाला व्यक्ति ही स्वस्थ है।

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

RELATED POSTS

COMMENTS

उत्तर प्रदेश

परिवार नियोजन कार्यक्रम को शहरी क्षेत्रो में और बेहतर बनाया जाए : सीएमओ

हुज़ैफ़ा अबरार February 27 2022 37895

परिवार नियोजन कार्यक्रम को रफ्तार देने की जरूरत है। इस कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों को जिम्मेदारी न

स्वास्थ्य

सिरदर्द हो तो अपनाएं ये घरेलू इलाज

आरती तिवारी September 26 2022 25710

सिरदर्द की समस्या बहुत आम है। ये किसी भी वक्त आपको परेशान कर सकती है। इसके पीछे कई अलग-अलग कारण हो स

उत्तर प्रदेश

मेडिकल छात्रों को शासकीय बॉन्ड के तहत दो साल की नियुक्ति मिलेगी

रंजीव ठाकुर August 22 2022 25603

चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय ने उत्तर प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने

उत्तर प्रदेश

टीबी मरीजों को गोद लेने में यूपी के निक्षय मित्र, देश में सबसे आगे

रंजीव ठाकुर August 24 2022 30701

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर वर्ष 2019 से टीबी पीड़ित बच्चों को गोद लेने की प्रथ

उत्तर प्रदेश

डेंगू को लेकर सीएम योगी ने फिर दिए सख्त निर्देश

आरती तिवारी November 06 2022 24501

सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश के सभी नगर निगम, स्थानीय निकाय साफ सफाई, फॉगिंग, एंटी लारवा स्प्रे पर व

उत्तर प्रदेश

लंबे समय से गैर हाजिर 3 डॉक्टरों पर गिरी गाज

आरती तिवारी March 31 2023 23538

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई भी व्यक्ति सरकारी सेवा नियमावली का उल्लंघन करते

राष्ट्रीय

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के प्रति आगाह किया।

हे.जा.स. June 11 2021 28745

बाइडन ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘मित्रों, कोविड-19 का अत्यधिक संक्रामक स्वरूप ‘डेल्टा’ ब्रिटेन में

उत्तर प्रदेश

यूपी में बढ़ा स्वाइन फ्लू का प्रकोप

आरती तिवारी October 08 2022 24018

24 घंटे के दौरान चार लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इसमें दो मरीजों को केजीएमयू में भर्ती क

स्वास्थ्य

मलाशय से रक्तस्राव की समस्या के बारे में बता रहें हैं डॉ जय चौधुरी

लेख विभाग March 06 2022 35168

मलाशय के रक्तस्राव सबसे आम कारण बवासीर है। अन्य कारणों में गुदा में दरार, एनोरेक्टल फिस्टुला, बड़ी आ

उत्तर प्रदेश

झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले बुलंद, गलत इलाज से बच्ची ने गंवाया पैर

आरती तिवारी May 17 2023 26835

डिप्टी सीएम ने कहा कि जिलाधिकारी और सीएमओ तत्काल मामले की जांच करें। दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की

Login Panel